फिर से केंद्र का किसानों को पत्र, बातचीत का दिया न्योता; लेकिन कहा- एमएसपी पर वार्ता ‘तर्कसंगत’ नहीं

एक बार फिर से केंद्र ने किसान संगठनों को पत्र लिखकर बातचीत करने की तारीख और समय पूछा है। भेजे पत्र में सरकार ने कहा है कि वो सभी मुद्दों पर बात करने को तैयार है। वहीं, सरकार ने ये भी कहा है कि तीनों कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कोई जिक्र नहीं है। सरकार पहले ही इसे लेकर वर्तमान व्यवस्था चालू रहने के लिए लिखित आश्वासन देने को तैयार हो चुकी है, ऐसे में कानून से बाहर जाकर इसकी कोई मांग तर्कसंगत नहीं है। इसके अलावा केंद् ने कहा है कि आवश्यक वस्तु एक्ट में संशोधन पर बात संभव है। वहीं, विद्युत अधिनियम और पराली पर अभी सिर्फ प्रस्ताव ही लाया गया है। मोदी सरकार ने गुरुवार को किसानों से वार्ता की तारीख और समय पूछा है। किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में केंद्र ने कहा है कि आंदोलनकारी किसान सगंठनों द्वारा उठाए गए सबी मुद्दों पर तर्कपूर्ण बातचीत करने को हम तैयार हैं। आगे केंद्र ने स्पष्ट लहजे में कहा है कि कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों का एमएसपी की खरीद से कोई संबंध नहीं है और ना हीं इन तीनों कानूनों के आने से पूर्व से जारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीदी की व्यवस्था पर कोई प्रभाव है। इस संबंध में कोई नई मांग रखना, जो नए कृषि कानूनों से इतर है, उसका वार्ता में सम्मिलित किया जाना तर्कसंगत नहीं लगता है।साथ हीं केंद्र ने कहा है कि सरकार किसानों के साथ खुले मन से बातचीत करती रही है और आगे भी तैयार है। इसलिए अपनी सुविधा के मुताबिक समय और तारीख निर्धारित करें। जिन मुद्दों पर बातचीत करना चाहते हैं। उनका विवरण दें।

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