मुझे गर्व है मेरे माता-पिता के संघर्ष पर

 पापा जब छोटे थे दादा जी चल बसे, मै समझदार हुई तो पापा ने साथ छोड़ दिया, मम्मी हमारी सबकुछ है..


– ग्यारहवीं कक्षा में मैंने राज्य स्तरीय गीता जयंती प्रतियोगिता के अंतर्गत निबंध लेखन में रेवाड़ी जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया।


रणघोष खास. कोमल की कलम से 


मेरा नाम कोमल है। मेरे पिता का नाम सुबे सिंह एवं माता जी का नाम नवीन देवी है। मै गांव गुगोढ़ के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 12 वीं की छात्रा हूं। मेरे पिता दादा जी के निधन के कारण आठवीं कक्षा तक ही पढ़ पाए थे क्योंकि घर की सारी जिम्मेदारी पापा पर गई थी। मेरे पापा कृषि करके घर का खर्चा संभालते थे। कुछ समय बाद दादी जी ने पापा की शादी कर दी, उधर मम्मी भी घर की आर्थिक स्थिति ठीक होने के कारण कम पढ़ पाई थी। पापा की शादी के एक साल बाद दादी जी का भी निधन हो गया, इस दौरान दादी जी का साथ छूट गया, फिर एक साल बाद मेरा जन्म हुआ। हम दो बहनें हैं, एक हमारा छोटा भाई है। मेरे पापा बहुत मेहनती थे, लेकिन कुछ समय बाद पापा के शरीर ने काम करना छोड़ दिया, उस दिन से मम्मी का जीवन कई कठिनाइयों से होकर गुजरा। मम्मी ने पापा को डॉक्टरों को दिखाया लेकिन पापा ठीक नहीं हुए और एक दिन हम सब को अकेला छोड़ कर चले गए। इस बीच घर की सारी जिम्मेदारी मम्मी पर गई और मम्मी ने हर मुश्किल कठिनाई का सामना किया और धीरेधीरे घर को संभाल लिया।मम्मी हम तीन बहन भाइयों को पढ़ाती रही हम मन लगाकर पढ़ने लगे। ग्यारहवीं कक्षा में मैंने राज्य स्तरीय गीता जयंती प्रतियोगिता के अंतर्गत निबंध लेखन में रेवाड़ी जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उसके बाद कुरुक्षेत्र में राज्य स्तर पर होने वाली निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। स्कूल के प्राचार्य श्रीवीरेंद्र सिंह ने गणतंत्र दिवस पर मुझे गांव वालों की उपस्थिति में विद्यालय में सम्मानित किया। 12वीं कक्षा में भी मैंने ऑनलाइन निबंध लेखन प्रतियोगिता में खंड स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया जिसके लिए स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुझे एसडीएम श्री कुशल कटारिया द्वारा सम्मानित किया गया। अपने सभी शिक्षकों के साथ मैं विशेष रुप से श्री राकेश सर और चंचल मैम की आभारी हूं जिन्होंने मेरा समयसमय पर मार्गदर्शन किया। मैं निरंतर पढ़ाई के क्षेत्र में मेहनत करते हुए अपनी मम्मी के सपनों को पूरा करूंगी। जीवन में पहली बार अपने परिवार को और माता के जीवन को इतने करीब से जानने का अवसर मिला इसके लिए मैं अपने शिक्षक राकेश सर एवं दैनिक रणघोष समाचारपत्र का आभार जताती हूं।

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