मोदी के भाई ने ही अमित शाह के बेटे की योग्यता पर क्यों उठाए सवाल?

गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को बीसीसीआई में ज़िम्मेदारी दिए जाने पर विपक्षी दलों के नेता तो सवाल उठाते रहे थे लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने ही सवाल उठाए हैं। ये सवाल उनकी योग्यता को लेकर हैं। उन्होंने कहा है कि ‘गृहमंत्री के बेटे जय को, जिनका क्रिकेट में कोई योगदान नहीं है, क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ज़िम्मेदारी क्यों दी गई है’। उन्होंने राजनाथ सिंह के बेटे को सांसद बनने, कैलाश विजयवर्गीय के बेटे के विधायक बनाए जाने पर भी सवाल उठाया।

प्रह्लाद मोदी ने यह बात ‘बीबीसी’ के साथ एक इंटरव्यू में कही है। वह अपनी बेटी को स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने की आशंकाओं को लेकर एक सवाल के जवाब में बोल रहे थे। गुजरात में 21 फ़रवरी और 28 फ़रवरी को दो चरणों में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं। अमित शाह के बेटे पर यही वे आरोप हैं जो बीसीसीआई में उनके सचिव बनने के बाद से लगते रहे हैं। अभी कुछ दिनों पहले जय शाह को एशियाई क्रिकेट परिषद का अध्यक्ष चुने जाने के बाद फिर से इस तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।  राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि जय शाह को एशियाई क्रिकेट परिषद का अध्यक्ष चुना जाना बीजेपी की योग्यता शैली पर सवालिया निशान लगाता है। राहुल ने इसको बीजेपी का मेरिटोक्रेसी स्टाइल बताया है। अक्टूबर 2019 में जय शाह को बीसीसीआई में ज़िम्मेदारी दिए जाने की इतनी आलोचना हुई थी कि बीसीसीआई अध्‍यक्ष सौरव गांगुली को सफ़ाई देनी पड़ी थी। उसी साल दिसंबर महीने में इंडिया टुडे कॉन्‍क्‍लेव में गांगुली ने बीसीसीआई में जय शाह की नियुक्ति से जुड़े सवाल के जवाब में कहा था, ‘आपको पता है कि इंडिया में इस बात को लेकर काफ़ी हल्‍ला होता है कि यदि आप किसी ताकतवर आदमी के बेटे या बेटी हैं तो फिर किसी चीज में शामिल नहीं हो सकते। जैसे आप देखेंगे कि सचिन लोगों से कहते हैं कि उनके बेटे के साथ एक क्रिकेटर के रूप में बर्ताव किया जाए न कि सचिन तेंदुलकर के रूप में। उनका सरनेम भूलकर यह देखो कि वह अच्‍छा है या नहीं।’चुनाव के लिए उम्मीदवारों के लिए मानदंडों में कहा गया है कि 60 साल से अधिक आयु के लोगों, नेताओं के रिश्तेदारों और जो लोग पहले से ही कॉर्पोरेशन में तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा। इसी को लेकर प्रह्लाद मोदी ने ‘बीबीसी’ से बातचीत में कहा कि उनकी बेटी सोनल मोदी चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन ऐसे मानदंडों से उनका चुनाव लड़ना मुश्किल हो जाएगा।

इंटरव्यू के दौरान बीबीसी ने एक सवाल किया- “एक दैनिक समाचार पत्र ने आपके बयान को प्रकाशित किया है- कि ‘जिस तरह का व्यवहार मेरी बेटी को मिलेगा, उससे यह साफ़ हो जाएगा कि संसदीय बोर्ड पीएम मोदी का कैसे सम्मान करता है’। इस सवाल के जवाब में प्रह्लाद मोदी ने कहा, ‘ऐसा बयान देने के पीछे एक कारण है। पार्टी जो भी नियम बनाती है, वो पूरे भारत में, पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं पर लागू होते हैं। अगर राजनाथ सिंह के बेटे सांसद बन सकते हैं, अगर मध्य प्रदेश के वर्गीस जी के बेटे विधायक हो सकते हैं और अगर गृहमंत्री के बेटे जय, जिनका क्रिकेट में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं है (कम से कम मेरी जानकारी में) और ना ही मैंने उनकी इस क्षेत्र में किसी उपलब्धि के ही बारे में पढ़ा है, बावजूद इसके उन्हें क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ज़िम्मेदारी दी गई है। उनके पास क्या कोई डिग्री है कि वो सरकार के लिए उपयोगी हैं? और बीजेपी समेत दूसरे पक्षों से उन्हें लगातार सपोर्ट मिल रहा है। और अगर वो क्रिकेट बोर्ड के सचिव बन सकते हैं तो पार्टी दो सामानांतर तरीक़ों से काम कर रही है।’हालाँकि प्रह्लाद मोदी ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘हम पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल करके अपनी ज़िंदगी नहीं चलाते हैं। हमारे परिवार के सभी सदस्य कठिन परिश्रम करते हैं, कमाते हैं और उसी से अपना ख़र्च चलाते हैं। मैं राशन की एक दुकान चलाता हूँ। बीजेपी में हमारे परिवार की ओर से कोई भाई-भतीजावाद नहीं है। नरेंद्र मोदी ने साल 1970 में घर छोड़ दिया था और पूरे भारत को ही अपना घर बना लिया। इस तरह भारत का हर नागरिक उनका रिश्तेदार है। वह ख़ुद भी ऐसा कहते रहे हैं।’

एक बच्चा भी मोदी के आसपास क्यों नहीं?

‘बीबीसी’ एक सवाल के जवाब में प्रह्लाद कहते हैं कि जब नरेंद्र भाई बा से मिलने आते हैं तो उस समय आपको परिवार का एक बच्चा भी आसपास नहीं दिखाई देगा। वह कहते हैं, ‘वो पंकज के यहाँ जाते हैं, क्योंकि बा वहीं रहती हैं। लेकिन इस बात का क्या मतलब कि जैसे ही वो वहाँ पहुँचते हैं, परिवार का कोई सदस्य वहाँ नहीं हो सकता? सिर्फ़ नरेंद्र भाई ही बा के साथ बैठ सकते हैं। मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए होता होगा ताकि तस्वीरें ज़्यादा साफ़ मिलें। या फिर हो सकता है कि नरेंद्र भाई सोचते होंगे कि जैसे उन्होंने घर छोड़ दिया है और उन्हें परिवार की ज़रूरत नहीं है, तो तस्वीर में भी परिवार नहीं आना चाहिए। यह सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि नरेंद्र भाई क्या सोचते हैं।’

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