हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की हकीकत पर रणघोष की सीधी सपाट बात

 एक अधिकारी पर 9 जिलों की जिम्मेदारी, दावा आत्मनिर्भर हरियाणा का, यह कैसा विजन


रणघोष खास. हरियाणा से सुभाष चौधरी


सोचिए विचारिए और मंथन करिए। क्या एक अधिकारी 9 जिलों की एक साथ जिम्मेदारी निभा सकता है वह भी अपने से सीनियर पदों पर रहकर। यह कमाल कर दिखाया है हरियाणा सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने। गौर करने वाली बात यह है कि यह विभाग कुछ दिनों से करोड़ों रुपए खर्च कर यह प्रचार कर रहा है कि वह केंद्र सरकार के लोकल इज वोकल, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत के विजन को प्रत्येक जिले व छोटे छोटे कस्बों में जमीन पर उतार रहा है। यह विभाग डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पास है।

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के अंतर्गत जिला रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी अलग से शाखा के तौर पर काम करती है। इस पर डिप्टी डायरेक्टर, ज्वाइंट डायरेक्टर नियुक्त होते हैं।  इसके तहत सांझेदार फर्मों का रजिस्ट्रेशन, कल्याणकारी समितियों का रजिस्ट्रेशन एवं नियमन जैसे की वार्षिक रिपोर्ट का अनुमोदन करना, समितियों के हर तीन साल में चुनाव कराना, चुनाव नहीं कराने की स्थिति में प्रशासक या एडाक कमेटी की नियुक्ति करना, समितियों के नव चयनित कमेटी को अनुमोदित करना, समितियों के सदस्यता, चुनाव संबंधित शिकायत, विवाद एवं अन्य शिकायतों का निपटारा करना समेत महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां है। वर्तमान में ईश्वर सिंह यादव  रेवाड़ी, पलवल, फरीदाबाद, नूंह, सोनीपत, रोहतक, भिवानी, दादरी, हिसार जिले में डिप्टी डायरेक्टर, ज्वाइंट डायरेक्टर एवं लिंक आफिसर के तौर पर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उनके हस्ताक्षर के बिना कोई फाइल आगे नहीं चलती है। ईश्वर सिंह की पोस्टिंग पलवल जिले में डिप्टी डायरेक्टर की है। उन्हें रेवाड़ी, हिसार एवं सोनीपत में खाली पदों के चलते ज्वाइंट डायरेक्टर के पद का भी चार्ज दिया हुआ है। इसी के तहत उन्हें इन्हीं जिलों के आस पास के  जिले फरीदाबाद, नूंह, रोहतक, भिवानी एवं दादरी में लिंक आफिसर भी लगा दिया गया है। लिंक आफिसर की जिम्मेदारी उस समय दी जाती है जब संबंधित स्टेशन पर कार्यरत अधिकारी छुटटी, तबादला, रिटायरमेंट, टूर या ट्रेनिंग पर चला जाए। कायदे से लिंक अधिकारी एक माह तक ही इस तरह की जिम्मेदारी निभा सकता है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि ईश्वर सिंह यादव लगभग पिछले एक साल से लिंक अधिकारी की जिम्मेदारी भी निभाते आ रहे हैं जबकि कुछ स्टेशनों पर सीनियर अधिकारी चाहते तो कनिष्ठ अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दे सकते थे। ऐसा क्यों नहीं किया गया यह जांच का विषय हो सकता है। यहां सवाल यह उठता है कि क्या एक अधिकारी इतना सक्षम हो सकता है कि एक साथ 9 जिलों के कामकाज को सहजता से संभाल सकता है। इसी दौरान उसे इन्हीं जिलों की जिला प्रशासन मीटिंग में भी भाग लेना अनिवार्य होता है। चंडीगढ़ में केस की तारीख पर पहुंचना अलग है। इसके अलावा प्रत्येक जिले में  जिला रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी के पास जिले की सैकड़ों समितियों एवं आए दिन समितियों के रजिस्ट्रेशन एवं चुनाव से संबंधित मामले आ रहे हैं। समय पर काम नहीं होने की वजह से इस विभाग की सबसे ज्यादा शिकायतें सीएम विंडों, उपायुक्त एवं हरियाणा सरकार के पास पहुंच रही है। इस विभाग को संचालित कर रहे सीनियर अधिकारी जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं या उनकी मजबूरी है। इसकी भी जांच होना इसलिए जरूरी है क्योंकि हर जिले में आमजन का इस विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर जबरदस्त रोष फैलता जा रहा है।  दूसरी ओर सरकार का यह दावा भी कागजी साबित हो रहा है कि वह छोटे छोटे कस्बों एवं जिलों में लोकल स्तर पर उद्योगों को बढ़ावा देने के प्रति गंभीर है। इस पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खटटर एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को गंभीरता से सोचना चाहिए कि  क्या 9 जिलों को संभालने वाला एक अधिकारी कितनी ईमानदारी एवं जिम्मेदारी के साथ काम कर सकता है।

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