सांस्कृतिक अहीरवाल टांकडी की बैठक ज्ञान दीप स्कूल मोहनपुर मे हुई. जिसमे आसपास के गांवों से लोग शामिल हुए। बैठक में सांस्कृतिक अहीरवाल के निदेशक सत्यव्रत शास्त्री ने कहा अहीरवाल की संस्कृति विश्व प्रसिद्ध संस्कृति रही है जो महाभारत काल से अस्तित्व में है। इस क्षेत्र को आभीर गणराज्य के नाम से इतिहास याद किया जाता है जो भारत संघर्ष काल मे भी सदा अविजित रहा है दुनिया का कोई भी आक्रमण कारी इस गणराज्य पर कभी अधिपत्य नही जमा सका। 1857 मे नसीब पुर के युद्ध की हार के बाद न केवल इसे भौगोलिक रूप से छिन्न भिन्न किया बल्कि हमारी समृद्ध परम्पराओं को भी नष्ट किया गया। इस कार्यदल का मुख्य उद्देश्य अहीरवाल की समृद्ध विरासत व इतिहास को आने वाली पीढी तक पहुंचाना है। जिससे वर्तमान युवा पीढ़ी व आने वाली पीढियां इसके गौरव से परिचित हो सके। उन्होंने ने कहा कि अनेक इतिहास कार इस बात को जोर देकर कहते है ढोसी पर्वत इस संस्कृति के विकास का केन्द्र रहा है। महाभारत काल के अनेक स्मृति चिन्ह् अभी भी इस क्षेत्र में दिखाई देते है। राज सत्ताओं की इस क्षेत्र के प्रति उदासीनता के कारण इस शोध नही हो पाया और नही संरक्षण हो पाया। इस कार्यदल मे टांकडी के आसपास के 32 गांव रखे है। प्रत्येक गांव से टीम बनाने के बाद सभी प्रशिक्षण करवाया जायेगा।गांव की ये प्रशिक्षित टीम 23 बिन्दुओं के आधार पर अपने गांव का इतिहास लिखेंगे। बैठक में वीरेंद्र खरस्याणकी, देवेंद्र, राकेश, रणजीतसिंह खण्डोडा,धर्मपाल अजय सिंह, जलियावास, महावीर, सत्यपाल मोहनपुर, सुभाष यादव, ब्रहमप्रकाश चांदूवास देवेंद्र यादव सुरेन्द्र पाल यादव उपस्थित रहे.