हो गया खुलासा.. वायरस कोरोना नहीं हमारा सिस्टम है, चार कुर्बानी लेने के बाद अब धड़ाधड़ आक्सीजन की सप्लाई, बजाओ ताली

रणघोष खास. सुभाष चौधरी


अगर हम अपनी जिम्मेदारी-  जवाबदेही से बचना चाहते हैं तो कोरोना वायरस है। अगर इसे स्वीकार करते हैं तो सबसे खतरनाक नजर आने वाला इंसानी वायरस है जो अलग अलग चेहरों में नजर आ रहा है। अगर ऐसा नहीं है तो शहर के विराट अस्पताल में आक्सीजन की कमी से जिन चार कोरोना पीड़ितों की मौत हुई उसके बाद से अभी तक आक्सीजन की बेधड़क सप्लाई अब कैसे हो रही है। क्या आक्सीजन जमीन को फाड़ कर बाहर निकली है या आसमान में बारिश की तरह सिलेंडरों में भर गई है। ऐसा भी नहीं है कि दूसरे मरीजों की जान खतरे में डालकर रेवाड़ी की जिंदगियों को बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। कमाल देखिए। इन तमाम घटनाओं के बावजूद कोई सत्ताधारी नेता या अधिकारी नैतिक तौर पर अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। बस शब्दों के डॉयलाग को इधर से उधर घूमाकर उन मौतों का मजाक उड़ा रहे हैं जो जिंदगी भर सिस्टम से सवाल करती रहेगी उनका कसूर क्या था।

हम कब तक अपनी नाकामियों को कोरोना की आड लेकर छिपाते रहेंगे। हमें शर्म क्यों नहीं आती। क्यों चुल्लू भर पानी में डूबकर नहीं मर जाते..। हमारी खाल इतनी सख्त कैसे हो गई जिसमें इंसानियत- मानवता निकलकर बाहर नहीं आ पा रही है। देशभर में अलग अलग तरह की भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं। मंगलवार को जिस तरह रेवाड़ी शहर के कोविड-19 अस्पतालों में आक्सीजन की सप्लाई बिना किसी औपचारिकता के दौड़ रही थी। अस्पताल के यूनिट हैड प्रताप यादव भी हैरान है अब बिना बोले बिना औपचारिकता के सिलेंडर ऐसे आ रहे हैं मानो कहने की देरी है।  क्या यह इंसानियत थी या चार लोगों की मौत से जन्में गुस्से के डर से यह सब हो रहा था। ईमानदारी से इन परिस्थितियों का मंथन करिए। सबकुछ साफ नजर आएगा। दरअसल कोरोना के बहाने इन हालातों ने सिस्टम के लिए छिपने की कोई जगह नहीं छोड़ी जो अभी तक इस भ्रम में थे कि वे कुछ भी बोले, दावे करें, झूठ बोले, पांखड- मक्कारी से सबकुछ अपने वश में कर लेंगे। वे सारे बेनकाब हो गए। कोरोना ने ऐसा कोई कोना नहीं छोड़ा जहां वे छिपने की आड भी ले सके। इसलिए जाहिर है जब सबकुछ सामने आ गया तो मुंह छिपाने के लिए अब इधर उधर भाग रहे हैं। इसलिए सभी से अपील है कि वे खुद पर भरोसा करें सिस्टम पर नहीं। वह तो कभी का खुद हडि्डयों का कंकाल बन चुका है या बना दिया गया है। इसलिए तो थोड़ी सी चुनौती आते ही उसका शरीर बजाय सामना करने के  इधर उधर बिखरता नजर आता है।

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