कमाल हैं आरटीओ के कर्मचारी- अधिकारी- ट्रांसपोर्टर खेल करते हैं बसों को अवैध बताते हैं

आरटीए महकमा भ्रष्टाचार का माल गोदाम बन चुका है, यहां चूहे पिंजरे को ही उठा ले जाते हैं


रणघोष खास. सुभाष चौधरी

परिवहन आयुक्त अमिताभ ढिल्लन ने हिम्मत दिखाते हुए रेवाड़ी – गुरुग्राम आरटीओ विभाग पर भरोसा नहीं करते हुए अलग अलग पांच जिलों से अधिकारियों की टीम से कार्रवाई कर बेलगाम दौड़ती 50 से ज्यादा अवैध बसों को निशाने पर ले लिया।  आयुक्त की यह कार्रवाई वेंटीलेटर पर चल रहे सिस्टम में कुछ समय के लिए जान डाल देने वाली रही।  कुछ दिन बाद हालत पहले जैसे हो जाएंगी इसमें कोई दो राय नहीं।  हकीकत यह है कि आरटीओ विभाग भ्रष्टाचार के माल गोदाम बन चुके हैं। यहां दलाल चूहे बनकर अंदर बाहर बिलों में घुसे रहते हैं। दिखावे के तौर पर कार्रवाई के  नाम पर अधिकारी- कर्मचारी इन्हें पकड़ने के लिए पिंजरा रखते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि ये चूहे पिंजरे में लटकी रोटी के साथ साथ पिंजरे को भी साथ ले जाते हैं। रोज हजारों की संख्या में ओवरलोडिड डंफर सांझ ढलते ही राक्षसों की तरह सड़कों पर हाहाकार करते नजर आते हैं। बेहिसाब छोटे बड़े वाहन अपनी मर्जी का परमिट लेकर दौड़ रहे हैं, कैसे लाइसेंस बनते हैं, किसी तरह सीटों को बदलकर खेल खेला जाता है। सबकुछ  अधिकारी- कर्मचारियों की जानकारी में है। दिखाने के नाम पर ऊंट के मूंह में जीरा जितनी कार्रवाई होती है। इस कार्रवाई में रोडवेज विभाग की कर्मचारी यूनियन ने 87 से ज्यादा अवैध बसों की सूची बनाकर प्रशासन को भेजी। इसकी जानकारी आरटीओ कर्मचारियों के पास पहले से थी। कुछ नहीं हुआ। हिम्मत दिखाकर जब रिपोर्ट सीआईडी के माध्यम से शीर्ष अधिकारियों के पास पहुंची तो कुछ हलचल हुईं। परिवहन आयुक्त की इस कार्रवाई से यह साबित हो गया कि शहर की सड़कों पर दौड़ रहे अवैध वाहनों की पूरी जानकारी स्थानीय आरटीओ विभाग के पास रहती है इसके बावजूद कोई एक्शन नहीं होता। लिहाजा उन पर भरोसा नहीं करके पलवल, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत व बहादुरगढ़ के अधिकारियों की टीम से कार्रवाई की गईं। यानि कार्रवाई करने वाले ईमानदार साबित हो गए ओर गुरुग्राम- रेवाड़ी के अधिकारी व कर्मचारी पूरी तरह कटघरे में हैं। कायदे से इस कार्रवाई के बाद स्थानीय आरटीओ में कार्यरत कर्मचारियों पर  भी बराबर की कार्रवाई होनी चाहिए। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर आयुक्त को सोनीपत- रोहतक में इस तरह की कार्रवाई करनी पड़ जाए तो क्या रेवाड़ी- गुरुग्राम के अधिकारियों की टीम रवाना होगी। अगर इस तरह अधिकारियों की  अदला- बदली से भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास किया जा रहा है तो सरासर भ्रष्टाचार को खूबसूरत बनाने का नया प्रयोग होगा। इसमें कोई शक नहीं की बिना मिली भगत के कोई भी वाहन अपनी मर्जी से नहीं दौड़ सकता।  सरकार भी इस विभाग को आधिकारिक तौर पर पूरी तरह से भ्रष्टाचार से ग्रस्त मान चुकी है। इसलिए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई बड़े अहम फैसले लिए जिसमें विभाग के डीटीओ को पद मुक्त कर दूसरे विभाग के ईमानदार अफसरों की तैनाती विभाग में की गई थी। शुरुआती दिनों में तो परिणाम सकारात्मक आए में बाद स्थिति जस की तस हो गई।  इतना ही नहीं हरियाणा रोडवेज बस की शक्ल में निजी बसों का डिजाइन बनाया गया ताकि यात्री इसे रोडवेज समझकर बस में बैठ जाए। इन वाहनों के मालिकों का नेटवर्क इतना जबरदस्त रहता है कि उन्हें कार्रवाई शुरू होने से पहले ही पता चल जाता है। लिहाजा इस कार्रवाई से भरोसा जिंदा है हुआ मजबूत नहीं।

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