सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा पर बीजेपी ने क्यों खेला दांव? बिहार में इस बार कैसे बदली सरकार की तस्वीर

बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनने की कवायद तेज चुकी है. नीतीश कुमार रविवार को करीब 11 राजभवन जाकर राज्यपाल  को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. वहीं नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है. वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा को बीजेपी विधायक दल उपनेता बनाया गया है. इसके बाद से ही इन दोनों नेताओं को बिहार का डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा कर दी गयी है.

बीजेपी ने कोइरी समाज से सम्राट चौधरी और स्वर्ण (भूमिहार) समाज से आने वाले विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला लेने के साथ ही बिहार की जनता को चुनाव से पहले बड़ा मैसेज भी दिया है. इसी बीच नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा एक ही गाड़ी पर सवार होकर राजभवन पहुंचे हैं. इस दौरान एक खास और अलग तस्वीर देखने को मिली जब शायद पहली बार ही सम्राट चौधरी गाड़ी में आगे की सीट पर बैठे थे, वहीं नीतीश कुमार और विजय सिन्हा पीछे की सीट पर बैठे नजर आ रहे थे.

सम्राट चौधरी की रही है आक्रामक छवि

बता दें, 53 साल के सम्राट चौधरी की शकुनी चौधरी के बेटे हैं, जो समता पार्टी के संस्थापकों में से एक रहे हैं. शकुनी चौधरी का नाम कुशवाहा समाज के बड़े नेताओं में है और वह बिहार में कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं. बता दें कि सम्राट चौधरी ने अपनी राजनीतिक पारी राजद से 1990 में शुरू की थी. 1999 में राबड़ी देवी सरकार में वो कृषि मंत्री बने थे लेकिन, उनसे विवाद भी जुड़ गया था. दरअसल, तब उनकी कम उम्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. सम्राट चौधरी साल 2000 और 2010 में वो परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे. साल 2014 में वो नगर विकास विभाग के मंत्री रहे. साल 2018 में वो राजद छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए और एनडीए सरकार में पंचायती राज मंत्री थे. सम्राट चौधरी अपने आक्रामक छवि के लिए जाने जाते हैं. खासतौर जब जब से वह बिहार बीजेपी के अध्यक्ष बने थे तब से वह काफी अटैकिंग रूप में नजर आते रहे हैं. वह नीतीश कुमार और लालू यादव पर जमकर हमलावर रहे हैं.

जब नीतीश कुमार से भी हो गयी थी बहस

वहीं बीजेपी ने दूसरे डिप्टी सीएम के लिए विजय सिन्हा का नाम आगे किया है. बता दें,  विजय सिन्हा बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं. उन्होंने बीजेपी की ओर से विधानसभा में खुलकर आक्रामक तरीके से विपक्ष की भूमिका निभाई है. वहीं इससे पहले बिहार में जब 2020 में एनडीए की सरकार बनी थी उस दौरान विजय सिन्हा बिहार विधानसभा के अध्यक्ष की भूमिका में नजर आये थे. इस दौरान भी विजय सिन्हा ने काफी प्रभावी रूप से सदस्यों के साथ अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे हैं. उस दौरान विधानसभा में विजय सिन्हा की सीएम नीतीश कुमार से बहस भी हुई थी.

इन दोनों नेताओं को चुनने की बड़ी वजह

अब ऐसे में लोग सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाने के पीछे की वजह को जानने की कोशिश में लगे हैं. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इस बार जब बीजेपी नीतीश कुमार के साथ सरकार बना रही है तो कई शर्तों के साथ जुड़ रही है. शायद यही वजह रही कि इस बार नीतीश कुमार और बीजेपी को साथ आने में थोड़ा वक्त लगा. हालांकि नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ गठबंधन आमतौर स्वाभाविक गठबंधन माना जाता रहा है. लेकिन, बीजेपी इस बार नीतीश कुमार के साथ पहले की तुलना में बड़े भाई की भूमिका में नजर आ सकती है. इसलिए शायद इसलिए बीजेपी ने अपने उन दो चेहरों को नीतीश कुमार के साथ सरकार में शामिल किया है जो आपने आक्रामक छवि के लिए जाने जाते हैं. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा  सीएम नीतीश कुमार पर काफी हमलावर रहे हैं. ऐसे में ये दोनों नेता जब नीतीश कुमार के साथ काम करेंगे तो बिहार की सियासत देखने वाली होगी.

तारकिशोर, रेणु देवी, सुशील मोदी को क्यों नहीं मिला मौका

बता दें, बिहार में जब 2020 में एनडीए सरकार बनी थी तो तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया गया था. इन दोनों चेहरों को इस बार बदलने की पीछे क्या कारण हो सकता है यह तो बीजेपी के वरीय नेता ही जान सकते हैं. लेकिन, राजनीतिक जानकारों के अनुसार ये दोनों नेता नीतीश कुमार के कद के सामने शायद थोड़े कम प्रभावी हो रहे थे. ऐसे में इस बार बीजेपी ने बड़ा दांव खेलते हुए सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के हाथों में कमान सौंपी है. हालांकि इस बार सुशील मोदी के भी फिर से डिप्टी सीएम बनने की चर्चा थी लेकिन, सुशील मोदी के नीतीश कुमार के साथ पुराने संबंध और उनका राज्यसभा सदस्य होने की वजह से उन्हें डिप्टी सीएम का पद नहीं मिल सका. बहरहाल वजह कुछ भी हो लेकिन बिहार में नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा की यह तिकड़ी किस तरह काम करती है यह देखने वाली बात होगी.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

वहीं इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि निश्चित तौर पर बीजेपी का यह प्रयोग बिहार में जाति समीकरण को देखते हुए किया गया है. संजय कुमार कहते हैं बिहार में पिछले कुछ दिनों से एक व्यवस्था देखने को मिल रही है जिसके तहत बीजेपी पिछली पंक्ति के नेताओं आगे लाने का काम कर रही है. वहीं अगली पंक्ति के नेताओं को मार्गदर्शक के रूप में पेश किया जा रहा है. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा पिछड़ी और स्वर्ण जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे में यह पहल निश्चित तौर पर जाति फैक्टर को साधने के लिए भी उठाई गयी है.

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