10 हजार में बिके एक आम तो डीजीपी को मिला ज्ञान, गरीब स्कूली बच्चों को मिलेगा फायदा

 रणघोष खास. झारखंड से 

झारखण्‍ड पुलिस ने एक सराहनीय पहल की है। कोरोना काल में वैसे गरीब बच्‍चों को मोबाइल या लैपटॉप उपलब्‍ध करायेगी जिनकी शिक्षा इसके अभाव में नहीं हो पा रही। इसके लिए लोगों के सहयोग से पुराने मोबाइल और लैपटॉप एकत्र किये जायेंगे। जिनके पास अतिरिक्‍त है, अनुपयोगी पड़ा है उससे दान में लेंगे और जरूरतमंद स्‍कूली बच्‍चों को देंगे। कोरोना काल में जब स्‍कूल बंद हैं और ऑनलाइन क्‍लास ही सहारा है वैसे में गरीब परिवार के बच्‍चों के लिए यह अभियान बड़ा कारगर साबित हो सकता है। झारखण्‍ड के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्‍हा ने यह पहल की है। गौर करने वाली बात यह है कि उन्‍हें इसका ज्ञान तब हुआ, सबक तब मिली जब जब गरीब बच्‍ची के एक दर्जन आम 1.20 लाख रुपये में बिक गये। दरअसल, जमशेदपुर के बिष्‍टुपुर में बागमती रोड के एक मकान के आउटहाउस में रहने वाली 12 साल की तुलसी सरकारी स्‍कूल के पांचवीं कक्षा तक पढ़ी है। कोरोना के कारण पिता की नौकरी छूट गई। वह मोबाइल के माध्‍यम से ऑनलाइन पढ़ाई करना चाहती थी। मगर मोबाइल नहीं था। वह बंगले के आसपास के मकानों में लगे पेड़ से गिरे आम चुनकर बेच रही थी ताकि पढ़ाई के लिए एक स्‍मार्ट फोन खरीद सके। उसकी तस्‍वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मुंबई की एक कंपनी के एमडी अमेया हेटे के पास पहुंची। उन्‍होंने संपर्क साधा और तुलसी के एक दर्जन आम 1.20 लाख रुपये में खरीद पैसे उसके पिता के बैंक खाते में भेज दिये। अब उसके पास स्‍मार्ट फोन है। जिससे वह पढ़ाई कर रही है। वहीं, तेलंगाना की ऐश्‍वर्या रेड्डी पढाई के लिए एक सेकेंड हैंड लैपटॉप खरीदना चाहती थी। पैसे नहीं थे, नहीं खरीद सकी और अपनी जान दे दी। दोनों घटनाओं ने डीजीपी को झकझोरा तो उन्‍होंने उपकरण बैंक खोलने की पहल की। जिलों के पुलिस अधीक्षकों से पत्राचार किया। लोगों से पुराने स्‍मार्ट फोन, लैपटॉप, कम्‍प्‍यूटर दान करने की अपील की। सीमित जीवन होने के कारण नियमित अंतराल पर लोग स्‍मार्ट फोन, लैपटॉप, कम्‍प्‍यूटर बदलते रहते हैं, पुराना अनुपयोगी रह जाता है। हालांकि वे दूसरे लोगों के काम के हो सकते हैं। पुलिस अधीक्षकों से कहा कि कुछ दिनों तक पायलट प्रोजेक्‍ट के तहत यह योजना चलाई जा सकती है। निर्देश के बदले उन्‍होंने परामर्श भरे अंदाज में अधीनस्‍थों को पत्र लिखा है। दुरुपयोग की आशंका को ध्‍यान में रखते हुए सुरक्षा मानक भी तय किये गये हैं। ये उपकरण बैंक थानों में खुलेंगे और सरकारी स्‍कूलों के माध्‍यम से बच्‍चों के बीच स्‍मार्ट फोन, लैपटाप आदि का वितरण किया जायेगा। कोरोना काल में जब लोग भय से घरों में बंद थे पुलिस सड़क से लेकर अस्‍पताल तक अपनी जिम्‍मेदारी अदा कर रही थी। मरीजों को अस्‍पताल पहुंचाने से लेकर खाना पहुंचाने में भी ऐसे में झारखण्‍ड पुलिस की यह पहल भी दूसरे प्रदेशों के लिए नजीर बन सकती है।

 

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