सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बिलकिस बानो मामला, दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका

 रणघोष अपडेट. देशभर से 

बिलकिस बानो मामले में दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस याचिका में सभी दोषियों की सजा पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई गई है। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में जल्द सुनवाई की मांग की गई है। बता दें कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे और इसी दंगे के दौरान बिलकिस बानों के परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इतना ही नहीं दंगाइयों ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया था। इस मामले में 11 दोषी 15 अगस्त को गोधरा उप जेल से बाहर आए। गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी। सभी ने जेल में 15 साल की सजा पूरी कर ली थी। दोषियों की रिहाई को लेकर बिलकिस बानो ने भावुक होते हुए कहा था कि जब मैंने सुना कि 11 अपराधी जिन्होंने मेरे परिवार और मेरे जीवन को तबाह कर दिया और मेरी 3 साल की बेटी को मुझसे छीन लिया, वे आज मुक्त हो गए तो मैं पूरी तरह से निःशब्द हो गई। मैं अभी भी स्तब्ध हूं। आज मैं बस इतना ही कह सकती हूं – किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे खत्म हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय में मेरे विश्वास को हिला दिया है। मेरा दुख और मेरा डगमगाता विश्वास सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही है। गौरतलब है कि 21 जनवरी 2008 को मुंबई में सीबीआई की स्पेशल अदालत ने सभी 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सभी को बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप करने और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या का दोषी ठहराया गया था। बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा।2002 में गोधरा ट्रेन में आगजनी की घटना के बाद भड़की हिंसा के दौरान बिलकिस बानो 21 साल की थी और 5 महीने की गर्भवती भी थी। इसी हालत में उसके साथ गैंगरेप किया गया। मरने वालों में उसकी 3 साल की बेटी भी थी।

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