रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
धारूहेड़ा व बावल क्षेत्र में खलबली मचा चुके टाइगर के बाद अब कोसली क्षेत्र में तेंदुए की मौजूदगी ने एक साथ कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले हिसार में दो तेंदुए आने की घटना भी हो चुकी है हालांकि उन्हें पकड़ा जा चुका है। यह तेंदुआ झाडली प्लांट के साथ सटे गांव लिलोढ़ के खेतों में देखा गया है। गांव की कुछ महिलाओं ने दिन के समय इसे देखा था ओर रात के समय एक विडियो सोशल मीडिया पर चल रही थी जिसकी लोकेशन लिलोढ़ के आस पास बताई गई है। यहां बता दें कि आठ माह पहले बावल क्षेत्र के गांव राजगढ़ के पास भी तेंदुए के होने की घटना हुई थी जिसमें उसने एक बछड़े का शिकार किया था।
ऐसे में यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि आखिर जंगलों के ये खतरनाक व जानलेवा जानवर अचानक कैसे इंसानी बस्ती की तरफ से आ रहे हैं। पिछले 10 रोज में कोसली, हिसार एवं रेवाड़ी में टाइगर व तेंदुए की मौजूदगी कई ना कहीं शुभ संकेत नहीं है। वन विभाग के अधिकारियों की माने तो कोसली क्षेत्र में तेंदुए का आना हैरानी करने वाली बात है। इतना जरूर है कि महेंद्रगढ़ व नांगल चौधरी में अरावली क्षेत्र होने की वजह से तेंदुए की मौजूदगी देखी गई है। वहां तेंदुए का परिवार भी देखा गया है। लेकिन महेंद्रगढ़ से कोसली में तेंदुए का आना समझ से बाहर है। अधिकारियों की यह भी आशंका है कि तेंदुए आमतौर पर किसी वाहन में छिपकर भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर निकल जाते हैं। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जब से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर माइनिंग पर प्रतिबंध लगा है जंगल अपनी पुरानी बसावट में आने लगा है उससे भी जानवरों की मौजूदगी बढ़ने लगी है। इससे पहले खनन से जानवर छिप गए थे। यहां बता दे कि गुरुग्राम, फरीदाबाद, गुरुग्राम भी राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र के दायरे में आते हैं। इन क्षेत्रों में भी टाइगर व तेंदुए की मौजूदगी से इंकार नहीं किया जा सकता। कुल मिलाकर इन खतरनाक जानवरों का इंसानी आबादी वाले क्षेत्रों में आना शुभ संकेत नहीं है।