वायु प्रदुषण से हर साल हो रही 70 लाख मौतें, 15 साल बाद डब्ल्यूएचओ ने सख्त किए नियम

वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े पर्यावरणीय खतरों में से एक है। इसपर चिंता जताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कहा कि उसने 2005 में अपने अंतिम वैश्विक अपडेट के बाद पहली बार अपने नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश जारी किए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि उसके नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश (एक्यूजी) का उद्देश्य लाखों लोगों को वायु प्रदूषण से बचाना हैं।नई गुणवत्ता दिशानिर्देश में जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन में पाए जाने वाले पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर को घटने की सिफारिश की गई है। दिशा-निर्देश में कहा गया है कि वायु प्रदुषण जलवायु परिवर्तन का कारक होने के साथ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वायु प्रदूषण के कारण ही पूरी दुनिया में हर साल लगभग 70 लाख मौतें होती हैं और इसमें सुधार कर इतनी जानें बचाई जा सकती हैं।

डब्ल्यूएचओ के नए दिशानिर्देश छह प्रदूषकों – पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और पीएम 10, ओजोन (O3), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के लिए वायु गुणवत्ता के स्तर की सलाह देते हैं।2021 के दिशानिर्देशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लगभग सभी प्रदूषकों के मानकों के स्तर को घटा दिया है और कहा कि इसका पालन कर पूरी दुनिया में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकती है। गाइडलाइन के तहत डब्ल्यूएचओ ने औसत वार्षिक पीएम 2.5 स्तर के लिए अनुशंसित सीमा को 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से घटाकर 5 कर दिया है। इसने पीएम 10 के लिए अनुशंसित सीमा को 20 माइक्रोग्राम को घटाकर 15 कर दिया है।डब्ल्यूएचओ ने कहा, “पीएम मुख्य रूप से परिवहन, ऊर्जा, घरों, उद्योग और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में ईंधन के दहन से उत्पन्न होता है।”2013 में बाहरी वायु प्रदूषण और पार्टिकुलेट मैटर को डब्ल्यूएचओ की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) द्वारा कार्सिनोजेनिक के रूप में वर्गीकृत किया गया था।डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, “वायु प्रदूषण सभी देशों में स्वास्थ्य के लिए खतरा है, लेकिन यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।” डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दिशानिर्देश का लक्ष्य सभी देशों के लिए अनुशंसित वायु गुणवत्ता स्तर हासिल करना है।

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