रणघोष की सीधी सपाट बात

भाजपा के खिलाफ जा रही राव की मन की बात, 2024 से पहले ना बदल जाए कहानी..  


रणघोष खास. सुभाष चौधरी

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह सोमवार को एक बार फिर अपने पुराने तेवर में नजर आए। बातों ही बातों में वो सब बातें कह गए जो किसी भी लिहाज से भाजपा के मिजाज से मेल नहीं खाती है। राव इंद्रजीत सिंह मौका एवं अवसर  देखकर अपने इन्हीं अंदाज और लहजों से दक्षिण हरियाणा की राजनीति को पूरी तरह गरमा जाते हैं।

सोमवार को एक कार्यक्रम में राव ने कहा कि वे जो कुछ भी है जनता की वजह से हैं। वह साथ खड़ी रहे तो जंग के लिए तैयार है। हमें हमारी हक की लड़ाई लड़नी ही पड़ेगी। अगर हम संघर्ष नहीं करेंगे तो कोई हमें नहीं पूछेगा। इस इलाके ने भाजपा की हरियाणा में दो बार सरकार बनाईं। राव ने सीधे तौर पर अपनी ही पार्टी की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़े करते हुए कहा कि  दक्षिण हरियाणा की बात उस समय तक सुनी जाती है जिस दिन चुनाव होता है।इसके बाद चंडीगढ़ जाकर सबकुछ भूला दिया जाता है। हमारे साथ ऐसा करने वालों को यह याद रखना चाहिए कि इस इलाके का इतिहास 1857 की क्रांति से शुरू होकर आज तक गौरवशाली रहा है। हमारा दुर्भाग्य रहा कि देश की आजादी के लिए हुई क्रांति के बाद से दक्षिण हरियाणा को कभी संगठित नहीं होने दिया। मजबूत एवं एकजुट होगे भी तभी किसी मुकाम को हासिल कर पाएंगे।

भाजपा का मकसद पूरा, राव अब अलग थलग

पिछले आठ सालों में भाजपा की केंद्र सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री राव को इस पार्टी ने ऐसा कोई प्लेटफार्म या अलग से ताकत नहीं दी जो उनकी 45 साल पुरानी मजबूत राजनीति विरासत को मजबूत कर सके। उलटा जितना समय उनकी राजनीति को हो गया उतनी उम्र के नेता केंद्र में कैबिनेट मंत्री के तौर पर उनसे सीनियर बने हुए हैं। रही सही कसर अब गुरुग्राम में अपना स्थाई निवास बनाकर पूरे देश की राजनीति को संभाल रहे केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने पूरी कर दी। राव की राजनीति का मौजूदा ब्लड प्रेशर चैक करने के लिए उनके धुर विरोधी  नांगल चौधरी के विधायक अभय सिंह यादव को स्वतंत्रता दिवस पर गृह क्षेत्र रेवाड़ी जिला मुख्यालय का मुख्य अतिथि बनाकर भेज दिया। ऐसे में राव का गुस्सा आना वाजिब है। यहां बता दे की जब राव ने भाजपा ज्वाइन की उस समय भाजपा के पास दक्षिण हरियाणा में ऐसा कोई प्रभावशाली नेता नहीं था जिसके पास जमीनी जनाधार हो। 8 सालों में बहुत कुछ बदल चुका है जिसमें राव मजबूत होने की बजाय सिकुड़ते चले गए।

पीएम मोदी का राजनीति में परिवारवाद पर लगातार हमला

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी पीएम मोदी ने परिवारवाद की राजनीति एवं भ्रष्टाचार को खत्म करने के अपने संकल्प को फिर दोहराया। मतलब साफ है कि भविष्य की राजनीति में अगर राव को भाजपा में रहना है तो उन्हे या तो बेटी आरती राव को मैदान में उतरना पड़ेगा या बेटी की जगह खुद कमान संभालेंगे। दोनों में एक को भाजपा के लिए कुर्बानी देनी होगी। जो किसी भी सूरत में राव को मंजूर नहीं है। उन्हें पता है कि 2024 में आरती राव को राजनीति में स्थापित नहीं किया तो आने वाले समय में सबकुछ बिखरता चला जाएगा। राव उम्र के जिस ढलान पर खुद को स्वस्थ्य  रखे हुए हैं सही मायनों में यही ताकत ही आरती राव के लिए रामबाण है। ऐसे में राव आने वाले दिनों में बागी अंदाज में नजर आए तो बड़ी बात नहीं होगी। भाजपा हाईकमान राव के तेवरों को अलग अलग अंदाज में कई बार देख चुकी है। इसलिए उन्होंने राव को घेरने के साथ साथ उनका विकल्प भी तैयार कर लिया है।

राव की सबसे बड़ी कमजोरी प्रबंधन नहीं होना

राव इंद्रजीत सिंह जमीनी स्तर पर दक्षिण हरियाणा के सबसे बड़े नेता है। उनके समर्थक कम ज्यादा हर गांव में एक ही आवाज में एकत्र हो जाते हैं लेकिन उनके सामने बड़ी चुनौती कुशल प्रबंधन की है। वर्तमान में सार्वजनिक स्थानों व मंच पर जो चेहरे उन्हें घेरे रहते हैं उसमें आधे से ज्यादा बाजारू कार्यकर्ता हैं जो विज्ञापन व कार्यक्रमों पर होने वाले खर्चें का जिम्मा लेकर राव की हैसियत व प्रभाव की ताकत को अपने निजी हितों के एजेंडे को पूरा करने में लगे रहते हैं। मीडिया में जो विज्ञापन देता है जाहिर है सुर्खियां भी बटोर लेता है। ऐसे में राव की चिंता करने वाले समर्थक इन चेहरों को देखकर खुद को पीछा कर लेते हैं। अगर राव ने समय रहते असली- अवसरवादी कार्यकर्ताओं की पहचान कर ली तो वे बड़े नुकसान से बच जाएंगे नहीं तो वे कई मौकों पर इसकी कीमत चुका चुके हैं।

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