शिशुशाला स्कूल बचाने वालों की हिम्मत फिर जीती, चुप रहने वाले पूरी तरह कटघरे में, अभी होने है बड़े खुलासे

चुनाव पर स्टे मिलने से सोसायटी के उन सदस्यों के मंसूबों पर पानी फिर गया जो अपनी मैनेजमेंट बनाकर स्कूल  बेचने की कागजी औपचारिकता पूरी करना चाहते थे।

शहर के सबसे पुराने प्रतिष्ठित एवं नामी माडॅल टाउन स्थित शिशु शाला को बेचने की साजिश एक बार फिर नाकाम हो गईं। जिला फर्म एवं रजिस्टार सोसायटी ईश्वर सिंह ने स्कूल को संचालित कर रही हरिज्ञान एजुकेशन सोसायटी के चुनाव पर रोक लगा दी है। स्कूल को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे सोसायटी के कुछ सदस्य चुनाव के पक्ष में नहीं थे। वे प्रशासक नियुक्त के पक्ष थे। उनका कहना था कि सोसायटी में आधे से ज्यादा सदस्य चंद लालच में स्कूल बेचने वालों के पक्ष में आ गए हैं और वे सुनियोजित योजना के तहत चुनाव कराकर अपनी प्रबंधक समिति बनाकर स्कूल बेचने की सारी औपचारिकता पूरी करना चाहते हैं। इसी साजिश के तहत स्कूल बचाने के लिए चट्‌टान की तरह खड़े दो बुजुर्ग सदस्य डीके जैन एवं सूर्यकांत सैनी के फर्जी साइन किया पत्र भी सोसायटी में जमा करा दिया गया जिसमें चुनाव नहीं कराने को लेकर शिकायत वापस लेने की बात कहीं गई थी। बाद में खुलासा होने पर अधिकारी भी हैरत में थे। उधर जिला फर्म एवं रजिस्टार सोसायटी में भी कुछ सदस्यों की मिली भगत भी सामने आ रही है। जिसका खुलासा होना बाकी है। स्कूल बचाने वालों में सोसायटी सदस्य डीके जैने, सूर्यकांत सैनी के अलावा पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव, अशोक सोमाणी,  विजय सोमाणी,  खुलकर सामने आए हैं। कुछ खामोश रहकर समर्थन कर रहे हैं  बाकि आधे से ज्यादा सदस्यों ने इस मामले पर पूरी तरह चुप्पी साधी हुई है। 

सबसे बड़ा सवाल स्कूल बेचने के खिलाफ चुप क्यों हैं आधे से ज्यादा सदस्य

 स्कूल को संचालित कर रही हरिज्ञान एजुकेशन सोसायटी में शहर की नामी हस्तियां इसकी मेंबर है। सोसायटी का उद्देश्य स्कूल में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना और आ रही तमाम तरह की चुनौतियों को मिलकर दूर करना है।  सन् 1953 में स्थापित इस स्कूल का इतिहास बेहद ही गौरवशाली रहा है। एक समय था जब प्रशासनिक अधिकारियों, न्यायधीशों से लेकर उद्योगपतियों को अपने बच्चों का दाखिला कराने के लिए भी अच्छी शासी मशक्कत करानी पड़ती थी। इस स्कूल की बागडौर दो अविवाहित बहनें शांति दत्ता एवं चंद्रत्ता के पास रही। दोनो शिक्षा के प्रति समर्पित रही। उनके देहांत के बाद परिस्थितियां तेजी से बदलती चली गईं। इस स्कूल की जमीनी कीमत 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। डीलरों ने  काफी प्रयास किए लेकिन अलग अलग कारणों से कामयाबी नहीं मिली। सोसायटी में आधे सदस्य खामोश रहकर स्कूल बेचने के पक्ष में नजर आ रहे हैं तो कुछ खुलकर इसे बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

शिक्षा विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों की मिली भगत से इंकार नहीं

स्कूल में कक्षा प्रथम से लेकर पांचवीं तक की मान्यता को लेकर विवाद भी स्कूल बेचने का आधार बना हुआ है। 67 साल पुराने इस स्कूल को कक्षा छठीं से 8 वीं तक की स्थाई मान्यता है और 9 वीं से 10 वीं तक की अस्थाई मान्यता है। गौर करने लायक बात यह है कि कक्षा पहली से पांचवीं तक की मान्यता का कोई रिकार्ड स्कूल के पास नहीं है। स्कूल प्राचार्य आशु चांदना अधिकारियों के मुताबिक रिकार्ड जमा करा चुकी है लेकिन समय समय पर अधिकारियों के तबादले होने से उनकी कार्यप्रणाली को देखकर साफ जाहिर होता है कि वे कहीं ना कहीं स्कूल को बचाने की दिशा में कमजोर पड़ रहे हैं। हालांकि हाल ही में कार्यभार संभालने वाले जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सूरजभान ने कहा कि स्कूल का रिकार्ड काफी पुराना और शानदार रहा है। 

हरिज्ञान एजुकेशन सोसायटी के सदस्यों पर एक नजर

 

इस सोसायटी में पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव से लेकर, संजय राव पुत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. कर्नल राम सिंह, अशोक सोमाणी, विजय सोमाणी समेत नामी गिरामी हस्तियां शामिल है 

1. ओमपकाश यादव 

2. मेजर अशोक यादव

3. टीना वैध

4. लेफ्टि. कर्नल रतन सिंह यादव

5. नीता दत्ता

6. धुव्र दत्ता

7. दमन दत्ता

8. करण दत्ता

9.   अशोक सोमाणी, 

10. विजय सोमाणी,

11. राम सिंह यादव

12. कैलाश यादव एडवोकेट

13. सुभाष चंद्र दत्ता

14. कप्तान अजय सिंह यादव पूर्व मंत्री

15. सतेंद्र प्रसाद टपूकड़ावाले 

16. करतार सिंह चौधरी

17. देवेंद्र कुमार जैन  

18. सूर्यकांत सैनी  

19. नरेश कुमार मोदी

20. 20. . नरेंद्र सिंह राव 

21.. अमरजीत राव

22. सरताज यादव

23. संजय यादव, कनीना हाउस रेवाड़ी

24. नमिता राव , रेवाड़ी

25. नरेश चौहान, कंपनी बाग

26. कर्नल् रणबीर सिंह यादव

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