रणघोष खास: भाजपा की कमान संभालते हीं अमित शाह ने वरूण गांधी को पद से हटा दिया था, बंगाल की जिम्मेदारी भी वापस ले ली थी

जब तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कमान राजनाथ सिंह के पास थी, तब तक वरुण गांधी का पार्टी में सम्मानजनक ओहदा था। उन्हें पार्टी के महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके अलावा गांधी को पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रभारी भी बनाया गया था। दरअसल, वरूण गांधी को राजनाथ सिंह के बेहद करीबी लोगों में से एक माना जाता है।लेकिन, पीएम मोदी के अलावा अमित शाह से भी वरूण गांधी के अच्छे तालुकात बहुत कम दिखाई दिए हैं। राजनाथ सिंह के बाद जब बीजेपी की कमान मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह के जिम्मे आई थी तो उन्होंने वरुण गांधी को पार्टी महासचिव के पद से से हटा दिया था। इतना ही नहीं, बंगाल की भी जिम्मेदारी उनसे वापस ले ली गई थी।वरूण गांधी और भाजपा के शीर्ष आलाकमानों के बीच टक्करार कोई नया नहीं है। जब साल 2014 लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए जाने को लेकर उठापटक जारी था, तब वरुण ने राजनाथ की तुलना अटल बिहारी वाजपेयी से की थी और उन्हें पीएम उम्मीदवार बनाने की वक़ालत की थी।दरअसल, भाजपा नेता वरुण गांधी को अब पार्टी किनारे लगाने की तैयारी में दिखाई दे रही है। वरूण गांधी साल 2004 में पार्टी में शामिल हुए थे। उन्हें उस वक्त भाजपा के मुख्य रणनीतिकारों लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन का भरपूर समर्थन प्राप्त था। इसके पीछे की बड़ी वजह से ये थी कि पार्टी के शीर्ष आलाकमानों का मानना था कि कांग्रेस के गांधी परिवार का का मुकाबला एक गांधी परिवार ही कर सकता है। लेकिन, अब वरूण गांधी पार्टी की तरफ से सिर्फ एक चुने हुए सांसद हैं। दरअसल, पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अहम बदलाव के साथ अपनी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित पिछले सप्ताह की। इस नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 80 सदस्य शामिल हैं, जिस सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुरली मनोहर जोशी का नाम भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, लिस्ट में लालकृष्ण आडवाणी को भी शामिल किया गया। लेकिन, दिलचस्प है कि इसमें वरुण गांधी और मेनका गांधी को जगह नहीं दी गई।

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