सीधी सपाट बात:क्या हो गया पत्रकारों को, इज्जत के लिए भी शिकायत करनी पड़ती है?

रणघोष खास. सुभाष चौधरी


 सोशल मीडिया पर दो विडियो आगे पीछे चल रहे थे। पहले में पत्रकार हरियाणा के सीएम मनोहरलाल से शिकायत दर्ज करा रहे हैं कि डीसी हमारी इज्जत नहीं करता, अंदर नहीं बुलाता, बाइट नहीं देता। सीएम  डीसी महोदय को बुलाकर नसीहत देते हैं पत्रकारों को बुलाया करो, चाय पानी पिलाओ ये सरकार- जनता की कड़ी है। डीसी आज्ञाकारी शिष्य की तरह गर्दन हिला देते हैं। इसके बाद क्या हुआ यह सवाल करने वाले पत्रकार ही बेहतर जानते हैँ। इसके तुरंत बाद  एक विडियो आती है जिसमें विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की बधाईयां दी जा रही है। समझ में नहीं आ रहा दोनों विडियों में किस पर इतराए। पहली में जहां पत्रकारों को सीएम से कहना पड़ रहा है कि हमारी इज्जत नहीं हो रही इसका इंतेजाम कराओ। आखिर क्या हो गया है इस तरह के सवाल करने वाले पत्रकारों को। क्या इज्जत जोर जबरदस्ती से मिलती है।किसी पत्रकार के स्वाभिमान- सम्मान को जानबूझकर ठेस पहुंचाई जाती है तो उसकी कलम क्या कर रही है। क्या यह कलम धड़ाक से डीसी, विधायक, मंत्री के दफ्तर में आने जाने वाला परमिट है। क्या यह कलम खुद को आम से खास सर्वेश्रेष्ठ साबित करने वाला मापदंड है। क्या पत्रकार की जुबान सवाल खड़े करने की बजाय पहले अपनी अपनी इज्जत बचाने में लगी हुई है। न्यूज चैनलों पर एंकर अपनी बेहुदी हरकतों एवं सवालों से पहले ही मिटटी पलीत कराने में तमाम मर्यादाओं का चीरहरण कर चुके हैं। रही सही कसर इस तरह के सवालों से पूरी हो रही हैं। सवाल करने से पहले सोचिए आखिर यह नौबत क्यों पैदा हो रही है। इसकी दो वजह हो सकती है। पहली या तो डीसी महोदय अपनी कुर्सी में छिपी ताकत से रावण की तरह अंहकारी हो। वे साहब की खाल में  इंसान को इंसान नहीं समझ रहे हो। ऐसे में जिम्मेदार पत्रकार को बच्चों की तरह रूठने की बजाय अपनी कलम से इस अहंकार को आइना दिखाने का काम करना चाहिए।  दूसरा आज की पत्रकारिता का स्तर।  जो गर्व की बजाय शर्मसार ज्यादा महसूस  कराता हो। उसे बचाने की  नैतिक की जिम्मेदारी उन तमाम पत्रकारों की है जिसके भरोसे में सांस अभी जिंदा हो। कलम वहीं जहां सम्मान खुद चलकर आए।   आज स्थिति यह बन चुकी है कि मीडिया को वो लोग भी नसीहत देने में सबसे आगे रहते हैं जिन्हें खुद 100 शब्दों में गाय का प्रस्ताव लिखना नहीं आता। ऐसी स्थिति में सवाल अब खुद से करने का है कि इसके लिए क्या कदम उठाने चाहिए।

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