18 घंटे काम, बासी भोजन, गुलामों जैसा व्यवहार…

लीबिया से पंजाब लौटे युवकों ने बयां किया दर्द, कहाहमें 2.50 लाख रुपए में बेचा गया


लीबिया से हाल ही में पंजाब लौटे युवकों के एक समूह ने मंगलवार को दावा किया कि उन्हें उनके एजेंटों ने प्रति व्यक्ति 3,000 डॉलर (करीब 2.5 लाख रुपए) के हिसाब से बेच दिया था. जालंधर के फिल्लौर के एक 33 वर्षीय व्यक्ति ने पिछले महीने एक वीडियो एसओएस भेजा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जालंधर के एक एजेंट ने, जिसने उसे दुबई में घरेलू कामगार की नौकरी दिलाने का वादा किया था, उसे 13,000 दिरहम (लगभग 3 लाख रुपये) के लिए एक व्यक्ति के पास बेच दिया है. मौजूदा मामले में युवकों ने दावा किया कि बेचे जाने के बाद उन्हें एक कंपनी में बंधक बनाकर रखा गया और उनसे गुलामों की तरह काम कराया गया.
कुछ युवाओं ने मंगलवार को भारत के विदेश मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया. युवाओं ने दावा किया कि मंत्रालय ने सही समय पर दखल दिया और उन्हें अपने देश वापस लाने में मदद की. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सभी युवक वहां लीबिया के बेनगाजी स्थित एलसीसी सीमेंट कंपनी में मजदूरी करने गए थे. हालांकि, लीबिया पहुंचने के तुरंत बाद उन्होंने पाया कि उन्हें उनके एजेंट द्वारा कंपनी को बेच दिया गया था. युवकों ने दावा किया कि कंपनी ने उन्हें 18 घंटे से अधिक समय तक काम करने के लिए मजबूर किया. इतना ही नहीं, इस दौरान कभी-कभी उन्हें भोजन या पानी भी नहीं दिया जाता था.
ना रहने के लिए जगह थी और ना ही खाने के लिए भोजन
लीबिया से लौटे कपूरथला के नूरपुर राजपूत गांव के गुरप्रीत सिंह ने बताया कि पिछले साल दिसंबर में वह ड्राइवर की नौकरी के सिलसिले में दुबई गया था. लेकिन जैसे ही वह दुबई पहुंचा, उसे कई अन्य युवकों के साथ लीबिया भेज दिया गया. गुरप्रीत ने कहा, ‘लीबिया पहुचने के बाद मैं हैरान रह गया. हमारे रहने के लिए कोई जगह नहीं थी. हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था. हम कई दिनों तक बासी भोजन पर जीवित रहने के लिए मजबूर थे और जिस कंपनी के लिए हमने काम किया, उसने हमें कोई पैसा नहीं दिया.’ पीड़ित ने आगे कहा कि जिस किसी ने भी विरोध किया, उसे पीटा गया.
उन्होंने कहा, ‘जब हमने कहा कि हम भारत वापस जाना चाहते हैं, तो हमें कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि हर एक को 3,000 डॉलर में उन्हें बेच दिया गया है. अब हमें अपनी आजादी के लिए प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से 3,000 डॉलर का भुगतान कंपनी को करना था.’

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