रणघोष की सीधी सपाट बात : पार्कों के चौकीदार ही एक दूसरे को चोर बताने लगे, पढ़ेगे तो हैरानी होगी किस पर करे भरोसा

रणघोष खास. सुभाष चौधरी

 रेवाड़ी शहर में पार्कों की रखवाली को लेकर मच रहे शोर का असल सच सामने आ रहा है। चिंता इस पर खर्च होने वाले बजट के मिलने या नहीं मिलने की नहीं है। ना ही काम करने के तौर तरीकों में पारदर्शिता की है। यह तो मीडिया में तरह तरह की खबर छपवाकर जनता के दिमाग को इधर उधर कर अपने खेल को पूरा करना है। रणघोष आपको बता रहा  असलित क्या है।

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जिस आरडब्ल्यूए सेक्टर चार पर 14 पार्कों की रख रखाव का जिम्मा है। वह इसलिए विवादों में आई कि  आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ कि उसका कार्यकाल तो बहुत पहले ही खत्म हो चुका है। इसलिए वह नप से पार्कों का बजट किस हैसियत से ले सकती है। असल सच यह है कि इस एसोसिएशन का गठन ही जिला रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी द्वारा प्रशासक नियुक्त कर 2021 में किया गया था। जिसका कार्यकाल 2024 में पूरा होना है। इस दौरान इस विभाग द्वारा समय समय पर एसोसिएशन से पत्राचार भी होता रहा है जिससे यह साबित हो रहा था कि यह वैध संगठन है। दरअसल चुनाव कराते समय नियुक्त प्रशासकों एवं उनके सहयोगियों का खर्चा संबंधित संगठन को वहन करना होता है जो करीब दो लाख रुपए के लगभग का बताकर आरडब्ल्यूए की नई बॉडी को देने के लिए कहा गया। आरडब्ल्यूए इससे अनजान थी और ना ही उसके पास इतना फंड था कि वह इसे वहन कर सके। एसोसिएशन से जुड़े सदस्य इस राशि के दिए जाने के एकदम खिलाफ थे। उनका कहना है कि चुनाव कराना सरकारी विभाग की डयूटी में आता है। यही से ही दूरियां बननी शुरू हो गईं। नतीजा सोसायटी के रिकार्ड में आरडब्ल्यू के चुनाव का पूरा विवरण नहीं आया। आरडब्ल्यूए के सदस्यों का कहना है कि प्रशासक के नाम पर चुनाव कराने के पीछे एक बड़ा खेल है जिसमें चालाकी से संबंधित संगठनों से अच्छी खासी वसूली की जाती है। चुनाव को नियमों का हवाला देकर लंबा खिंचा जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा बिल बनाकर वसूली की जा सके। इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो यह  नए तरह का भ्रष्टाचार सामने आएगा। इसी लड़ाई में नगर पार्षद विजय राव ने आरटीआई के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर नप की अप्रूवल कमेटी के समक्ष आपत्ति दर्ज करा दी की जिसका कार्यकाल ही नहीं बचा उसे पार्कों की पेमेंट कैसे दी जा सकती है। यहां जिला रजिस्ट्रार कार्यालय घेरे में नजर आ रहा है।  उधर नेहरू पार्क समेत चार पार्कों के रखरखावल को संभाल रही रेजागंला पार्क विकास समिति भी पूरी तरह से विवादों में हैं। यहां से समिति की तरफ से परमात्मा शरण यादव की कार्यप्रणाली पर नेहरू पार्क विकास समिति के अध्यक्ष दीपक मंगला ने कुछ माह पहले नप में शिकायत दर्ज करा दी थी। जिस पर परमात्मा शरण ने दीपक मंगला की नई अनाज मंडी में आढ़त की दुकान में अन्य व्यवसाय चलाने का आरोप लगाकर सीएम विंडो लगा दी। यानि मसला पार्कों की रखरखाव का नहीं होकर एक दूसरे की असलियत सामने लाकर दबाने बनाने का हो गया। परमात्मा शरण यादव की स्थिति यह है कि समिति में उनके सदस्य ही उसके खिलाफ हो गए हैं। वे अप्रत्यक्ष तोर पर  जिस ठेकेदार से पार्क का कार्य करवा रहे हैं उसने ही उन पर गंभीर आरोप लगा दिए हैं। समिति में ही सदस्य मीडिया में जानकारी देकर एक दूसरे की पोल खोलकर दबाव बना रहे हैँ। अब जब आपस में लेन देन को लेकर सहमति बन गई तो चुप्पी साध गए। इस समिति की स्थिति यह है कि इसके तहत बनाए गए वाटसअप ग्रुप में उन सदस्यों को हटा दिया गया जो असलियत से पर्दा हटा रहे थे। यानि बजाय सच को सामने लाने के  उसे दबाने में लग गए।  कुल मिलाकर पार्को के रखरखाव के नाम पर जो शोर मचाया जा रहा है दरअसल वह दिखावा है। सच्चाई है कि सभी एक दूसरे के निजी हाथ आपस में टकरा रहे हैं। जहां लेन देन में समझौता हो गया वे चुप्पी साध गए जिन्हें नहीं मिला वे मीडिया प्लेटफार्म पर चालाकी से अपना खेल खेल रहे हैं।  

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