मंडी में सरकारी खरीद शुरू करने का दावा कर दिया, व्यवस्था कुछ नहीं: विद्रोही

स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि भाजपाजजपा सरकार ने एख अप्रैल से हरियाणा में गेहूं, सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद तो शुरू की कर दी लेकिन खरीद व्यवस्थाएं आधीअधूरी है। विद्रोही ने कहा कि लगता है कि भाजपा खट्टर सरकार गेहूं, सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद का दिखावा ज्यादा कर रही है1 पर उचित व्यवस्था करके खरीद प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में अक्षम साबित हो रही है। कोविड प्रोटोकॉल के बहाने बहुत कम किसानों की फसली खरीदी जा रही है1 दक्षिणी हरियाणा में खरीद सेंटर आवश्यकता अनुसार नहीं है1 गेहूंसरसों खरीद का सरकारी पोर्टल सही ढंग से काम नहीं कर रहा1 जिसके चलते किसानों को काफी परेशानियां हो रही है। खरीद प्रक्रिया की अनावश्यक शर्तो से किसान अलग परेशान है।  विद्रोही ने कहा किसान आंदोलन के दबाव में सरकार किसान हितैषी होने का दिखावा तो कर रही पर है उसकी कथनीकरनी में भारी अंतर है1 शुरू के दिनों में गेहूं, सरसों की खरीद धीमी गति से प्रारंभ हुई है, उससे तो सभी किसानों की फसलें खरीदने में बहुत समय लगेगा1 सरकार जानबूझकर खरीद प्रक्रिया को धीमा कर रही है ताकि सभी किसानों का गेहूं, सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदना पड़े। सरकार की नीयत साफ नहीं है। दक्षिणी हरियाणा में फसल खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि अधिकतम किसानों की हर रोज गेहूं सरसों खरीदी जा सके। भाजपा सरकार ने गेहूं खरीद में नमी मानक 14 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दी1 वहीं मिश्रण मानक 0.75 प्रतिशत से घटाकर 0.50 प्रतिशत कर दिया जो बताता है सरकार की नीयत किसानों का गेहूं खरीदने की बजाय किसानों का गेहूं खरीदा जाए। इसमें ज्यादा मंडियों में तो पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था है और ही किसानों को गर्मी से बचाने का उचित प्रबंध है। लाख दावों के बावजूद खरीफ फसलों को समय पर उठान नही हो पा रहा1 फसल खरीद के सरकार के हर दावे अभी तक तो खोखले साबित हुए है

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