पिताजी को टीबी ने छीन लिया, मां की हिम्मत ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है

-झलक ने हाल ही में खंड स्तर पर 5 हजार मीटर की दौड़ में तीसरी पोजीशन हासिल की


रणघोष खास. झलक की कलम से


मेरा नाम झलक है। मेरे पिताजी का नाम अमरजीत और माताजी का नाम पूनम है। मैं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुगोढ में दसवीं कक्षा की छात्रा हूं। हम दो भाई-बहन है। अक्सर सभी के जीवन में कोई ना कोई मुसीबत आती रहती है। मुझे भी जीवन में  विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। कुछ समय पहले ही  मेरे पिताजी टीबी नामक बीमारी से ग्रस्त हो गए और काफी इलाज के बाद भी नहीं बच सकें।मेरे पिताजी समय से पहले ही चल बसे। जिसके कारण मेरी माता जी पर सारी जिम्मेदारी आन पड़ी। मैं भी अपनी माताजी का हर काम में पूरा सहयोग करती हूं। मैं अपने घर पर छोटे भाई को पढ़ाती हूं। मुझे खेलने और पढ़ने का बहुत शौक है। हाल ही में हुए खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में मैंने 5000 मीटर की दौड़ में तीसरा स्थान प्राप्त किया। स्कूल में मेरे सभी गुरुजन मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं और समय-समय पर मेरा मार्गदर्शन करते हैं। मैं भगवान से यही प्रार्थना करती हूं कि मैं जीवन में सफलता प्राप्त कर, अपनी माताजी के सपनों को पूरा कर सकूं।

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