हरियाणा फिल्म पॉलिसी पूरी तरह से पारदर्शी, देशभर में मिली सराहना

रणघोष अपडेट. हरियाणा

2018 के बाद संशोधित हरियाणा फिल्म एंड इंटरटेनमेंट पॉलिसी 2022 में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती गई है। पॉलिसी का स्वरूप इस तरह से तैयार किया गया है कि इसमें सरकार एवं अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं होकर चयनित कमेटी को इस प्रक्रिया के संपूर्ण अधिकार दिए गए हैं। इस पॉलिसी की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है। बॉलीवुड की नामी हस्तियों में स्व. सतीश कौशिक,

 गजेंद्र चौहान समेत अनेक बड़े बैनर के निर्माताओं ने इसे हरियाणा सरकार का शानदार कदम  बताया है। यहां बता दें कि मीडिया के माध्यम से फिल्म से जुड़े कुछ लोगों ने इस पॉलिसी पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने जो भी आरोप लगाए वह पॉलिसी की सत्यता से कई मेल नहीं खा रहे थे। डिपार्टमेंट ऑफ इंफॉरमेशन, पब्लिक रिलेशनस एंड लैंग्वेज, हरियाणा के अंतर्गत अलग से फिल्म विभाग काम करता है। जिसका उद्देश्य हरियाणवी लोक संस्कृति एवं भाषा का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान- सम्मान बढ़ाने वाली फिल्मों का चयन कर उन्हें पॉलिसी के तहत सब्सिडी मुहैया करवाना है। इसके लिए बकायदा अलग अलग कमेटियों का गठन किया हुआ है जिसकी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद किसी भी फिल्म को यह आर्थिक मदद मिलती है। पॉलिसी में पूरी तरह से पारदर्शिता बनाए रखने के लिए स्टेप टू स्टेप ऐसे प्रावधान बना दिए जिसमें सरकार व संबंधित विभाग का रोल ही खत्म हो जाता है। सबकुछ कमेटियों की रिपोर्ट पर कार्रवाई अमल में लाई जाती है। इस पॉलिसी के लागू होने के बाद 16 फिल्मों की कमेटियों द्वारा स्क्रेनिंग की गईं जिसमें 4 फिल्मों का चयन किया गया। दो बड़े बैनर की नॉन हरियाणवी फिल्में थी इसके अलावा दादा लख्मीचंद जिसे नेशनल अवार्ड मिला ओर एक छोटे बजट की फिल्म को स्टार्टअप के तौर  चयनित किया गया। इन फिल्मों के आर्थिक पहुलओं को अलग से वित कमेटी देखती है। सभी कमेटियों की रिपोर्ट एक साथ फाइनल होने के लिए गर्वनिंग काउंसलिंग के पास जाती है जिसमें अलग अलग विभागों के सीनियर्स अधिकारी सदस्य होते हैं। उनकी स्वीकृति मिलने के बाद ही फिल्मों को निर्धारित सब्सिडी जारी होती है। पॉलिसी में फिल्म के जारी नहीं होने पर सब्सिडी नहीं देने का कोई प्रावधान नहीं है। पॉलिसी में साफतौर से लिखा है कि 50 प्रतिशत राशि फिल्म रिलीज जारी नही होने पर दी सकती है बाकि राशि फिल्म के रिलीज होने पर मिलती है। इस पॉलिसी का मूल उद्देश्य नॉन हरियाणवी व हरियाणा की संस्कृति, भाषा को प्रमोट करना है। अधिकारियों ने बताया कि जो  लोग मीडिया के माध्यम से इस पॉलिसी पर सवाल खड़े कर रहे हैं उसमें उनके निजी हित छिपे हुए है। जो पूरे नहीं होने पर मनगंढत, तर्कहीन आरोप लगा रहे हैं।