रणघोष खास में पढ़िए : राम मंदिर पर क्या विपक्ष बीजेपी को खेलने का ‘मौका’ दे रहा है ?

रणघोष अपडेट. देशभर से


राम मंदिर मुद्दे पर बीजेपी और बाकी विपक्ष के बीच फिर से तलवारें खिंच रही हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह के मंदिर मुद्दे पर बयान के बाद कांग्रेस और आरजेडी के नेता इस पर बयान देते नजर आए। इससे बीजेपी को राम मंदिर मुद्दे को लेकर विपक्ष पर हमला करने का मौका मिल रहा है।बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह 5 जनवरी को त्रिपुरा में थे। वहां वो पार्टी की रथ यात्रा शुरू करने गए थे। त्रिपुरा में फरवरी में चुनाव हैं। वहां अमित शाह ने अयोध्या में राम मंदिर 1 जनवरी 2024 में खोलने की घोषणा कर दी। यह घोषणा रणनीतिक थी। उसका असर भी हुआ। हालांकि यहां यह बताना जरूरी है कि खुद राम मंदिर ट्रस्ट ने कहा कि है नए बन रहे राम मंदिर में राम लाल की मूर्ति 15 जनवरी को रखी जाएगी और मंदिर की अभी एक मंजिल पूरी होने वाली है। लेकिन अमित शाह की घोषणा 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनावों और 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर थी। बीजेपी चाहती है कि तमाम राजनीतिक दल राम मंदिर पर बयान दें। हुआ भी वही। कांग्रेस और आरजेडी नेताओं के बयान सबसे पहले आए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 6 जनवरी को हरियाणा के पानीपत में थे। वहां भीड़ देखकर वो भावविभोर हो गए। उसी रैली में उन्होंने राम मंदिर वाला बयान दे डाला। खड़गे ने रैली में अमित शाह के बयान के संदर्भ में सवाल किया आप कौन होते हो ऐसा कहने वाले?

क्या आप राम मंदिर के पुजारी हैं? क्या आप राम मंदिर के महंत हैं? महंत, साधु और संत को इस बारे में बात करने दें। आप कौन हो? आप एक राजनीतिज्ञ हैं। आपका काम देश को सुरक्षित रखना, कानून व्यवस्था बनाए रखना, लोगों के लिए भोजन मुहैया करना और किसानों को पर्याप्त एमएसपी देना आपका काम है। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा – अब, वे क्या कर रहे हैं? त्रिपुरा में चुनाव हैं। (अमित) शाह वहां जाते हैं और कहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और इसका उद्घाटन (जनवरी) 1 को है। भगवान पर तो सबकी आस्था है लेकिन आप इसकी घोषणा क्यों कर रहे हैं। वो भी चुनाव के दौरान?इसके फौरन बाद राहुल गांधी का भाषण हुआ। लेकिन उनके भाषण में राम मंदिर या अमित शाह के बयान का कोई जिक्र नहीं था। अमित शाह का बयान तब आया था, जब आरएसएस से जुड़े लोगों ने राहुल की भारत जोड़ो यात्रा खुलकर समर्थन किया था। इसमें राम मंदिर के मुख्य पुजारी बाबा सत्येंद्र दास और राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े चंपत राय हैं। इसके बाद अमित शाह का 1 जनवरी 2024 वाला बयान आया। खड़गे का पानीपत में दिया गया बयान बीजेपी के लिए संजीवनी बन गया। 6 जनवरी की रात सारे टीवी चैनल राम मंदिर और खड़गे के बयान पर बहस का शो चला रहे थे। जैसे देश की प्रमुख खबर वही थी। बीजेपी की ओर से तीखे हमले हुए। उसके नेताओं ने कहा कि पूरी कांग्रेस पार्टी राम मंदिर विरोधी है।

अब जब मंदिर बनकर लगभग तैयार होने वाला है तो खड़गे जैसे नेता उसमें रुकावट बन रहे हैं। कांग्रेस के गठबंधन दल आरजेडी ने भी अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया दी। बिहार आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर नफरत की जमीन पर बन रहा है। लेकिन राम को भव्य महल में कैद नहीं किया जा सकता। हम ‘हे राम’ में विश्वास करने वाले लोग हैं, न कि ‘जय श्री राम’ में। शाह पर तंज कसते हुए सिंह ने पूछा-क्या भगवान राम अब लोगों के दिलों से दूर मंदिरों में विराजमान हैं। उन्होंने कहा – क्या राम अब सिर्फ मंदिर के होंगे? क्या राम अब देश के नहीं होंगे? भारत में राम को लोगों के दिलों से छीनकर सिर्फ पत्थरों की आलीशान इमारत में नहीं बिठाया जा सकता है? श्री राम न तो अयोध्या में हैं और न ही लंका में, श्री राम शबरी की कुटिया में हैं। आरजेडी नेता के इस बयान पर भी बीजेपी हमलावर हुई और उन पर कई गंभीर आरोप लगा डाले। हालांकि बिहार में जाति जनगणना शुरू हो गई है। बीजेपी ने आरजेडी पर राम मंदिर को लेकर हमला बोला लेकिन बिहार में फिलहाल लोग जाति जनगणना के अलावा किसी पर बात नहीं करना चाहते हैं। यह अजीबोगरीब है कि बिहार आरजेडी चीफ जगदानंद सिंह तो बीजेपी का इस तरह विरोध कर रहे हैं और उनके बेटे सुधाकर सिंह ने हाल ही में सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला। उन्होंने मंत्री पद से पिछले दिनों इस्तीफा दिया था। उनके बीजेपी में जाने की चर्चा भी रही है। ऐसे में जगदानंद सिंह का बयान कई सवाल भी खड़े करता है। बहरहाल, बीजेपी को यह सब पसंद आ रहा है। उसके तमाम नेता राम मंदिर के मुद्दे पर विपक्ष को घेर रहे हैं। बीजेपी के तमाम मंत्री और नेता अब इसी मुद्दे पर बयान दे रहे हैं। 2023 में नौ प्रदेशों में विधानसभा चुनाव हैं यानी 2023 का पूरा वर्ष तमाम राज्यों के चुनाव में बीतेगा। इसके बाद 2024 में आम लोकसभा चुनाव हैं। जिसमें मोदी बनाम राहुल की लड़ाई प्रधानमंत्री पद के लिए होना मानी जा रही है। ऐसे में बीजेपी की बैठे बिठाए मुराद पूरी हो रही है कि विपक्ष राम मंदिर की बहस को छेड़ बैठा है।

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