यह कैसा गांवों में विकास का दावा है….एक साथ 7 ब्लॉक की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी ने परेशान होकर दिया इस्तीफा, जिले में अब कोई पंचायत विकास अधिकारी नहीं

 रणघोष खास. रेवाड़ी


पता नहीं क्या सोचकर विधायक एवं मंत्री ग्रामीण क्षेत्र में विकास कार्य करवाने का दावा कर रहे हैं। हकीकत में हालात एकदम उलट है। जिले में सात खंड कार्यालय है। एक रिटायर अधिकारी को अनुबंध पर लगाकर प्रशासन ने जिले के सभी खंड कार्यालयों की जिम्मेदारी दे दी। परेशान होकर इस अधिकार ने भी अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। इसी तरह जिले में जिला पंचायत एवं विकास अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार भी एसडीएम कोसली को दिया हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार के मंत्री एवं विधायक किस आधार पर यह दावा कर रहे हैं कि गांवों  में विकास कार्यो की कोई कमी नहीं है। क्या बिना अधिकारी के फाइलें आगे चलती रहती है। खंड पंचायत एवं विकास अधिकारी का ऐसा पद है जिसके हस्ताक्षर के बिना गांव में विकास की एक ईंट तक लगना आसान नहीं है।

गौर करिए कुछ दिन पहले पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को तीन माह के भीतर गांवों में अवैध कब्जों को हटाकर रिपोर्ट देने के आदेश जारी किए थे। ऐसे में बिना खंड पंचायत विकास अधिकारी के बिना कैसे कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। यह सबसे बड़ा सवाल है। रिटायर के बाद अनुबंध पर खंड पंचायत विकास अधिकारी का कार्यभार संभाल रहे राजेंद्र सिंह ने दो दिन पहले परेशान होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके पास जिले के सभी खंड जाटूसाना, नाहड़,  खोल, बावल, रेवाड़ी, डहीना एवं धारूहेड़ा पंचायत एवं विकास कार्यालयों का चार्ज दिया हुआ था। इन कार्यालयों के माध्यम से ही ग्राम सचिवों से कार्य करवाया जाता है। यह हैरान करने वाली बात यह है कि एक अधिकारी एक साथ  जिले के सभी खंड कार्यालयों को कैसे संभाल सकता है।

एक सप्ताह में पांच दिन कार्यदिवस होते हैं। एकाध अलग से अवकाश हो जाता है। ऐसे में कल्पना करिए किसी गांव के कार्य को करवाने के लिए एक सप्ताह बाद ही अधिकारी से संपर्क हो पाएगा वह भी बड़ी मुश्किल से। नियमित अधिकारी के तौर पर कार्यरत विशाल यादव पहले ही लंबी छुट्‌टी पर चल रहे हैं। इसी तरह जिला पंचायत एवं विकास अधिकारी का पद भी कई माह खाली है। जिसकी अतिरिक्त जिम्मेदारी कोसली एसडीएम कुशल कटारिया को दी हुई है। जिला मुख्यालय से कोसली एसडीएम कार्यालय की दूरी 35 किमी के आस पास है। ऐसे में सोचिए एसडीएम कैसे कोसली की बड़ी जिम्मेदारी संभालते हुए रेवाड़ी आकर जिले के पंचायत एवं विकास अधिकारी की जिम्मेदारी संभालते होंगे। ऐसे में विकास कार्यो का दावा हकीकत में कितना मजबूत है। यह मौजूदा हालात आसानी से बयां सकते हैं। गांव के सरपंचों, जिला पार्षदों में रोष है कि आखिर हो क्या रहा है। ग्रामीणों एवं पंचायतों को विकास कार्य करवाने के लिए काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *