पहली बार कांग्रेस 350 से भी कम सीटों पर लड़ रही है लोकसभा चुनाव

रणघोष अपडेट. देशभर से 

देश में सबसे अधिक समय तक सत्ता में रही और सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस आज अपने सबसे मुश्किल दिनों से गुजर रही है। आजादी के बाद से यह पहली बार है कि कांग्रेस 350 से कम सीटों पर इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रही है।लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस पार्टी ने अब तक मात्र 266 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। पार्टी के पास योग्य उम्मीदवारों की भारी कमी है। सहयोगी दलों से हुए गठबंधन के कारण भी उसे बड़ी संख्या में सीटें छोड़नी पड़ी है। हालांकि पार्टी के कुछ नेता दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस इस चुनाव में करीब 330 से 340 उम्मीदवार उतारेगी। अगर उनका दावा सही भी होता है तब भी यह संख्या काफी कम है और पार्टी पहली बार 350 से कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले कांग्रेस ने सबसे कम सीटों पर लोकसभा चुनाव 2004 में लड़ा था तब भी पार्टी ने 417 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 2009 में पार्टी ने 440 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 2014 में कांग्रेस ने लोकसभा की 463 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। वहीं 2019 में कांग्रेस ने लोकसभा की 421 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लोकसभा चुनाव और पार्टी के इतिहास को देखे तो इसने सबसे ज्यादा उम्मीदवार 1996 में उतारा था। तब कांग्रेस ने 529 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।

इस लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जहां अब तक मात्र 266 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है वहीं प्रमुख राज्यों में भी पार्टी लगातार सिकुंडती जा रही है। उत्तर प्रदेश में पार्टी इस बार महज 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बिहार में मात्र 9 सीट, पश्चिम बंगाल में करीब 20 सीटों पर इसके लड़ने की बात कही जा रही है। दिल्ली में मात्र 3 सीट पर वह चुनाव लड़ रही है। कई अन्य राज्यों में भी वह पहले से कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

इस कारण कम सीटों पर लड़ रही है कांग्रेस

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अपने इतिहास में सबसे कम सीटों पर इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रही है तो इसका दो सबसे प्रमुख कारण है। पहला कारण तो इंडिया गठबंधन है। कांग्रेस इस गठबंधन में सबसे बड़ा दल है। इसके कारण कांग्रेस पर बड़ा दिल दिखा कर सहयोगी दलों के लिए अधिक से अधिक सीटें छोड़ने का दबाव रहा है। इंडिया गठबंधन में करीब दो दर्जन छोटे-बड़े दल शामिल हैं। इनके बीच सीटों का बंटवारा होने के बाद कांग्रेस के खाते में सीटों की संख्या कम हो गई है। पहले कांग्रेस या तो अकेले चुनाव लड़ती थी या कुछ ही दलों के साथ उसका गठबंधन होता था तब वह अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती थी। लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हुई है। इस बार कांग्रेस को अपने सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़नी पड़ी हैं। वहीं दूसरा कारण कांग्रेस के संगठन का लगातार कमजोर होते जाना है। देश के ज्यादातर राज्यों में विधानसभा चुनाव हारने के कारण और लगातार दो लोकसभा चुनाव हार चुकी कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर हो चुका है। इसके पास योग्य जमीनी नेता और कार्यकर्ताओं की भारी कमी है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के लिए इसके पास मजबूत उम्मीदवार भी कम ही है। ऐसे में पार्टी चाह कर भी ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतार सकती है। इसके साथ ही कांग्रेस के पास इन दिनों पैसों की भी भारी कमी है। इसलिए कांग्रेस इस बार उन्हीं सीटों पर ध्यान देना चाहती है जहां उसे  जीत की उम्मीद दिखती है। उसके पास आर्थिक संसाधन काफी कम हो चुके हैं इसलिए वह ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ कर अपने संसाधनों की बर्बादी नहीं चाहती है।