विडियो: पेशे से सरकारी शिक्षक, चला रहे दो प्राइवेट स्कूल, बस का चालान किया तो राव इंद्रजीत का रौब दिखाया

रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


ये जनाब अरूण यादव है। पेशे से सरकारी जेबीटी टीचर। बावल क्षेत्र में दो प्राइवेट स्कूल चलाते हैं। खुद को रामपुरा हाउस यानि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का खास वर्कर होने का जबरदस्त प्रचार करते हैं।  स्कूल मुखिया से लेकर शिक्षा विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारी पर रौब दिखाने में पीछे नहीं रहते। आए दिन अपनी हरकतों से सुर्खियां बटोरते हैं। इनका मानना है कि वे बेहद ईमानदार और वसूलों से चलने वाली शख्सियत है। वे जो कुछ भी करेंगे सही करेंगे। जो उनसे पंगा लेगा उसका इलाज करेंगे।

एक दिन पहले आरटीए ने कागजात पूरे नहीं होने पर इनकी स्कूली बस का चालान कर दिया। पता चलते ही ये जनाब आग बबूला होकर सीधे दफ्तर पहुंच गए और हंगामा खड़ा कर दिया। बार बार राव इंद्रजीत का नाम लेकर रौब दिखाते रहे। कहते रहे राव इंद्रजीत बात करना चाहते हैं कौन है जिसने बस का चालान कर किया। विडियो में अधिकारी उसे आराम से समझाते हैं लेकिन यह जनाब बेकाबू हो रहे थे। इनका कहना है कि राव इंद्रजीत सिंह उससे बात करना चाहते हैं जिसने चालान करवाया। विडियो में अधिकारी अपने मोबाइल से संबंधित किसी से बात करते हैं कि क्या राव इंद्रजीत सिंह का फोन आया था। उस समय यह मास्टरजी झेंप जाते हैं। पहली बार इस सरकारी गुरुजी का विडियो सामने आया है। इससे पहले इनकी हरकतें बिना सबूतों या किसी प्रमाण के अनदेखी होती रही है। दरअसल इस जनाब का मानना है कि सरकार उन्हें अच्छा खासा वेतन दे रही है। दो प्राइवेट स्कूलों से होने वाली कमाई से वे किसी भी दबा सकते हैं। मसलन समाचार पत्रों में स्कूल का व समय समय पर राव इंद्रजीत सिंह के नाम का विज्ञापन प्रकाशित कर पत्रकारों को चुप करा देते हैं। उसका सोचना भी काफी हद तक सही रहा है। इसलिए उनके खिलाफ आती रही शिकायतें इधर उधर होती रही है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस शिक्षक के खिलाफ शिक्षा विभाग में अनेक शिकायतें दर्ज हुईं लेकिन रिकार्ड से वे गायब है। इसकी जांच होना जरूरी है। दूसरा यह शिक्षक कब बच्चों को पढ़ाता है और सुबह व शाम कितने बजे तक स्कूल में रहता है इसकी भी निष्पक्ष जांच होना जरूरी है।

ऐसे समर्थकों से हो रहा राव इंद्रजीत सिंह की प्रतिष्ठा को नुकसान

राव इंद्रजीत सिंह की छवि ईमानदार- बेबाक व निष्पक्ष के तौर पर बनी हुई है। आए दिन कुछ बाजारू वर्कर उनके नाम का दुरुपयोग करते रहे हैं। हालांकि राव इंद्रजीत को करीबी से जाने वाले बखूबी समझते   हैं कि राव इंद्रजीत सिंह छोटे स्तर के इस तरह के मामलों से खुद को दूर रखते हैं। जिस तरह यह महाशय मोबाइल को आगे करके राव इंद्रजीत बात करना चाहते हैं कहां  है वो.. चिल्ला रहे थे। दरअसल सामने वाले पर दबाव बनाने का नाटक था। कुल मिलाकर यह शिक्षक किस किरदार में है यह समझना जरूरी है। यह बच्चों को पढ़ाने वाला गुरुजी है तो आरटीए  कार्यालय में क्या कर रहा है। अगर दो प्राइवेट स्कूल चला रहा है तो सरकारी स्कूल में क्या कर रहा है। एक ही समय में यह शख्स एक साथ इतने किरदार कैसे निभा लेता है। यह जांच का विषय है।

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