देश में अघोषित आपातकाल के साथ नगारिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगाने से हर वर्ग दु:खी- राव राव दान सिंह

देश की सरकार देश के नागरिकों पर कहर ढ़ा रही है- प्रदेश में पीटीआई, ड्राइंग टीचर के अलावा


मंहगााई, बेरोजगारी के साथ देश के नागरिकों को आपस में बांटा जा रहा है- राव दान सिह


आजादी के बाद देश में किसान का संघर्ष जन आंदोलन में तब्दील हुआ


राव दान सिंह का नारनौल जाते समय तोबड़ा मोड पर कार्यकर्ताओं को किया संबोधित


पूर्व संसदीय सचिव राव दान सिंह व महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह का शुक्रवार को तोबड़ा गांव के समीप कांग्रेेस के कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए। युवा कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष धीरज तोबड़ा के नेतृत्व में पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। विधान सभा अध्यक्ष जयंत कुमार भी विशेष रूप से मौजूद रहे। राव दान सिंह ने कहा कि पेट्रोल, रसोई गैस, बढऩे के साथ मंहगाई के साथ देश-प्रदेश में जाति-धर्म व क्षेत्र के नाम से जनता को आपस में लड़ाने पर भाजपा सरकार की कड़ी ओलोचना कर भत्र्सना की हैं। प्रदेश में पीटीआई, ड्राइंग टीचर के अलावा पीजीटी संस्कृत के 523 चयनित अध्यापको की भर्ती को निरस्त करना कर्मचारी विरोधी के साथ बेरोजगारों की लाइन लंबी कर रही हैं। भाजपा नीत केेंद्र व प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के चलते कर्मचारी, किसान, मजदूर, व्यापारी, नौजवान से लेकर हर वर्ग परेशान व पीडि़त हैं। तीन काले कानूनों को निरस्त करवाने के लिए किसानों के पिछले 4 माह से विभिन्न बॉर्डरों पर अंादोलनरत हैं। सिंघु, टिकरी, गाजीपुर आदि बॉर्डर पर आंदोलन को तानाशाही तरीके से खत्म करने के लिए सडक़ो को कील, कटीले तार आदि लगाने के बाद उनको खालिस्तानी कह कर अन्नदाता का अपमान किया जा रहा हैं। सरकार के दमनकारी कृ त्यों देश मेें अघोषितकाल आपातकाल की स्थिति चली हुई हैं। पूर्व संसदीय सचिव राव दान सिंह ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों  व तानाशाही रवैये के खिलाफ अब कांग्रेस सडक़ों पर आ कर फासिस्ट सरकार का विरोध करेगी। देश के अन्नदाता व किसानों को खालिस्तानी कहा जा रहा है, पत्रकारों को जेल में डाल जा रहा हैं। जब से देश में भाजपा की सरकार आयी है तब से देश का हर वर्ग दु:खी हो कर सडक़ो पर आ कर अपना भारी विरोध कर चुके हैं। दलित वर्ग के लोग भी अप्रैल 2018 में सडक़ो पर प्रदर्शन कर दलित विरोधी नीतियों के  खिलाफ देश भर में विरोध मार्च कर चुके हैं। सरकार की नीतियों का अगर बुद्धिजीव विरोध करते है तो उन्हें अर्बन नक्सली कहा जाता हैं तथा मुस्लिम विरोध करते है तो उन्हे पाकिस्तानी के नाम से संज्ञा देते है, किसानों को खालिस्तानी कह रहे है। पारित प्रस्ताव में कानून को तीनों कानूनों को निरस्त करने के साथ किसानों पर दर्ज झूठे मुक्कदमों को वापिस लेने तीनो काले कानूनों को खत्म करने की मांग की। केंद्रीय बजट में मनरेगा व कृषि के  लिए कम आबंटित राशि पर विरोध प्रस्ताव पारित किये। आंदोलन के दौरान 200 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं। सरकार की इन नीतियों के चलते देश मेें अस्थिरता बनने से देश में माहौल बिगड़ता जा रहा हैं। देश के अनेकता में एकता के ताने-बाने का तोड़ा जा रहा हैं। कांग्रेसी नेता राव दान सिंह ने कहा कि कोरोना काल में सब कु छ बंद था उस समय नरेंद्र मोदी सरकार ने कोरोना महामारी रोक ने की बजाय 5 जून 2020 को अध्यादेश से इन 3 कृषि बिलों को 20 सितंबर को सत्ता की धौंसपट्टी में बिलों को पारित करवा दिया। इन बिलों पर न तो सुझाव, संशोधन स्वीकार किये तथा ना ही सिलेक्ट कमेटी को सांैपने की बात स्वीकारी तथा राज्य सभा में विवादित तरीके से बिना वोटिंग से पास करवा दिये। उसके  बाद देश से लगातार इन काले कृषि कानूनों के विरोध में किसान व किसान संगठन शांति पूर्वक तरीके से आंदोलनरत हैं लेकिन सरकार तानाशाही रवैया बनाया हुआ हैं। 26 जनवरी को किसान टै्रक्टर रैली में आंदोलन को खराब करने के लिए लाल किले पर तिरंगे का अपमान क रवाने के लिए भाजपा जनता के सामने एक्सपोज हो चुकी हैं। लाल किले पर तिंरगे का अपमान करने वाले प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री के  साथ उनक संबध जगजाहिर हो चुके हैं। किसान आंदोलन आजाद भारत का सबसे बड़ा आंदोलन बन गया हैं। इस मौके पर मंजीत चौधरी,चेतन शर्मा ,धर्मेंद्र नाहरवार, राजेंद्र कौशिक, अमित कौशिक, पवन , घनश्याम कौशिक आदि मौजूद रहे।

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