रणघोष में पढ़िए एक खास शख्सियत की छोटी सी कहानी

डीसी गर्ग हिसार चले गए, अशोक कुमार को यहीं छोड़ गए


रणघोष खास. प्रदीप नारायण


प्रशासनिक सेवाओं में कुछ अधिकारी अपने व्यक्तित्व, आचार विचार, सादगी, व्यवहारिक सामाजिक दृष्टिकोण के चलते ऐसी सुगंध बिखेर जाते हैं जिसमें हर समय एक बेहतर इंसान होने की महक बनी रहती है। 10 अप्रैल को रेवाड़ी डीसी अशोक कुमार गर्ग का तबादला वापस हिसार नगर निगम आयुक्त एवं जिला नगर आयुक्त के पद पर कर दिया। अधिकारियों का तबादला सर्विस का हिस्सा है। इसलिए कायदे इस खबर को यही पर ही खत्म हो जाना चाहिए था। लेकिन अशोक कुमार गर्ग ने रेवाड़ी में 11 माह की अपनी जिम्मेदारी में ऐसा बहुत कुछ कर दिया जिसका असर लंबे समय तक इस जिले में रहने वाले जिम्मेदार नागरिकों के मनो मस्तिक पर हलचल मचाता रहेगा। यहां गौर करिए जब डीसी गर्ग हिसार से इसी पद से तबादला होकर रेवाड़ी आए थे उस समय सफाई कर्मचारियों की आंखों में आंसू उसी तरह बहे जिस तरह शादी के समय बेटी विदा होती है। इस शख्सियत ने रेवाड़ी में भी मानवता- इंसानियत एवं जज्बातों की ऐसी संस्कृति का फैलाव कर दिया जो आमतौर पर प्रशासनिक पेशे में एक लंबे अंतराल के दरम्यान महसूस होती है। जिला सचिवालय में अधिकारी- कर्मचारी एवं आमजन के लिए कॉमन शौचालय की व्यवस्था लागू करना, सार्वजनिक कार्यक्रमों में महिला सफाई कर्मचारियों को समाज के सर्वोच्च सम्मान पर आसीन करना, शहर में रेजागांला पार्क, टेकचंद क्लब, शिशुशाला स्कूल जैसे बड़े मामलों को माफियाओं के चंगुल से निकालकर सार्वजनिक संपत्ति में तब्दील करना,  आमजन से सीधे मिलना, समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति की दहलीज पर पहुंचकर, उनके साथ भोजन करके समाज में समानता, एक दूसरे के प्रति आपसी प्रेम की अलख को जगाए रखना। इस तरह ना जाने डीसी अशोक कुमार गर्ग हर रोज ऐसा कुछ करते चले गए जिसे  सफाई महिला कर्मचारी के चेहरे पर  खिलखिलाती मुस्कान से ही समझा जा सकता है। अशोक कुमार गर्ग सिस्टम में जमीं गंदगी और समाज में अलग अलग वजहों से जड़े जमाती जात-पात, ऊंच- नीच, तेरा मेरा, एक दूसरे को नीचा दिखाने की विकृत मानसिकता में जमें कचरे को कायदे कानून के फावड़े से साफ करने की बजाय बेहतर सोच, संस्कार एवं अपनत्व की सोच से निकालने में ज्यादा यकीन करते हैं। सुबह उठते ही एक मोबाइल कॉल पर पार्क में आमजन के बीच बैठकर चाय पीना, किसी के छोटे से अनुरोध को सहर्ष  स्वीकारना, अपनी सादगी से सामने वाले को अपनेपन का अहसास कराना यह उनकी कार्यप्रणाली से ज्यादा हर पल बिखरते संस्कारों का बही खाता जैसा था। इस शख्सियत के बारे में जितना ज्यादा लिखे उतना ही कम है। ऐसा नहीं है कि डीसी गर्ग का यह अंदाज रेवाड़ी में आकर जन्मा हो। लंबे समय तक उनकी प्रशासनिक सर्विस को छोटे से बड़े पायदान पर देखने वालों का कहना है जितना आप उनके बारे में लिख रहे हैं यह तो उनका पारिवारिक संस्कारी गुण रहा है जो पूरे परिवार में भी गुलदस्ते की तरह हर समय सार्वजनिक तौर पर महकता रहता है। दरअसल  हर कोई अशोक कुमार गर्ग को शुरूआती मुलाकात में डीसी के तौर पर देखता हैं जिसमें बेहिसाब पॉवर होती है जिसकी कलम से माहौल बदल जाता है। जिसके सामने खुलकर बोलना आसान नहीं होता। लेकिन बहुत जल्दी आमजन की मुलाकात डीसी के पीछे छिपे असली अशोक कुमार गर्ग से होना शुरू हो जाती है। कुल मिलाकर रेवाड़ी से डीसी अशोक कुमार गर्ग का तबादला हो गया है लेकिन अशोक  कुमार गर्ग यहीं रह गए है जो लंबे समय तक यहां के लोगों के दिलों दिमाग में बने रहेंगे। हम मीडिया वालों के लिए अशोक कुमार गर्ग के बारे में इस तरह लिखना इसलिए सहज है क्योंकि कलम की उनकी सादगी की स्याही में डूबकी लगाकर आई है

  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *