नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जिनकी कहानी सुनकर आप हैरान हो जाएंगे

पति की किडनी खराब हुई तो बीच में छोड़ दी सिविल इंजीनियर की पढ़ाई, परिवार की जिम्मेदारी के लिए खोली शॉप, अब बनेगी वार्ड की आवाज


रणघोष खास. रेवाड़ी टीम से


रेवाड़ी शहर के वार्ड 29 में कालूवास रोड पर शिव मंदिर के पास एक छोटी सी दुकान खोलकर परिवार की जिम्मेदारी निभा रहे 32 साल की मोनिका मेहरा की कहानी हर किसी को पढ़नी चाहिए। इसलिए नहीं की वह इस वार्ड से पार्षद बनने के लिए मैदान में उतर रही है। मोनिका महिला सशक़्तिकरण की चलती फिरती मिशाल है। पति जितेंद्र कुमार मेहरा गुररुग्राम किसी कंपनी में कार्यरत है। मोनिका की शादी ग्रेजुएशन के दौरान हो गई थी। पिता लक्ष्मण सिंह लैब टैक्नीशियन थे।

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इसलिए उसने भी शादी के बाद जॉब के लिए यहीं डिप्लोमा किया। लेकिन उसकी दिलचस्पी सिविल इंजीनियर की तरफ थी। पति का पूरा सहयोग मिला। पॉलीटैक्नीक कॉलेज  में दाखिला हो गया। पढ़ाई को दो साल ही पूरे हुए थे कि पति को किडनी की प्रॉब्लम हो गईं। डॉक्टर ने उसे बदलने के लिए कह दिया। अचानक परिवार पर चुनौती आ गईं। मोनिका ने बीच में पढ़ाई छोड़ दी। उधर इलाज एवं आराम के लिए डॉक्टरों ने जितेंद्र को कम से कम एक साल घर पर आराम करने की सलाह दी थी। ऐसे में कंपनी उन्हें नहीं रख सकती थी।

परिवार ऐसी स्थिति में खड़ा हो गया क्या करें। बच्चे छोटे थे। मोनिका ने तय किया वह घर के आस पास कोई छोटी सी दुकान खोलकर परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी निभाएगी। उसके इस निर्णय का सामाजिक स्तर पर  विरोध भी हुआ लेकिन वह नहीं रूकी। 25 दिसंबर 2014 को उसने अपना छोटा सा व्यवसाय शुरू कर दिया। उसकी दुकान पर काफी महिलाएं आती थी। वार्ड से जुड़ी समस्याएं एवं आमजन के रूटीन के काम नहीं होने की शिकायतों को सुनकर उसके अंदर आक्रोश था। उसने समय समय पर अधिकारियों के समक्ष  समस्याओं को लेकर आवाज भी उठाई लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।

मोनिका बताती है कि संघर्ष ने उसे हर लिहाज से लड़ने की क्षमता दे दी थी। इसलिए उसने तय किया वह नगर पार्षद चुनाव में उतरकर अपने वार्ड की हर तरह की समस्याओं को प्रमुखता के साथ उठाएगी। बात पार्षद बनने की नहीं है। आमजन की आवाज को ताकत देने की है। उसे नहीं पता कि इतनी हिम्मत कहां से आ गई इतना जरूर है कि उसने गलत हो रहे कार्यों से लड़ना सीख लिया है। पति अदृश्य ताकत के तौर पर उसके साथ खड़े रहते हैं। यह वार्ड सामान्य वर्ग में आया है। मोनिका ने कहा कि वार्ड की जनता उसे जिम्मेदारी देती है तो वह सबसे पहले पार्षद को मिलने वाली पेंशन या भत्ते को वार्ड की उस बच्ची की शिक्षा पर खर्च करेगी जो बेहद जरूरमंद परिवार से हैं। जब तक बेटियां शिक्षा एवं सामाजिक- राजनीतिक क्षेत्र में आत्मबल के साथ आगे नहीं आएगी समाज का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता।

 

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