पंचायती चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर जरूर पढ़े

चुनाव की आहट के साथ ही हरियाणा में विकास को लेकर नई चुनौती खड़ी हुई


 गांवों के विकास कार्यों के लिए आई करोड़ों की ग्रांट चुनाव के बहाने रूकी, सरपंचों- पार्षदों में रोष कहां यहां तो तुरंत चुनाव कराए या राशि खर्च हो


पंचायती राज चुनाव का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त होने की जारी अधिसूचना के बाद हर जिले में गांवों के विकास कार्यों को लेकर पहले से जमा करोड़ों रुपए की राशि के खर्च होने पर ग्रहण लग गया है। हालांकि यह रोक कार्यकाल समाप्त के बाद ही प्रभावी मानी जाएगी लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इसे 15 फरवरी से ही पत्र जारी कर असरदार बना दिया गया है। इससे ग्राम पंचायतों एवं जिला पार्षदों में रोष फैल गया है। महेंद्रगढ़ के बाद अब जिला रेवाड़ी के पार्षदों ने 18 फरवरी को अपने स्तर पर मीटिंग बुलाई है। जिसका एजेंडा 5 वें वित्तिय आयोग के तहत 2020-21 की आई करोड़ों रुपए की राशि को गांवों के सूचीबद्ध विकास कार्यों पर खर्च करवाना और झारखंड राज्य की तर्ज पर तुरंत चुनाव नहीं होने की स्थिति में कुछ समय तक कार्यकाल बढ़ाना रहेगा। इसके लिए पार्षद 20 फरवरी से पहले राज्य के पंचायत मंत्री एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से मिलकर स्थिति से अवगत कराएंगे।

15 फरवरी को जिला पार्षदों ने परिषद में आई 18 करोड़़ 86 लाख की 2020-21 वित्तिय वर्ष की राशि को विकास कार्यो में खर्च कराने का अधिकार जिला प्रमुख को दे दिया था। अगर यह राशि 31 मार्च तक खर्च नहीं गई तो यह लैप्स हो जाएगी। इसी तरह एक अन्य एक करोड 37 लाख रुपए की राशि भी खर्च होनी है। जब विकास कार्यों की सूची जिला प्रशासन के पास पहुंची तो उसे वही कार्यकाल समाप्त होने का हवाला देकर रोक दिया । अमूमन यहीं स्थिति महेंद्रगढ़ समेत प्रदेश के लगभग सभी जिलों की बनी हुई है।  मंगलवार को सरपंचों एवं पार्षदों में जबरदस्त रोष नजर आया। पंचायती सदस्यों का एकसुर में कहना था कि 2020 का साल पूरी तरह कोरोना काल से निपटने में चला गया। दूसरा जब स्थिति कंट्रोल में थी तो अधिकांश कार्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खाली पदों के चलते नहीं हो पाए। रेवाड़ी में तो 7 खंड कार्यालयों का एक जिम्मा एक बीडीपीओ के पास था जो अनुबंध पर लगा हुआ था। हालांकि कुछ दिनों में कुछ पद भरे हैं लेकिन भी अधिकांश खाली है।  तीसरा परिषद के पास जो ग्रांट आई है वह कायदे से 6 माह पहले आनी चाहिए थी वह अब आई है। ऐसे में कार्यकाल समाप्त होने का हवाला देकर विकास कार्यों की राशि को रोकना किसी भी लिहाज से तर्कसंगत नहीं है। जिला पार्षद अमित यादव का कहना है चुनाव देरी से होने की आंशका के चलते झारखंड सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल कुछ समय के लिए बढ़ा दिया था। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी ऐसा किया गया। केंद्र एवं राज्य सरकारों के चुनाव में भी प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को  कार्यकारी जिम्मेदारी देने की परपंरा रही है। झारखंड वाली स्थिति हरियाणा की बनी हुई है। अगर चुनाव मार्च में होने जा रहे हैं तो ग्रांट को रोकना समझ में आता है। अभी यही स्थिति साफ नहीं हेा पा रही कि चुनाव जुन के बाद कब होंगे। मौजूदा हालात एवं तैयारियों को देखे तेा कम से कम छह माह में चुनाव की प्रक्रिया पूरी तरह से शुरू हो पाएगी। इस हिसाब से एक साल कोरोना का चला गया और एक साल के लगभग चुनाव देरी एवं अधिकारी- कर्मचारियों की कमी के चलते विकास नहीं हो पाए। ऐसे में राज्य सरकार का ग्रामीण विकास उन्नत भारत का विजन भी कमजोर हो रहा है। सरकार से अपील है की वह जमीनी स्तर पर स्थिति को समझते हुए पंचायती राज जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल रूके कार्य विकास कार्यों तक बढ़ा दे।

 हर काम पर सरकार- प्रशासन मानिटरिंग कमेटी तैनात करे

पार्षदेां एवं सरपंचों का कहना है कि विकास कार्य किसी सूरत में नहीं बंद होने चाहिए। प्रशासन चुनाव के मद्देनजर एक स्पेशल मॉनिटरिंग कमेटी का गठन कर दे जो खर्च होने वाली राशि की ऑडिट करती रहेगी। आमतौर पर चुनाव के माहौल में शायद ही कोई जनप्रतिनिधि अपनी पोजीशन को खराब करने के लिए कोई गडबड़ी करेगा। गांव स्तर पर अब चुनाव का माहौल बनता जा रहा है हर कोई अपने स्तर पर तैयारी भी कर रहा है।

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