2660 फर्जी कंपनियां बनाकर लिया GST रिफंड, सरकार को लगाया 10 हजार करोड़ का चूना

नोएडा पुलिस ने जीएसटी नंबर सहित 2660 फर्जी कंपनियां बनाने वाले एक गिरोह के  महिला समेत 8 लोगों को पकड़ा है. पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि ये लोग सरकार को प्रति माह करीब 1000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान और राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे थे. अब तक करीब 10 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया जा चुका है. आगे की इंवेस्टिगेशन के लिए सीजीएसटी, एसजीएसटी और इनकम टैक्स की टीम को भी नोटिफाइ किया गया है.

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि पैन कार्ड से फर्जी वाड़े की एक शिकायत कोतवाली सेक्टर-20 में दर्ज कराई गई. जांच पड़ताल शुरू की गई. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी से मिले डाटा को निकाला गया, जिससे ये पता लगा कि करीब 26 सौ से ज्यादा फर्जी कंपनी बनाई गई. इनके पास 6.35 लाख लोगों के पैन कार्ड का डाटा मिला है, जिससे ये कंपनी रजिस्टर्ड कराते थे.

इनकी पहचान यासीन शेख पुत्र मौ हाफिज शेख और अश्वनि पाण्डे पुत्र अनिल कुमार को फिल्म सिटी मेन रोड से गिरफ्तार किया गया. आकाश सैनी पुत्र ओंकार सैनी, विशाल पुत्र रविन्द्र सिंह, राजीव पुत्र सुभाष चन्द, अतुल सेंगर पुत्र नरसिंह पाल, दीपक मुरजानी पुत्र स्व नारायण दास और एक महिला विनीता पत्नि दीपक को जीबोलो कंपनी कार्यालय, मधु विहार, दिल्ली से गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से 12 लाख 66 हजार रुपये नगद, 2660 फर्जी तैयार की गयी जीएसटी फर्म की सूची, 32 मोबाइल फोन, 24 कम्प्यूटर सिस्टम, 4 लैपटॉप, 3 हार्ड डिस्क, 118 फर्जी आधार कार्ड, 140 पैन कार्ड, फर्जी बिल, 03 लग्जरी कारें बरामद हुई हैं.

कैसे लगाते थे चूना
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि यह एक संगठित गिरोह है. इनके जरिए पिछले 5 सालों से फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैयार कराकर फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफन्ड कर (ITC इंपुट टैक्स क्रेडिट) प्राप्त कर सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे थे. ये दो टीमों में काम करते थे. दोनों टीम आपस में फेस-2-फेस मुलाकात नहीं करते थे. अधिकांश यह वॉटस एप कॉलिंग एवं मेल का प्रयोग करते हैं. पहली टीम फर्जी दस्तावेज, फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेन्ट एग्रीमेन्ट, इलेक्ट्रीसिटी बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैयार करते हैं. दूसरी टीम फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित को प्रथम टीम से खरीद कर फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफन्ड ( इंपुट टैक्स क्रेडिट) प्राप्त कर सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगाते हैं.

