29 मई को चंडीगढ़ में भाजपा के बैनर पर एक साथ दिखे प्रिंट, न्यूज चैनल, सोशल मीडिया, यू टयूबर नाम से पत्रकार एक साथ कई चेहरों में नजर आए। जिसमें यह तलाश कर पाना मुश्किल हो रहा था कि इस पेशे का असली मूल चरित्र किसमें छिपा है।
रणघोष खास. प्रदीप नारायण
हरियाणा में इन दिनों भाजपा सरकार के मंत्री पदाधिकारी राजस्थान से चंडीगढ़ जोड़ने वाले एक्सप्रेस हाइवे 152 डी व दिल्ली-जयपुर- मुंबई एक्सप्रेस हाइवे से झटके खाती अपनी राजनीति को सही दिशा में दौड़ाने की जुगत में लग गए हैं। एक्सप्रेस हाइवे का श्रेय केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की दिमागी सोच को जाता है। कमाल की बात देखिए पीएम नरेंद्र मोदी के 9 साल पूरे होने की उपलब्धियों पर दिखाई जा रही फिल्म में देश के चारों तरफ नेशनल हाइवे का जाल बिछाने वाला यह स्टार ही गायब है।
इन एक्सप्रेस हाइवे का जिक्र करते समय नितिन गड़करी की उस बात को भी अनसुना कर दिया गया जिसमें में डंके की चोट पर कहते रहे कि हमारे पास पैसो की कोई कमी नहीं है। एक लाख करोड़ से ज्यादा की लागत वाले हाइवे बनाने की हैसियत रखते है। बस कमी देश में ईमानदार नेताओं की है। एक ही झटके में सबकुछ कह दिया था इस रोड किंगमेकर ने। यहीं वजह है कि जब बैलेंस बिगड़ने लगा तो भाजपा के रणनीति कारों को हाइवे याद आ गया। इसलिए 3 जून को नेशनल हाइवे 152 डी से भाजपा मेगा रोड शो निकालने जा रही है जो पांच लोकसभा क्षेत्र से होकर गुजरेगा।
इससे पूर्व 29 मई को भाजपा ने मौजूदा हालात को कंट्रोल में लाने के लिए हरियाणा- चंडीगढ़ के पत्रकारों को केंद्र सरकार के 9 साल पूरे होने के अवसर पर चंडीगढ़ में लंच दिया। भाषण और पर्दे की स्क्रीन से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बदलते भारत की तस्वीर दिखाईं। हम पत्रकारों की टोली भी रेवाड़ी से नेशनल हाइवे वे 152 डी से चार घंटे में चंडीगढ़ पहुंची। कुछ साल पहले यही सफर 8 से 12 घंटे मानसिक चुनौती व परेशानियों से भरा होता था। बताया गया कि हर जिले से चुनिंदा पत्रकारों को ही किसी विशेष मापदंड के आधार पर चयनित कर बुलाया गया है। सेलेक्शन प्रक्रिया के बावजूद मीडियाकर्मियों की यह तादाद मेले की तरह नजर आईं। जिसे देख यह समझ पाना मुश्किल हो रहा था अलग अलग शानदार ड्रेस कोड में बाराती की तरह सज धरकर नजर आने वाले पत्रकार तेज तर्रार- समझदार ओर असरदार है या फिर सीएम मनोहरलाल खटटर, प्रदेश प्रभारी विप्लब देब या अन्य प्रभावशाली नेताओं से अपनी पुरानी जान पहचान को काबलियत बताकर फोटो सेशन करा इतराने वाले। दरअसल इन दिनों मीडिया में भी प्रिंट, न्यूज चैनल, सोशल मीडिया, यू टयूबर के नाम से कई चेहरे हो गए हैं जिसमें यह तलाश कर पाना मुश्किल हो रहा था कि पत्रकार का असली मूल चरित्र किसमें छिपा है। 7 घंटे के इस मैराथन आयोजन में पीएम मोदी के 9 साल के नेतृत्व में नया भारत दिखाया गया।गौर करने वाली बात यह रही कि स्क्रीन की स्लाइड में ओनली मोदी जी ही नजर आए लेकिन इस दरम्यान ब्रेकफास्ट, लंच व शाम की हाईटी के समय फुर्सत के पलों में अटल जी, नितिन गडकरी चर्चा में छाए रहे जो पर्दे पर दिखाई जा रही स्लाइड से पूरी तरह गायब थे। मतलब साफ था 2014 के बाद से भाजपा अपने असल वजूद में आई हैं जिसके महानायक श्री नरेंद्र मोदी जी है। पत्रकारों के साथ भाजपा की मीडिया टीम भी टेबल पर थी। भाजपा से मिले सम्मान के साथ रात को इसी 152 डी हाइवे पर गाड़ी दौड़ने लगी तो कई बार बैलेंस बिगड़ा। हैरानी भी हुई चलाने वाला भी वही था। दरअसल भाजपा की 9 साल की उपलब्धियों में जन्मा श्रेय मोदी जी की गिरफ्त से बाहर निकलने के लिए बैचेन नजर आ रहा था। सुबह जब इसी हाइवे से आए तो तारीफ की शक्ल में नितिन गडकरी जुबानं पर थे इसलिए सफर का पता ही नहीं चला कब गंतव्य तक पहुंच गए। वापसी में इसी सोच की स्क्रिप्ट बदली तो यही रोड डराने लगा।
हरियाणा नेताओं की भी बदल रही स्क्रिप्ट
हरियाणा राजनीति भी सरकार चलाने वाले नेताओं की आए दिन बदल रही स्क्रिप्ट की वजह से डगमगाने लगी है। विधायक– सांसद बनने के लिए एक बार फिर हरियाणा में भाजपा नेताओं को मोदी जी हनुमान जी की तरह संकट मोचक नजर आ रहे हैं। इसलिए उनके नाम का स्तुति गान आने वाले दिनों में हनुमान चालीसा की तरह घर घर पहुंचेगा। इससे पहले हरियाणा में पिछले साढ़े आठ सालों में कार्यकर्ता इसलिए नाराज दिखे कि विधायक- मंत्री उनकी नहीं सुनते। मंत्री विधायक इसलिए गुस्सा दिखाते रहे कि अफसरशाही उनकी नहीं सुनती। चंडीगढ़ से सभी को कमांड करने वालों का कहना है कि दिल्ली से जो आदेश आएगा उसी पर अमल होगा। यानि जिसे जो श्रेय व सम्मान मिलना चाहिए वह भी विशेष कृपा दृष्टि से तय होता रहा है। अब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो साइड इफेक्ट भी दिखने शुरू हो गए हैं। बाहर से सुंदर स्वस्थ्य नजर आने वाली भाजपा का अंदर से हाजमा बिगड़ रहा है। जिसे ठीक करने के लिए एक बार फिर मोदी टैबलेट का सहारा लिया जा रहा है। राजनीति के डॉक्टर्स मानते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में तो यह गोली असर कर सकती है लेकिन विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश– कर्नाटक की तरह बेअसर होने का भी पूरा जोखिम है। इसलिए बेहतर होगा कि उपलब्धियों की स्क्रीन पर उन कार्यकर्ताओं को भी दिखाया जाए जो गांव शहर की चौपाल पर बैठकर पार्टी के लिए विरोधियों के हमले झेलता है। ऐसा हो पाया तो हरियाणा में एक्सप्रेस हाइवे पर दौड़ रही भाजपा बड़े हादसे से बच जाएगी।