कोरोना वैक्सीन के मामले में आगे भारत, 2022 के अंत तक हर एक को लग सकता है टीका

कोविड-19 से जंग में सबकी आस कोरोनारोधी टीके के आने पर टिकी है। हालांकि, टीका उत्पादन, उसके प्रभाव और वितरण की राह में अभी कई चुनौतियां हैं। लेकिन, उम्मीद है कि भारत की आबादी का पूरी तरह से टीकाकरण 2022 के अंत तक हो पाएगा। प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक डॉ. गगनदीप कंग ने इस बाबत विस्तार से बातचीत की। डॉ. कंग कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (सीईपीआई) की उपाध्यक्ष और तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) में प्रोफेसर हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया में अभी तक किसी भी टीके को कोविड -19 वैक्सीन की तरह इतनी तेजी से विकसित नहीं किया गया है। भारत वैश्विक स्तर पर कोरोनारोधी टीके के विकास और निर्माण में सबसे आगे है। हालांकि, सबसे गरीब और कमजोर लोगों को टीका मुहैया कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। डॉ. गगनदीप कंग ने उम्मीद जताई कि भारत के पास 2021 की पहली तिमाही में एक अधिकृत टीका होगा। सबसे अधिक संभावना सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की है। इसके बाद भारत बॉयोटेक, गामालेया, बायो ई और जायडस के टीके के आने के प्रबल आसार हैं। कंग ने कहा कि टीकों के वितरण में समय लगेगा। यह 2022 की पहली तिमाही तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सभी भारतीय आबादी के लिए पूरी तरह से टीकाकरण 2022 के अंत या 2023 की शुरुआत तक हो जाएगा।

टीका मुफ्त होना चाहिए

कंग ने कहा कि सरकार की ज़िम्मेदारी है कि सार्स-सीओवी2 और राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों में अनुशंसित किसी भी अन्य टीके के बीच अंतर नहीं होना चाहिए। इसलिए सरकार द्वारा प्रदान किया गया कोई भी टीका मुफ्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में बहुत से लोग सरकार से टीका नहीं लेते हैं। बल्कि निजी अस्पतालों से बहुत अधिक कीमत पर टीका लगवाते हैं। भारत में अभी मौजूदा टीकों के लिए दो स्तरीय टीका प्रणाली मौजूद है। लेकिन, कोरोनारोधी टीके को लेकर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में सबसे ज्यादा जरूरत वाले लोगों को पहले टीके लगवाने चाहिए।

टीका वितरण के बारे में जल्द मानक प्रक्रिया बनाई जाए

अब तक सरकार द्वारा अनुशंसित सभी टीके सरकारी एजेंसियों द्वारा वितरित किए गए हैं। कंग ने सुझाव दिया कि सरकार को टीके के मूल्य, वितरण और उसके रखरखाव के बारे में एक मानक प्रक्रिया के तहत जल्द से जल्द व्यापक योजना बनाई जानी चाहिए, क्योंकि पहले कभी इस तरह के चुनौतीपूर्ण कार्य को नहीं किया गया है।

प्रशिक्षित लोगों की जरूरत ज्यादा

कोरोनारोधी टीके के लिए सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम के लिए अधिक प्रशिक्षित लोगों की जरूरत होगी। टीकों को संचालित करने के लिए अचानक अधिक मांग से निपटने की व्यवस्था करनी होगी। टीकाकरण अभियान स्वास्थ्य सेवाओं में स्थायी सुधार की नींव रखेगा। कंग ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा वितरण न केवल स्वास्थ्य में सुधार के लिए बल्कि पुराने और नए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रोजगार और कौशल के लिए एक अवसर है। उम्मीद है कि यह टीकाकरण अभियान भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में स्थायी सुधार की नींव रखेगा।

वैक्सीन राष्ट्रवाद बड़ी चिंता

डॉ. कंग ने कहा कि वैक्सीन राष्ट्रवाद बहुत बड़ी चिंता है। यह एक वैश्विक समस्या है और यह समझना महत्वपूर्ण है कि भले ही हम वैश्विक व्यापार और यात्रा के साथ अपनी पूरी आबादी का पहली बार टीकाकरण करें, लेकिन जब तक दुनिया में कहीं न कहीं संक्रमण है, हम लगातार कमजोर होते जा रहे हैं। दुनिया के लोगों के लिए यह बेहतर है कि वे दुनिया भर में प्राथमिकता वाली आबादी को टीकों के समान वितरण का समर्थन करें।

सुरक्षा और पारदर्शिता सबसे ज्यादा जरूरी

डॉ. कंग ने कहा कि सभी टीकों, खासकर महामारी के नए रूप के लिए सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि है। सुरक्षा निगरानी की सामान्य प्रक्रिया यह है कि यदि कोई गंभीर प्रतिकूल घटना (आमतौर पर अस्पताल में भर्ती या मृत्यु) होती है, तो उस जगह का मुख्य निगरानीकर्ता घटना की बाबत अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करेगा और सारी जानकारी आधिकारिक समीक्षा बोर्ड या समिति को देगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गंभीर प्रतिकूल घटना स्पष्ट रूप से टीकाकरण से संबंधित है या नहीं। बस उसकी रिपोर्ट होनी चाहिए। संभव है कि एक ट्रायल प्रतिभागी को किसी कार ने टक्कर मार दी और फ्रैक्चर हो गया या एक प्रतिभागी को अचानक दौरे पड़ गए। सभी गंभीर प्रतिकूल घटनाओं की सूचना दी जानी चाहिए।

जोखिम बनाम लाभ 

आधिकारिक समिति को रिपोर्ट करने के बाद, प्रायोजक, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) और स्वतंत्र डेटा सुरक्षा और निगरानी बोर्ड (डीएसएमबी) कमेटी को भी सूचित करना चाहिए। प्रतिभागी को कोई गंभीर या स्थायी चोट लगी है तो उसके मुआवजे के सवाल का भी समाधान होना चाहिए। इसके अलावा जोखिम बनाम लाभ के लिए इसका क्या अर्थ है? क्या टीका विकास कार्यक्रम जारी रहना चाहिए।

एक या दो मामलों से निर्धारित करना मुश्किल

उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर एक या दो मामलों में यह निर्धारित करना बहुत मुश्किल है कि क्या टीकाकरण गंभीर प्रतिकूल घटना से संबंधित है। जब आप साफ तौर पर स्वस्थ लोगों का टीकाकरण करते हैं और उनकी स्वास्थ्य गतिविधियों की निगरानी करते हैं तो पता चलता है कि वे सभी स्वस्थ नहीं हैं जैसा कि वह दिखते थे। मधुमेह, किडनी रोग या न्यूरोलॉजिकल विकार हो सकते हैं। यह बहुत चुनौतीपूर्ण है, जब तक कि मामलों में बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं होती है।

टीका देने में पूर्ण पारदर्शिता आवश्यक

डॉ. कंग ने कहा कि स्वस्थ लोगों को टीके दिए जाने की प्रक्रिया के बारे में पूर्ण पारदर्शिता आवश्यक है। परीक्षणों में एक या दो मामलों के लिए रोका जा रहा है और फिर से शुरू किया गया है। यह वास्तव में अच्छी खबर है कि प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर प्रत्येक गंभीर प्रतिकूल घटना की रिपोर्टिंग की एक प्रणाली होनी चाहिये। एक प्रतिभागी के बारे में सभी जानकारी समाचार पत्रों में प्रकाशित नहीं की जाए, लेकिन जांचकर्ताओं, संस्थागत समीक्षा बोर्ड / समितियों, प्रायोजकों, डीएसएमबी और नियामकों को उपलब्ध होगी, जो निर्धारित करें कि प्रतिभागियों के सर्वोत्तम हित में क्या है। हालांकि, बढ़ी हुए चिंताओं के साथ वर्तमान स्थिति को देखते हुए सार्वजनिक प्लेटफार्म पर अधिक जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए। हालांकि, यह तय करना नियामकों पर निर्भर करता है कि क्या ऐसा होना चाहिए, कितनी जानकारी साझा की जानी चाहिए और किस प्रारूप में होनी चाहिए।

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