दैनिक रणघोष का एक ओर बड़ा खुलासा:

हुडा के जिम्मेदार अधिकारियों को सीधा चैलेंज है कि वे इस खुलासे को झूठा साबित करें

 

एक हजार करोड़ की हुडा जमीन पर 20 लाख की मंथली, दफ्तरों में नागर से बड़े अजगर बैठे हुए हैं

 

रणघोष खास सुभाष चौधरी

कहावत है कि ‘जब बाड़ ही खेत को खाने लग जाए तो बेचारा खेत क्या करे। रेवाड़ी शहर के इतिहास की सबसे हैरान करने वाली ओर सिस्टम के नाक नीचे अधिकारियों से मिलकर लाखों रुपए मंथली का खेल उजागर करने वाली यह रिपोर्ट हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के काम करने के तौर तरीकों को निवस्त्र करने जा रही है। रणघोष हुडा के अधिकारियों से अनुरोध करता है कि वे इस रिपोर्ट को झूठा साबित करे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो अपने स्तर पर इस खेल का पर्दाफाश करें। इतना सबकुछ उजागर होने के बाद भी क्षेत्र के जन प्रतिनिधि, सीनियर अधिकारी, सामाजिक एवं गैर सरकारी संगठन के सदस्य  रेवाड़ी की जमीन को हिलाने वाले इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे नहीं आते हैं तो समझ जाइए सबकुछ डैमेज हो चुका है। दफ्तरों में अनिल नागर से भी बड़े अजगर बैठे हुए हैं जो सबकुछ निगलते जा रहे हैं।

शहर के राजेश पायलट चौक के पास बने रेजागंला पार्क में समय निकालकर आइए। वर्तमान में यह पार्क 10-12 एकड़ में विकसित किया हुआ है जबकि कागजों में पार्क के नाम 46 एकड़ जमीन है जिसमें 15-20 एकड़ के आस पास की जमीन अलग अलग वजहों से वापस निजी हाथों में चली गईं थी। जिस पर अब समारोह स्थल, पेट्रोल पंप बने हुए हैं। बाकि जमीन पर पिछले 20 सालों  अवैध तौर पर खेती होती है। चार दीवारी बनाकर उसके अंदर 300 के लगभग झुग्गियां बनाई हुई है जिसमें रहने वाले मजदूरों से 1200 से लेकर 2 हजार रुपए प्रति माह का किराया वसूला जाता है। पार्क की इस जमीन पर  यह वसूली कुछ निजी लोग करते हैं। इसके अलावा अवैध रूप से दुकानें तक बना दी गई हैं, यहां तक की टाइल्स की फैक्ट्री तक चल रही है। काफी संख्या में कंपनियों की बसें खड़ी रहती हैं जिसका किराया भी लाखों रुपए महीने का कंपनियों एवं बस मालिकों से लिया जा रहा है।  रणघोष टीम ने रेजागंला पार्क विकास समिति सदस्यों के साथ मौके का दौरा किया तो सबकुछ हैरान करने वाला था। वहां बस्तियों में परिवार के साथ रहने वालों का कहना है कि वे 15-20 सालों से यहां रह रहे हैं। समय समय पर किराया बढ़ता रहता है। आस पास रहने वाले कुछ लोग किराया वसूल करते हैं। इसके अलावा बची खाली जमीन पर खेती होती आ रही है। दो दिन पहले कुछ खेतों को अपने कब्जे में लेकर बागवानी विभाग को दे दिया गया है जहां पौधे लगाए जा रहे हैं। हैरत में डालने वाली बात यह है कि सारी कार्रवाई रेजागंला पार्क विकास समिति के कुछ जागरूक नागरिकों के मजबूत इरादों के चलते हो रही है जिसमें अधिकांश सरकारी विभाग से रिटायर अधिकारी है जो बेहतर तरीके से जानते हैं कि सरकारी सिस्टम अंदरखाने कितना जर्जर एवं खोखला हो चुका है इसलिए उनके सामने हुडा अधिकारियों की चालाकी चल नहीं पा रही है। दो माह पहले बनी समिति के सदस्य भी हैरत में हैं कि इतने बड़े स्तर पर हुडा की जमीन पर अवैध वसूली का खेल बिना अधिकारियों की मिली भगत से संभव नहीं है। यह वो जमीन है जो सीधे तौर पर राजेश पायलट से राव अभय सिंह बाइपास जाते समय स्पष्ट तौर से नजर आती है। हुडा का कार्यालय भी आधा किलो मीटर पर बना हुआ है।

  हुडा की जिस जमीन पर 20 लाख मंथली की अवैध वसूली उसकी कीमत एक हजार करोड़

रेजागंला पार्क विकास समिति ने मौके पर अवैध वसूली की जो रिपोर्ट बनाई है उसके हिसाब से पार्क की करीब 20 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है जिस पर कोई विवाद नहीं है। हुडा चाहे तो इन्हें एक दिन ही कब्जे से छुड़ा सकता है। लेकिन अधिकारियों की सहमति से कुछ भूमाफिया मंथली वसूली करते है जो लगभग 20 लाख रुपए के लगभग बन रहा है। इसमें ये राशि किस अनुपात में बंटती है यह निष्पक्ष जांच से ही सामने आएगा। इतना जरूर है कि चार दीवारी में बनी सैकड़ों बस्तियां करीब 15 से 20 साल पुरानी है। जिसमें पानी से लेकर बिजली कैसे पहुंच रही है। यह भी जांच का गंभीर मसला है। मौके पर जो नजर आ रहा है उस आधार पर कई करोड़ों रुपए अधिकारियों के साथ मिलकर भूमाफिया इस जमीन के नाम पर डकार चूके हैं

जनप्रतिनिधियों की खामोशी कई सवाल खड़े करती हैं

ऐसा संभव नहीं है कि शहर के बीचों बीच इतने बड़े खेल की भनक जनप्रतिनिधियों के पास नहीं हो। यहां के छोटे बड़े नेता, पार्षद, विधायक, चेयरपर्सन गली मोहल्ले में सीवरेज ओवरफ्लो तक की जानकारी रखते हो वे वसूली के इतने बड़े कारोबार से अनजान कैसे रह सकते हैं यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है। आने वाले दिनों में उनकी चुप्पी उन्हें कटघरे में खड़ा कर देगी।

आरटीआई, सीएम विंडो वापस लेने का बना रहे दबाव

रेजागंला पार्क विकास समिति के सदस्यों ने आधिकारिक तोर पर पार्क की जमीन का सच जानने के लिए कई माह पहले आरटीआई एवं सीएम विंडो से जानकारी हासिल करनी चाही थी लेकिन आज तक अधिकारियों ने उनका जवाब नहीं दिया। उलटा दो दिन पहले जमीन पर हो रही खेती का कब्जा छुटाने के बाद पटवारी एवं अधिकारियों ने समिति सदस्यों से आरटीआई एवं सीएम विंडो वापस लेने का दबाव बनाया लेकिन सफल नहीं हुए।

दूध का दूध पानी का पानी लाकर छोड़ेगे चाहे कुछ भी हो जाए

समिति प्रधान रिटायर अधिकारी अशोक यादव, रामौतार एकलव्य, परमात्मा शरण यादव, विजय कौशिक, ऊषा आर्य, नीतू चौधरी, ओमप्रकाश, विवेक, सौरभ, धर्मपाल, प्रदीप, मुकेश, राजेश, पवन, अरविंद, एनपीएस यादव, प्रवीन, अरूण, रामजस, अमर सिंह समेत अनेक  सदस्यों का कहना है कि पार्क को आज नहीं तो कल अपनी जमीन मिल जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि पार्क की इस जमीन पर इतने सालों से हो रही वसूली को रिकवर किया जाए। इसके लिए सभी प्रमाण मौके पर मौजूद है। सबसे बड़ी बात हुडा के जिम्मेदारियों के खिलाफ कार्रवाई कर अभी तक जितनी भी वसूली की गई उसे सरकारी खजाने में जमा करवाई जाए। अगर ऐसा होता है तो सिस्टम पर भरोसा रहेगा नहीं तो सबकुछ ध्वस्त हो चुका है। हम दूध का दूध पानी का पानी सामने लाकर छोड़ेगे चाहे इसके लिए चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े। हमारी समिति कानूनी सलाह लेकर जल्द ही हाईकोर्ट एवं जिला स्तर पर इस पूरे मामले को लेकर याचिका दायर करने पर भी विचार कर रही है।

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