यूपी भी अब गजब: दो सत्र से एक भी टीचर नहीं, फिर भी बेटियों को सर्टिफिकेट बांट रहा यह स्कूल

यूपी बोर्ड ने अपनी परीक्षा तिथि का ऐलान कर दिया है। बोर्ड परीक्षा के लिए केन्द्र निर्धारण से लेकर अन्य तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। परीक्षार्थी भी अपनी तैयारी में जुटे हैं। दूसरी ओर जमीनी सच यह है कि तमाम सरकारी स्कूल भी बिना शिक्षक ही सर्टिफिकेट बांट रहे हैं। कुछ राजकीय बालिका इंटर कालेजों में तो पिछले दो-तीन सत्र से एक भी अध्यापक नहीं है। उन विद्यालय के कमरों का ताला तक नहीं खुला और छात्राओं के सर्टिफिकेट बांटे जा रहे हैं।

ऐसा ही एक विद्यालय है राजकीय बालिका इंटर कालेज बांसडीह। यहां पिछले सत्र से ही एक भी अध्यापक नहीं है। 18 क्लास रूम व तीन लैब वाले इस विद्यालय में पिछले सत्र में करीब 20 छात्राओं ने प्रवेश लिया था, जबकि इस बार यह संख्या एक दर्जन से अधिक है। पिछले सत्र में भी अध्यापक के अभाव में पढ़ाई नहीं हो सकी और इस सत्र में भी यही हाल रहा।

करीब बीस वर्ष पहले बांसडीह-मनियर माग्र पर स्थापित इस स्कूल में कक्षा छह से 12 तक की साइंस व आर्ट्स के पढ़ाई की व्यवस्था है। बताया जाता है कि कुछ साल पहले तक यहां 15 से 20 शिक्षिकाएं तैनात थीं लेकिन पिछले दो साल से शिक्षिकाओं के अभाव में विद्यालय करीब-करीब बंद हो गया है। 31 मार्च 2019 को यहां तैनात आभा श्रीवास्तव रिटायर हो गयीं। उसके बाद कोई नियुक्ति नहीं हुई।

उस समय बालिकाओं को पढ़ाने के लिए संविदा पर दो अध्यापिकाओं को रखा गया लेकिन वर्ष 2020 में वह भी नहीं रहीं। मौजूदा सत्र भी बिना शिक्षिका ही बीत गया। राजकीय इंटर कालेज में तैनात नित्यानंद श्रीवास्तव को जीजीआईसी बांसडीह की भी जिम्मेदारी दी गयी। हालांकि उनकी भूमिका कभी-कभार कालेज का गेट खोलवाने व बंद कराने तक ही होती है। गुरुवार को भी कालेज पूरी तरह बंद मिला।

बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक  बृजेश मिश्र ने कहा कि जिले के राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों-शिक्षिकाओं की कमी है। आयोग से अब जिले को 60 अध्यापक मिले हैं। उनकी तैनाती विभिन्न विद्यालयों में की गयी है। कुछ और शिक्षक भी जल्द मिलने वाले हैं। उम्मीद है कि अगले सत्र से पठन-पाठन सुचारू हो जाएगा।

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