लोकतंत्र की हत्या करने पर जुटी सरकार : श्रुति चौधरी

 बड़ी संख्या में ट्रैक्टर यात्रा में शामिल हुए इलाके के किसान


केंद्र और राज्य सरकार ने जिस तरह से देश के अन्नदाता के साथ अमानवीय व्यवहार किया है उसने सिद्ध कर दिया है कि ये सरकारें लोकतंत्र की हत्या करने पर जुटी हैं। यह बात भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद श्रुति चौधरी ने कितलाना टोल पर चल रहे किसानों के अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकार का किसान, मजदूर, व्यापारी और कर्मचारियों के हितों से कोई लेना देना नहीं है उसका ध्यान महज अम्बानी, अडानी जैसे बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने पर है। 

                  उन्होंने कहा कि ये तीनों काले कानून किसानों को तो नुकसान पहुंचाने वाले तो हैं ही इसकी बड़ी मार मजदूरों और व्यापारियों पर पड़ेगी। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब मंडी ही नहीं रहेंगी तो मजदूर कहां जाएंगे। बड़े बड़े माल आने पर छोटे दुकानदार तबाह हो जाएंगे। यही वजह है कि सभी वर्ग किसानों के साथ खड़े हुए हैं और ये आंदोलन जनांदोलन बन गया है। बेहद शांतिपूर्ण ढंग से 43 दिन से चल रहे इस आंदोलन में 56 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं उसके बाद भी किसानों ने धैर्य नहीं खोया है। उन्होंने कहा कि बिजली संसोधन अधिनियम 2020 के भी घातक परिणाम होंगे। सरकार को मुद्दे की गंभीरता को समझना चाहिए और किसानों की सभी मांगों को कल होने वाली बातचीत में पूरा करना चाहिए।

                    संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर खाप 40 सांगवान के सचिव नरसिंह डीपीई, खाप फौगाट के उपप्रधान धर्मपाल महराणा, खाप 25 श्योराण सर्वजातीय के प्रधान बिजेंद्र बेरला, किसान सभा के सुखदेव पालुवास, किसान यूनियन लोकशक्ति के रणबीर फौजी  के संयुक्त संयोजन में दिए जा रहे अनिश्चित कालीन धरने के चौदहवें दिन भी टोल फ्री रहा। आज बड़ी संख्या में किसान और महिलाएं  ट्रैक्टर मार्च में शामिल में होने के लिए शाहजहांपुर बॉर्डर के लिए भी रवाना हुए।

                   बाढड़ा से पूर्व विधायक नृपेंद्र मांढी कहा भाजपा को अलविदानृपेंद्र मांढी के कितलाना धरने पर पहुंचने पर संचालन कर रहे अध्यक्ष मंडल ने स्पष्ट किया कि भाजपा और जजपा के किसी नेता को बोलने की इजाजत नहीं है। इस पर नृपेंद्र मांढी ने कहा कि वो अपने संबोधन में सब साफ कर देंगे। मांढी ने कहा कि उन्होंने ये तीन कानून बनते ही भाजपा से जून महीने में ही किनारा कर लिया था। उन्होंने धरने का समर्थन देते हुए कहा कि ये तीनों काले कानून किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किये जा सकते।उन्होंने कहा कि वो यहां शुद्ध रूप से किसान के रूप में आये हैं। धरने के मंच संचालन धर्मेन्द्र छपार ने किया। इस अवसर पर सुरजभान सांगवान झोझू, रणधीर घिकाड़ा, राजू मान, रामप्रताप शर्मा, राकेश आर्य, देवराज मेहता, अमर सिंह, अजित सिंह फौगाट, कृष्ण लेघा, हरि सिंह सांगवान, शीशराम, दिलबाग नीमड़ी, परमजीत मड्डू, डॉ दलबीर, अजीत फौजी, कृष्ण फौगाटविजय खोरड़ा, सुशील धानक, डॉ ओमप्रकाश, बलवान पार्षद, जय सिंह कटारिया, रविन्द्र खरे, सत्या लेघा, सज्जन डांडमा, राजेश कुमारी, अनीता खान, जमात अली, वासु शर्मा, राजेश रावत, धर्मबीर नंबरदार, लीला कासनी, पूर्व सरपंच समुन्द्र, सूबेदार सतबीर सिंह, रामू इत्यादि मौजूद थे।

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