सभी के लिए यह घटना सबक है..

तमिलनाडु: छात्रा ने की आत्महत्या, 4 हफ्ते में ऐसा दूसरा मामला


रणघोष अपडेट. तमिलनाडू 

तमिलनाडु में एक के बाद एक छात्राओं द्वारा आत्महत्या करने की खबर आ रही है। मंगलवार को 11वीं कक्षा की एक छात्रा अपने घर में फांसी के फंदे से लटकती हुई मिली। छात्रा के द्वारा आत्महत्या किए जाने का शक है और मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस मामले की तमाम एंगल से जांच कर रही है।बीते 2 हफ्ते के अंदर यह चौथा मामला है जब तमिलनाडु में किसी छात्रा ने आत्महत्या की है। इससे पहले कक्षा 12वीं की तीन लड़कियां आत्महत्या कर चुकी हैं। इसमें से तीन लड़कियों की मौत 2 दिन के अंदर हुई है। ताजा मामले में 11वीं कक्षा की छात्रा ने शिवकाशी के पास अय्यंबट्टी इलाके में अपने घर पर फांसी लगा ली। छात्रा के पिता और माता का नाम कन्नन और मीना है और वे एक पटाखा फैक्ट्री में दिहाड़ी मजदूर हैं। जब यह वारदात हुई तब वे काम पर गए हुए थे। छात्रा ने स्कूल से लौटने के बाद यह क़दम उठाया। उस वक़्त उसकी दादी भी घर से बाहर गई थी। जब वह घर लौटीं तो पोती को फांसी पर लटके देखा। उन्होंने तुरंत पड़ोसियों को बुलाया और पुलिस को सूचना दी। सोमवार को कुड्डालोर जिले में 12वीं कक्षा की एक छात्रा अपने घर में मृत पाई गई थी। उसने मां की डांट से परेशान होकर फांसी लगा ली थी और यह क़दम तब उठाया था जब उसके माता-पिता घर पर नहीं थे।सोमवार को तड़के ही 12वीं कक्षा की एक और छात्रा अपने हॉस्टल के कमरे में मृत मिली थी। उसके बारे में बताया गया था कि उसने आत्महत्या की है। यह घटना तिरुवल्लुर जिले में हुई थी। छात्रा की मौत की पहली घटना 13 जुलाई को कल्लाकुरिची में हुई थी। तब 12वीं कक्षा की एक छात्रा संदिग्ध परिस्थितियों में अपने स्कूल के परिसर में मृत मिली थी। उसे शिक्षकों द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित करने का मामला सामने आया था।उसके माता-पिता ने छात्रा की मौत पर तमाम सवाल खड़े किए थे और अदालत से दखल देने की मांग की थी। उन्होंने छात्रा के शव का फिर से पोस्टमार्टम अपनी पसंद के एक डॉक्टर की मौजूदगी में कराने की भी मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अर्जी को खारिज कर दिया था। इसके बाद 17 जुलाई को इस स्कूल में हिंसा हुई थी और तोड़फोड़ के दौरान बड़ी संख्या में दस्तावेजों को जला दिया गया था और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था।

क्यों उठा रहीं आत्मघाती क़दम?

बड़ा सवाल यह है कि आखिर छात्राएं इस तरह अपने जीवन को क्यों समाप्त कर रही हैं। क्या उन पर पढ़ाई का इतना ज्यादा दबाव है या वे घर में डांट-फटकार के कारण आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम उठा रही हैं। इसे लेकर तमिलनाडु ही नहीं अन्य राज्यों की सरकारों को भी स्कूलों में मनोवैज्ञानिक नियुक्त करने चाहिए जो लगातार बच्चों और उनके माता-पिता से बात कर सकें। जिससे बच्चे किसी तरह के मनोवैज्ञानिक दबाव का सामना ना करें और इस तरह का कोई भी कदम उठाने के लिए मजबूर ना हों। 

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