श्रीलंका: कई महीनों से बदतर हैं हालात, जरूरी चीजों की किल्लत

रणघोष अपडेट. विश्वभर से 

श्रीलंका में बीते कई महीनों से हालात बदतर हैं। प्रदर्शनकारी कई बार सड़कों पर उतर कर हुकूमत को चेतावनी दे चुके थे कि वह हालात को खराब होने से बचाए लेकिन इतने महीनों बाद भी वहां की हुकूमत हालात को संभाल नहीं सकी। नतीजा यह हुआ कि शनिवार को प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में राष्ट्रपति आवास में घुस गए और उन्होंने इस पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को भागना पड़ा। प्रदर्शनकारी राजपक्षे परिवार से बेहद नाराज थे। पहले उन्होंने महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के पद से हटाने के लिए पूरा दबाव बनाया और उनके हटने के बाद वह गोटाबाया राजपक्षे का भी राष्ट्रपति पद से इस्तीफा चाहते थे।लंबे पावर कट

श्रीलंका में हालात इस कदर खराब हैं कि बीते कई महीनों से हर दिन 10 घंटे से ज्यादा के पावर कट श्रीलंका में लग रहे हैं। ईंधन की भारी कमी है और इस वजह से बिजली नहीं बन पा रही है। हुकूमत के पास इतनी विदेशी मुद्रा नहीं बची कि वह दूसरे देशों से कोयला और तेल खरीद सके।पेट्रोल और डीजल की कमी की वजह से लोगों को पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है और वह अपनी कारों को पेट्रोल पंप पर ही छोड़कर जाने के लिए मजबूर थे।

तमिलनाडु पहुंचे लोग 

लगातार बदतर हालात के बाद बीते कई महीनों में बड़ी संख्या में लोग भारतीय राज्य तमिलनाडु भी आ गए थे। दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हालात की वजह से ही पेट्रोल पंप पर और सभी प्रमुख जगहों पर फौज को तैनात करना पड़ा था। पूरे देश में जरूरी सामानों की जबरदस्त किल्लत है और डॉलर और विदेशी मुद्रा का भी भयंकर संकट बना हुआ है। राजधानी कोलंबो जैसे हाईप्रोफाइल शहर में भी लोग मिट्टी का तेल लेने के लिए घंटों तक लाइन में लगने को मजबूर थे। लंबे-लंबे पावर कट, जबरदस्त गर्मी, जरूरी चीजों की किल्लत की वजह से लोगों की नाराजगी सातवें आसमान पर थी और लोग इसे लगातार जाहिर भी कर रहे थे। कागज खत्म होने की वजह से स्कूलों में परीक्षाओं को टालना पड़ा था। अस्पतालों में ऑपरेशन और सर्जरी के काम भी रोकने पड़े थे। लोग खाने-पीने के लिए बहुत कम सामान खरीद पा रहे हैं।

3 गुना बढ़ा खर्च 

लोगों के घर का खर्च 3 गुना तक बढ़ गया है और दूध का पाउडर, चावल, दाल के लिए भी उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है। दवाएं या तो बहुत महंगी हो गई हैं या मिल ही नहीं रही हैं।

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