– कोविड में अभिभावकों को खोने वाले बच्चों के लिए योजना लागू
– किशोरियों को दी जाएगी मुफ्त आवासीय शिक्षा
उपायुक्त शक्ति सिंह ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण अपने माता–पिता को खोने वाले बच्चों को सुरक्षित भविष्य देने के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू की है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत ऐसे बच्चों के पालन–पोषण और पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों, जिन्होंने कोविड के कारण अपने माता या पिता अथवा माता–पिता, दोनों या कानूनन अभिभावकों को खो दिया है, उनका पुनर्वास और सहायता का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। ऐसे बच्चों की पहचान करने का कार्य आरंभ किया जा चुका है। उपायुक्त ने कहा कि ऐसे छात्रों की शिक्षा निशुल्क होगी इसके अलावा जिन किशोरियों की देखभाल के लिए कोई नहीं है, उन्हें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में आवासीय व शिक्षा मुफ्त दी जाएगी।
गैर संस्थागत देखभाल में बच्चों के लिए वित्तीय सहायता
शक्ति सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत माता–पिता की मृत्यु के बाद जिन बच्चों की देखभाल परिवार के अन्य सदस्य कर रहे हैं, ऐसे बच्चों के पालन पोषण के लिए 18 वर्ष तक 2500 रुपये प्रति बच्चा प्रति मास राज्य सरकार पेंशन देगी। इसके अतिरिक्त, 18 वर्ष तक की आयु होने तक जब तक बच्चा पढ़ाई करेगा तब तक 12,000 रुपये प्रति वर्ष अन्य खर्चों के लिए भी दिए जाएंगे।
संस्थागत देखभाल में बच्चों के लिए वित्तीय सहायता उपायुक्त शक्ति सिंह ने कहा कि योजना के तहत जो बच्चे अनाथ हो गए हैं और परिवार का कोई सदस्य भी देखभाल के लिए नहीं है उनकी देखभाल बाल देखभाल संस्थान करेंगे। ऐसे बच्चों के लिए बाल देखभाल संस्थान को आर्थिक सहायता के रूप में 1500 रुपये प्रति बच्चा प्रति महीना, बच्चे के 18 वर्ष की आयु होने तक राज्य सरकार देगी।