पढ़िए कृष्ण एमडी की अपने गांव के प्रति समर्पण की कहानी..

32 साल पहले रेवाड़ी में मुनीम की नौकरी की, गांव में धर्मशाला बनाने के बाद अब श्मशान घाट का बदलेगा स्वरूप


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


किसी ने सच ही कहा है कि जब इंसान बुजुर्ग होने लगता है तो अपनी जड़ों की ओर लौटना शुरू हो जाता है। हम आपको एक ऐसे शख्सियत की छोटी सी कहानी बताने जा रहे हैं जो आमतौर पर सुर्खियों में रहने की बजाय खामोशी के साथ उन कार्यों को अंजाम दे रहा है जिसे यहां के विधायक व मंत्री यहां तक की स्थानीय लोग भी नहीं कर पाए।

आज से 32 साल पहले रेवाड़ी- नारनौल मार्ग पर स्थित 500 परिवार वाले गांव चिताडूंगरा से कृष्ण यादव नाम का लड़का रोजगार की तलाश में रेवाड़ी आया। किसी के यहां मुनीम की नौकरी। दिन रात कड़ी मेहनत करने के बाद यह युवा शहर में एक नामी ट्रांसपोर्टर, सामाजिक- समाजेसवी के तौर अपनी पहचान बनाता चला गया। आमतौर पर सुर्खियों से दूर रहने वाले चुपचाप रहकर समाजसेवा करने की कार्यशैली के चलते लोग इस शख्स को कृष्ण एमडी के नाम से बुलाने लगे। कृष्ण एमडी का गांव चिताडूंगरा हरियाणा का पहला ऐसा गांव है जहां श्मशान घाट तक बनाने के लिए किसी भी विधायक या मंत्री ने प्रयास नहीं किए। आज भी यहां के ग्रामीण गांव से सटे पहाड़ों में किकरों के बीच पड़ी खाली जमीन पर किसी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करने के लिए जाते हैं। वहां ना कोई चार दीवारी है और ना हीं किसी तरह कोई टीन शैड। यहां तक की सड़क तो दूर रास्ता तक नहीं बना। कटीली झाड़ियों के बीच लोगों को जाना पड़ता है। यह गांव पूरी तरह से राजस्थान सीमा से सटा हुआ है।ग्राम पंचायतों की तरफ से भी अलग अलग कारणों से श्मशान आश्रम नहीं बन पाया। कृष्ण एमडी जब भी गांव आता और हालात देखकर कुछ ना कुछ करने के इरादे के साथ प्रयास में जुट जाता। कुछ साल पहले उसने गांव में बस स्टैंड के पास धर्मशाला बनाने का निर्णय लिया और उसे बनाकर गांव को समर्पित कर दी। इससे पहले यहां शादियों के समय बारात स्कूल के बने भवनों में ठहरती थी। पिछले रविवार को गांव पहुंचा और सभी को धर्मशाला में एकत्र किया और श्मशान घाट के स्वरूप को बदलने की अपनी मन की बात कह दी। कृष्ण एमडी ने कहा वे अपनी नेक कमाई से श्मशान घाट की चार दीवारी, टीन शैड, फर्श एवं जाने वाले रास्ते को ठीक करना चाहते हैं। इसके अलावा भी सभी जरूरतों को पूरा करना चाहते हैं। इसके लिए जो भी खर्च आएगा वह स्वयं उठाने के लिए तैयार है। बस गांव का आशीर्वाद व नैतिक सहयोग चाहिए। पूरा गांव एक आवाज में इस शख्स के साथ खड़ा हो गया और 17 सदस्यों की टीम गठित कर दी गईं। इस टीम के अंतर्गत आने वाले रविवार से यह कार्य शुरू हो जाएगा। इस टीम में पूर्ण सिंह, अतर सिंह, महाबीर, जितेंद्र सिंह, देवेंद्र सिंह, धर्म सिंह, ओमप्रकाश, सूरज सिंह, राम सिंह, गणपत, महेंद्र, सतीश कुमार, दुलीचंद, भोलूराम, सुरेश कुमार और हनुमान शामिल है। कृष्ण एमडी ने कहा कि वे अपने गांव का कर्ज उतार रहे हैं। यहां की माटी ने नही उसे संघर्ष व कड़ी मेहनत करना सीखाया। इसलिए जिस तरह माता-पिता का कर्ज नहीं उतारा जा सकता उसकी तरह मातृभूमि के प्रति भी हम मरते दम तक कर्जदार ही रहेंगे। वे ऊपरवाले के अहसानमंद है जिसने उसे अपने गांव की सेवा करने का अवसर प्रदान किया।

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