किसका क्या था काम?
दीपक मुरजानी यह प्रथम टीम का मास्टर माइंड था. यह गैंग को संचालित करता था. यह फर्जी दस्तावेज, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेन्ट एग्रीमेन्ट, इलेक्ट्रीसिटी बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित तैयार कराता था. तैयार की गई फर्जी फर्म को विक्रय करने के लिए क्लाइंट(द्वितीय टीम) तलाश करने का कार्य करता था. इसके द्वारा फर्म बेचने के मोटे रुपये लिए जाते थे. इन फर्म में फर्जी पैन कार्ड लिंक होता था और उस पैन कार्ड से जीएसटी नम्बर बनाए जाते थे. मो यासीन शेख यह प्रथम टीम का प्रमुख सदस्य था. फर्म रजिस्टर्ड कराने की टेक्नोलॉजी और उस फर्म का जीएसटी बनाने की प्रक्रिया से पूर्व से भलिभांति परिचित था. यह पूर्व में मुम्बई में वेबसाइट तैयार करने का कार्य करता था. यह अपने साथ कुछ युवा लड़कों को रखता था, जिन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित करता था इसके द्वारा जस्ट डायल के माध्यम से डेटा लेकर फर्जी तरीके से फर्म बनाई जाती थी. विशाल यह प्रथम टीम का प्रमुख सदस्य था. यह अशिक्षित एवं नशा करने वाले लोगों को रुपयों का लालच देकर एवं भ्रमित कर अपने फर्जी नम्बरों को आधार कार्ड में अपडेट कराने का कार्य करता था. आकाश यह प्रथम टीम का प्रमुख सदस्य था. यह अशिक्षित एवं नशा करने वाले लोगों को रुपयों का लालच देकर एवं भ्रमित कर अपने फर्जी नम्बरों को आधार कार्ड में अपडेट कराने का कार्य करता था. राजीव यह सदस्य बिना माल का आदान प्रदान किए ही अपने सहयोगी अतुल के साथ ऑन डिमान्ड फर्जी बिल तैयार करता था और विक्रय करता था. अतुल यह राजीव के कहने पर ही फर्जी बिल तैयार करने का कार्य करता था. अश्ववनी यह टीम के प्रमुख सदस्य मो यासीन शेख के संपर्क में रहकर फर्जी फर्म के लिए फर्जी बैंक अकाउन्ट खुलवाता था. यह एक खाता खुलवाने का दस हजार रुपया लेता था. अब तक की पूछताछ में इसके द्वारा विभिन्न बैंकों में 4 फर्जी बैंक अकाउन्ट झमेली चौपाल, जिबोलो, रजनीश झा, विवेक झा को खुलवाना पाया गया है. विनिता यह प्रथम टीम के मास्टर माइन्ड दीपक मुजमानी की पत्नी है. यह प्रथम टीम द्वारा तैयार की गई फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित को विक्रय करने एवं टीम के द्वारा संचालित फर्जी फर्म में, फर्जी बिलों को लगाकर जीएसटी रिफन्ड (आईटीसी इंपुट टैक्स क्रेडिट) से होने वाली इन्कम का लेखा जोखा रखना एवं टीम के सदस्यों का उनका कमीशन व खर्चे आदि के प्रबन्धन का कार्य करती थी.

जस्ट डायल से अवैध रूप से खरीदते थ डाटा
ये लोग सबसे पहले फर्जी फर्म तैयार करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जस्ट डायल के माध्यम से अवैध रूप से डैटा(पैन नम्बर) क्रय करते थे, जिसके बाद कालोनियों एवं मोहल्लों के अशिक्षित एवं नशा करने वाले व्यक्तियों को 1000-1500 रुपयों का लालच देकर एवं भ्रमित कर उनके आधार कार्ड में पूर्व से एकत्रित किए गए फर्जी मोबाइल सिम नम्बर को रजिस्टर्ड करा लेते थे. इसके बाद इस टीम द्वारा ऑन लाइन रेन्ट एग्रीमेन्ट एवं इलेक्ट्रीसिटी बिल को फर्जी तरीके से डाउनलोड कर लेते थे. इसी के जरिए ये एड्रेस तैयार करते थे. ये लोग क्रय की गई फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित का उपयोग बिना माल का आदान प्रदान किए, तैयार किए गए फर्जी बिलों का फर्म में उपयोग कर भारत सरकार से जीएसटी रिफन्ड करा लेते थे. एक फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित में एक माह में करीब दो से तीन करोड़ के फर्जी बिलों का उपयोग किया जाता था, जिनमें कुल धन राशि का निर्धारित जीएसटी प्रतिशत का रिफन्ड अवैधानिक रूप से प्राप्त किया जाता था.

ये फरार साथी जिनकी की जा रही तलाश
आंछित गोयल पुत्र प्रदीप गोयल, प्रदीप गोयल, अर्चित, मयूर उर्फ मणि नागपाल, चारू नागपाल, रोहित नागपाल, दीपक सिंघल व इनके अलावा अन्य अज्ञात व्यक्ति हैं. इस गैंग के दिल्ली में मधु विहार, शहादरा और पीतमपुरा में ऑफिस संचालित किए जा रहे थे.

 

 

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