नए यूजीसी मानदंड: विदेशी विश्वविद्यालय भारत में कैंपस स्थापित कर फीस तय कर सकते हैं

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में परिसर स्थापित करने के संबंध में मसौदा नियम जारी किए हैं. इसके तहत उन्हें भारत में परिसर स्थापित करने से पहले यूजीसी से मंज़ूरी लेनी होगी. साथ ही कहा गया है कि ये संस्थान ऐसा कोई भी अध्ययन कार्यक्रम पेश नहीं करेंगे, जो भारत के राष्ट्रीय हित या भारत में उच्च शिक्षा के मानकों को ख़तरे में डालता है.


 रणघोष अपडेट. नई दिल्ली


 विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में परिसर स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बृहस्पतिवार को इसका मसौदा नियमन जारी किया है. इसके तहत विदेशी विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर स्थापित कर सकते हैं, अपनी प्रवेश प्रक्रिया, शुल्क संरचना तय कर सकते हैं.यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार द्वारा घोषित मसौदा मानदंडों के अनुसार ये विश्वविद्यालय अब अपने मूल परिसरों में धन भेजने में भी सक्षम होंगे. कुमार ने बताया कि विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी से मंजूरी लेनी होगी.उन्होंने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय केवल परिसर में प्रत्यक्ष कक्षाओं के लिए पूर्णकालिक कार्यक्रम पेश कर सकते हैं, ऑनलाइन माध्यम या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से नहीं.कुमार ने यूजीसी (भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों का परिसर स्थापित करने एवं परिचालन करने) संबंधी नियमन 2023 पर संवाददाताओं से चर्चा के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि शुरू में इन्हें 10 साल के लिए मंजूरी दी जाएगी तथा उन्हें दाखिला प्रक्रिया, शुल्क ढांचा तय करने की छूट होगी.उन्होंने बताया कि कुछ शर्तों को पूरा करने पर इनका नवीनीकरण नौवें वर्ष में किया जाएगा.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जहां यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप है, जिसमें भारत में शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों को संचालित करने की अनुमति देने के लिए एक विधायी ढांचे की परिकल्पना की गई है, वहीं पूर्व की सरकारों ने जब इस तरह के प्रयास किए थे, जिसमें यूपीए सरकार भी शामिल है, तब उन्हें भाजपा और वामपंथी दलों द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा था. उस समय भाजपा विपक्ष में थी.कुमार की घोषणा के बाद जारी किया गया मसौदा यूजीसी (भारत में विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन) विनियम 2023, भारतीय बाजार में विदेशी शिक्षा संस्थानों को काफी स्वतंत्रता प्रदान करता है. साथ ही इसमें यह रेखांकित किया गया है कि वे ऐसा कोई भी अध्ययन कार्यक्रम पेश नहीं करेंगे, जो ‘भारत के राष्ट्रीय हित या भारत में उच्च शिक्षा के मानकों को खतरे में डालता है’.मसौदे में कहा गया है, ‘विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के विपरीत नहीं होगा.’उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये संस्थान ऐसे कार्यक्रम की पेशकश नहीं करेंगे, जो भारत के राष्ट्रीय हितों के प्रतिकूल हों या उच्च शिक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं हों.यह पूछे जाने पर कि क्या यह खंड (राष्ट्रीय हित संबंधी) बहुत अधिक प्रतिबंधात्मक है, कुमार ने कहा कि किसी भी पीड़ित पक्ष को न्यायपालिका से संपर्क करने का अधिकार होगा.उन्होंने कहा, ‘इसमें (राष्ट्रीय हित संबंधी खंड) ज्यादा नहीं पढ़ा जाना चाहिए. बहुत ही अपवाद वाले मामले होने जा रहे हैं, जहां राष्ट्रीय हित से संबंधित मुद्दे हो सकते हैं. अगर यूजीसी द्वारा कोई कार्रवाई की जाती है और पीड़ित पक्ष को लगता है कि यह सही नहीं है, तो हमारे पास देश में एक अच्छी तरह से स्थापित न्यायिक प्रणाली है. इसलिए, मुझे नहीं लगता कि उस खंड के संबंध में कोई समस्या है.’यूजीसी के अध्यक्ष ने बताया कि यूरोप के कुछ देशों के विश्वविद्यालयों ने भारत में परिसर स्थापित करने में रूचि दिखायी है.उन्होंने कहा कि चूंकि विदेशी विश्वविद्यालय भारत सरकार से वित्तपोषित संस्थान नहीं हैं, ऐसे में उनकी दाखिला प्रक्रिया, शुल्क ढांचे के निर्धारण में यूजीसी की भूमिका नहीं होगी.कुमार ने कहा, ‘विदेशी विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय परिसरों में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता, उनके मुख्य परिसर में दी जाने वाली शिक्षा के समान ही गुणवत्तापूर्ण हो.’उन्होंने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय, भारत में शैक्षणिक संस्थानों के साथ गठजोड़ करके परिसर स्थापित कर सकते हैं.

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