कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी कैसे नया इतिहास रचा जा सकता है, इसका उल्लेखनीय उदाहरण है मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल (हरि) द्वारा ऑनलाइन आयोजित अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन। एक नवंबर को देर शाम आयोजित इस कवि-सम्मेलन में एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया सहित छह महाद्वीपों और भारत, नेपाल, जापान, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, श्रीलंका, कतर, आबूधाबी, दुबई, कुवैत, ओमान, जॉर्जिया, रूस, बल्गारिया, नीदरलैंड, पोलैंड, बैल्जियम, नॉर्वे, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, सूरीनाम, तंजानिया, नाइजीरिया, केन्या, मॉरिशस, फिजी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित बत्तीस देशों के बावन कवियों ने एकसाथ और एकमंच पर सहभागिता कर, पूरे विश्व को भावना के सूत्र में पिरोते हुए, एकता का संदेश दिया।
चीफट्रस्टी डॉ रामनिवास ‘मानव’ के प्रेरक सान्निध्य, ट्रस्ट की अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम-प्रभारी उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’ के कुशल संचालन तथा नेपाल के पूर्व कृषि मंत्री और काठमांडू के वरिष्ठ साहित्यकार त्रिलोचन ढकाल की अध्यक्षता में आयोजित इस भव्य एवं ऐतिहासिक कवि-सम्मेलन में विज्ञान एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ अवनीश कुमार मुख्य अतिथि और महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल (हरि) के कुलपति डॉ श्रेयांश द्विवेदी, सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राज) के कुलपति डॉ उमाशंकर यादव तथा आईबी के पूर्व सहायक निदेशक और पटियाला (पंजाब) के वरिष्ठ कवि नरेश नाज़ विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अध्यक्षीय वक्तव्य में त्रिलोचन ढकाल ने कहा कि कविता व्यक्तित्व के विस्तार की कला है तथा इसीलिए काव्य को सर्वश्रेष्ठ कला और सर्वोत्तम उपलब्धि माना जाता है। मुख्य अतिथि डॉ अवनीश कुमार ने स्पष्ट किया कि कविता व्यक्ति को व्यक्ति से, समाज को समाज से तथा देश को देश से भावना के सूत्र में पिरोकर मजबूती से जोड़ती है। विशिष्ट अतिथि डॉ श्रेयांश द्विवेदी, डॉ उमाशंकर यादव और नरेश नाज़ ने कविता के संदेश को सार्वजनिक, सार्वकालिक और सार्वभौमिक बताते हुए कहा कि काव्य, वैयक्तिक रचना होने के बावजूद, विश्व की शाश्वत धरोहर माना जाता है। कवि-सम्मेलन में कोरोना, आतंकवाद, साम्प्रदायिक सौहार्द, विश्वशांति और राष्ट्रवाद तक विभिन्न विषयों पर कविताएं पढ़ी गईं। दिल्ली की वरिष्ठ कवयित्री उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’ ने अपनी मनोव्यथा कुछ यूं प्रकट की-‘छोटे दिल के ऊंचे लोगों से करता लड़ती, मैं थी नींव जड़ा इक पत्थर, मीनारों से क्या लड़ती।’, तो मास्को (रूस) की श्वेता सिंह का कहना था-‘जब से कलम की शब्दों से दोस्ती हुई है, मुझे कोई और दोस्त अच्छा नहीं लगता।’ पटियाला (पंजाब) के वरिष्ठ कवि नरेश नाज़ ने दोहों के माध्यम से अपनी बात कही। उनका एक दोहा देखिए-‘सदियों जोही बांट तब, मुक्त हुए श्रीराम। अब जल्दी से मुक्त हों, मथुरा-काशी धाम।।’ पांच घंटों तक चला यह कवि-सम्मेलन डॉ जितेंद्र भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-गीत तथा डॉ पंकज गौड़ द्वारा धन्यवाद-ज्ञापन के साथ संपन्न हुआ।
इन्होंने की सहभागिता :
