बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने दिया इस्तीफा, बोले- ‘सब कुछ ठीक नहीं था’

 रणघोष अपडेट. देशभर से 

बिहार की राजनीति किसी बॉलीवुड फिल्म नहीं बल्कि टीवी धारावाहिक की तरह है, जहां एक नहीं अपितु कई क्लाइमैक्स और एंटी क्लाइमैक्स होते हैं। अब एक बड़े नाटकीय मोड़ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन में राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर को सौंप दिया। राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उन्हें कार्यवाहक सीएम नियुक्त कर दिया।

जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने इस्तीफा सौंपने के बाद संवाददाताओं से कहा, “आज मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और राज्यपाल से राज्य में सरकार भंग करने के लिए भी कहा है। यह स्थिति इसलिए आई क्योंकि सब कुछ ठीक नहीं था। मुझे सभी से विचार मिल रहे थे। मैंने उन सभी की बात सुनी। आज, सरकार भंग कर दी गई है।”बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें बताया कि जद(यू) ने राज्य में महागठबंधन से नाता तोड़ने का फैसला किया है। यह घटनाक्रम इस चर्चा के बीच आया है कि नीतीश भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में फिर से शामिल हो जाएंगे, जिससे राज्य में ‘महागठबंधन’ शासन का अंत हो जाएगा।गौरतलब है कि बीते कुछ दिन बिहार की राजनीति को लेकर गरम रहे हैं। शीतलहर के बीच चर्चाओं का दौर जारी रहा है। आरजेडी, जेडीयू और भाजपा ने मैराथन बैठकें की। नीतीश कुमार और उनके डिप्टी सीएम तेजस्वी की दूरी भी उजागर हुई। बयानबाज़ी भी हुई।बिहार में एक दो दिन से सत्तारूढ़ जेडी (यू)-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन टूटने की कगार पर है, क्योंकि ऐसी संभावना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से एनडीए में शामिल हो सकते हैं, जिस गठबंधन से उन्होंने 2022 में ‘महागठबंधन’ बनाने के लिए अपने रास्ते अलग कर लिए हैं।राज्य में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम की शुरुआत पूर्व सीएम और राजद प्रमुख लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के एक सोशल मीडिया पोस्ट से हुई, जिसमें उन्होंने जद (यू) पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जबकि ‘समाजवादी पार्टी’ शैली स्वयं प्रगतिशील होने के कारण, इसकी विचारधारा हवा के बदलते पैटर्न के साथ बदलती रहती है।इससे पहले रोहिणी आचार्य ने एक ताजा पोस्ट में कहा था कि ‘सांप्रदायिक ताकतों’ के खिलाफ उनकी लड़ाई मरते दम तक जारी रहेगी। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ”सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ हमारी लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी।”बिहार में भाजपा के पास सबसे अधिक 17 सांसद हैं, जहां लोकसभा सदस्यों की कुल संख्या 40 है। नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली जद (यू) के पास 16 हैं, जबकि एनडीए की एक अन्य सहयोगी एलजेपी अब चाचा-भतीजे के बीच बंट गई है। पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान की जोड़ी में छह है। 243 की बिहार विधानसभा में राजद के 79 विधायक हैं; इसके बाद भाजपा के 78; जद (यू) की 45′, कांग्रेस की 19, सीपीआई (एम-एल) की 12, सीपीआई (एम) और सीपीआई की दो-दो, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) की चार सीटें, और एआईएमआईएम की एक सीट, साथ ही एक निर्दलीय विधायक। अगर नीतीश पाला बदलते हैं तो यह चौथी बार होगा जब वह पाला बदलेंगे।

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