इस अनूठे और ज्ञात इतिहास के सबसे बड़े कवि-सम्मेलन में टोक्यो (जापान) की रमा पूर्णिमा शर्मा, क्वालालंपुर (मलेशिया) की मनीषा श्री, सिंगापुर सिटी (सिंगापुर) की चित्रा गुप्ता, पर्थ (ऑस्ट्रेलिया) के आशीष शर्मा, काठमांडू (नेपाल) की डॉ श्वेता दीप्ति और डॉ पुष्करराज भट्ट, कोलंबो (श्रीलंका) की डॉ अंजली मिश्रा, दोहा (कतर) के बैजनाथ शर्मा, आबूधाबी सिटी (आबूधाबी) की ललिता मिश्रा, दुबई सिटी (दुबई) की स्नेहा देव, कुवैत सिटी (कुवैत) की नाज़नीन अली ‘नाज़’, निजवा (ओमान) के डॉ अशोककुमार तिवारी, थ्बिलिसी (जॉर्जिया) की डॉ मृदुल कीर्ति, मास्को (रूस), की श्वेता सिंह, सोफिया (बल्गारिया) की डॉ मौना कौशिक, वारसा (पोलैंड) के डॉ सुधांशु शुक्ला, एम्सटर्डम (नीदरलैंड) के डॉ रामा तक्षक, ब्रुसेल्स (बैल्जियम) के कपिल कुमार, ओस्लो (नॉर्वे) के डॉ सुरेशचंद्र शुक्ल, बर्लिन (जर्मनी) की योजना शाह जैन, चान (फ्रांस) की कुलवंत कौर, ब्रिटेन से लंदन के कृष्ण बजगई और नॉटिंघम की डॉ जया वर्मा, वेंकूवर (कनाडा) की प्राची चतुर्वेदी रंधावा, सेंटियागो (अमेरिका) की डॉ कमला सिंह, पारामारिबो (सूरीनाम) के धीरज कांधाई, दारएसलाम (तंजानिया) के अजय गोयल, लागोस (नाइजीरिया) की राखी बिलंदानी, नैरोबी (केन्या) की मनीषा कंठालिया, पोर्ट लुईस (मॉरीशस) की पूनम के सजीवन और रंजीता बनवारी, नौसोरी (फिजी) की श्वेता दत्त चौधरी, पर्थ (ऑस्ट्रेलिया) की रेखा राजवंशी और रीटा कौशल, ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) के रोहितकुमार ‘हैप्पी’ तथा भारत से भिवानी के डॉ रमाकांत शर्मा, सिवानी मंडी के डॉ सत्यवान सौरभ, नारनौल के डॉ पंकज गौड़, डॉ जितेंद्र भारद्वाज और डॉ रामनिवास ‘मानव’, अलवर के संजय पाठक, दिल्ली की उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’ और बेबी निरंजना, नोएडा की डॉ माला कपूर, गाजियाबाद की अंजू जैन, नवी मुंबई की डॉ मंजू गुप्ता और टीकमगढ़ के रामस्वरूप दीक्षित ने अपनी विशिष्ट काव्य-रचनाओं द्वारा कवि-सम्मेलन को गरिमा और ऊंचाई प्रदान की।
ये रहे उपस्थित :
इस ऐतिहासिक कवि-सम्मेलन में ट्रस्टी डॉ कांता भारती, विश्वबैंक, वाशिंगटन डीसी (अमेरिका) की अर्थशास्त्री डॉ एस अनुकृति और परामर्शी प्रो सिद्धार्थ रामलिंगम, काठमांडू (नेपाल) की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘हिमालिनी’ के प्रबंध-संपादक सच्चिदानंद मिश्र, मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) की साहित्यकार उर्मिला ठाकुर, मुंबई (महाराष्ट्र) के सहायक इनकम टैक्स कमिश्नर सुरेश कटारिया, आईआरएस, हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला के पूर्व निदेशक डॉ पूर्णमल गौड़, लखनऊ (उप्र) के प्रतिष्ठित साप्ताहिक ‘विश्व-विधायक’ के संपादक मृत्युंजयप्रसाद गुप्ता, महेन्द्रगढ़ के जिला बाल-कल्याण अधिकारी विपिनकुमार शर्मा, पीएनबी, यमुनानगर के प्रबंधक श्रवणदेव पाठक, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ में विधि-विभाग के प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष डाॅ प्रदीप नरवाल और हरियाणा व्यापार-मंडल, नारनौल के अध्यक्ष बजरंगलाल अग्रवाल के अतिरिक्त डॉ पीए रघुराम, तलश्शेरी (केरल), डॉ जनार्दन यादव, नरपतगंज (बिहार), अहेम कामै, इंफाल (मणिपुर), रमेशचंद मस्ताना, कांगड़ा (हिप्र), नियति गुप्ता, पटियाला (पंजाब), सरोज टंडन, सुजाता चौधरी, तनीषा मिश्रा और रेणु चोपड़ा, दिल्ली, डॉ कृष्णा कंबोज, फतेहाबाद, डॉ नरेश कुमार, आदमपुर, डॉ राजेश शर्मा, डॉ यशवीर दहिया और आरजू शर्मा, हिसार, प्रियंका सौरभ, सिवानी मंडी, बलजीत सिंह और राजबाला ‘राज’, नारनौंद, कमलेश शर्मा, हांसी, राममेहर कमेरा, जींद, राजपाल गुलिया, झज्जर, प्रभात शर्मा, गुरुग्राम, नेमीचंद शांडिल्य, मंडी अटेली, डॉ संजय पंवार, कृष्णकुमार शर्मा, एडवोकेट, रामगोपाल अग्रवाल, एडवोकेट, सत्यनारायण शर्मा, पीयूष शर्मा, नवरत्न वर्मा, हिम्मत सिंह तथा रणजीत सिंह, राजेंद्र वर्मा, नमन जैन, जीतू सिंह, राजपाल खट्ट्र, साक्षी, जयश्री शर्मा, राखी ठाकुर, सलीम खान, योगिता शर्मा, उमा नवानी, वीना शर्मा, सुनील भारद्वाज, पूनम भारद्वाज, अमरजीत सिंह, पल्लवित शर्मा, पारुल अवस्थी, मुनीष कुमारी, शीला देवी आदि अन्य की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।