ऐडिड कालेजों के स्टाफ को टेक ओवर करने की पॉलिसी बनने के बाद भी हरियाणा सरकार ने नहीं किया टेक ओवर

कालेज टीचर्स एशोसिएशन, हरियाणा (ऐडिड कालेज) ने प्रदेश सरकार से सरकारी अनुदान प्राप्त महाविद्यालययों के स्टाफ को टेक ओवर करने की मांग फिर से उठाई। आपको याद दिला दें कि हरियाणा सरकार ने विगत कई वर्षों में लगभग 31 नए कालेज खोले हैं जो संचालन की अवस्था में हैं और अनेकों नए कालेज खोलने की घोषणा भी की है। सर्वविदित है कि सरकारी कालेजों में स्टाफ की भारी कमी है जिसका सीधा असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ता है तथा इससे उच्च शिक्षा की दशा और दिशा का बुरा हाल हो गया  है जो कि एक चितंनीय विषय है।

कालेज टीचर्स ऐशोसिएशन, हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष डा राजबीर सिंह ने कहा कि अगर सरकार को उच्च शिक्षा की दिशा और दशा को दुरुस्त करना है तो उसे नए स्टाफ की भर्ती करनी पड़ेगी जो कि कोरोना से उपजी नई अवस्था में संभव दिखाई नहीं देती। सम्पूरण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका प्रतिकूल असर पडा़ है जिस कारण अनेक देशों ने आगामी भर्तियों पर रोक लगा दी है l भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। डा राजबीर सिहं ने स्टाफ के टेक ओवर के अर्थशास्त्र को समझाते हुए कुछ सशक्त तर्क प्रस्तुत किए जो इस प्रकार हैं–

टेक ओवर से सरकार के फायदे:-

  1. सरकार ने नए कॉलेज बनाने की घोषणा की है और अनेक नए कॉलेज शुरू भी कर दिए गए है l एक नए कॉलेज को शुरू करने के लिए सरकार को लगभग 20 टीचिंग और 18 नॉन टीचिंग कर्मचारियों की जरूरत होती है जिसके लिए सरकार को अतिरिक्त 95 करोड़ वार्षिक खर्चा करना पड़ेगा l टेकओवर कर लेने से सरकार का यह अतिरिक्त खर्चा बच जाएगाl
  2. मकान किराया भत्ता (एचआरए) सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों को मिल चुका है l लेकिन एडेड कॉलेजों के स्टाफ की फाइल वित्त मंत्रालय के एसीएस के पास लंबे समय से पडी़ हुई है।

3 वेतन में आसमानता और अन्य मुद्दों से संबंधित कर्मचारियों के 800 से 900 केस माननीय हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय में लंबित पडे़ हुए है जिनकी पैरवी करने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय की तीनों शाखाओं के कर्मचारी आए दिन कोर्ट में व्यस्त रहते हैं l टेक ओवर करने के पश्चात निदेशालय के धन व समय की बचत होगी l

4 वर्तमान में एडिड कॉलेजों के लिए बजट का अलग से प्रावधान किया जाता है l टेकओवर के पश्चात इस प्रावधान की आवश्यकता नहीं पड़ेगी l

5 इन महाविद्यालयों में ई-सैलरी सिस्टम ना होने के कारण हर वर्ष निदेशालय को 150 से 200 करोड़ रुपए अतिरिक्त व्यय करने पड़ते है l

6 टेकओवर कर लेने से सरकारी महाविद्यालयों में स्टाफ की कमी को पूरा किया जा सकता है l इसके साथ ही अधिकतर एडिड कॉलेजों में विषय वार वर्क लोड पुराने होने के कारण सरकार को अधिक धन व्यय करना पड़ता हैl इन महाविद्यालय के स्टाफ को समायोजित कर लेने से सरकार आवश्यकता अनुसार खाली जगहों पर इन से काम ले सकती है l

  1. इन संस्थाओं को 95% अनुदान देकर भी ये संस्थाएं सरकार के कंट्रोल में नहीं हैl

8.एडिड कॉलेजों के स्टाफ को समायोजित कर लेने से बीजेपी सरकार द्वारा 2014 में किया गया  अपना चुनावी वादा भी पूरा हो जाता है l

9 इन कॉलेजों की देखरेख के लिए निदेशालय में 3 शाखाएं काम करती हैं l समायोजित करने के पश्चात निदेशालय का कार्य भार भी कम हो जाएगा और कार्य में अधिक पारदर्शिता आएगी।

  1. समायोजित कर लेने से सरकार को 2184 शिक्षक और 1176 गैर शिक्षक कर्मचारी मिल जाएंगे जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा l

डा राजबीर सिंह ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सारी शर्तों को पूरा कर लेने के बावजूद भी एडिड महाविधालययों के कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया ज2ता है, उन्हें अनेक वाजिब लाभों से वंचित किया जाता है जो इस प्रकार हैं:-

1 कर्मचारियों को मेडिकल व चिकित्सा प्रतिपूर्ति भत्तों का न मिलना

2, चिल्ड्रन एजुकेशन एलाउंस का न मिलना

3 एलटीसी सुविधा का न मिलना

4 ,चाईल्ड केयर लीव का न मिलना

5, एसीपी का लाभ न मिलना

6 पुरानी पेंशन न मिलना

7 कंप्यूटेशन सुविधा का न मिलना

8 मृतक कर्मचारियों को अनुकंपा सहायता/एक्स ग्रेशिया का लाभ नहीं मिलना l

9 एनपीएस कर्मचारियों के लिए डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी का प्रावधान भी नहीं है l

10 सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों के समान दर्जा प्राप्त नहीं है l

 

इसके साथ ही हम यह भी बताना चाहते हैं कि कालेज टीचर्स एशोसिएशन के संगठित प्रयासों के चलते एडिड कॉलेजों के स्टाफ को सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने संबंधी पालिसी बनी जिसकी फाइल पिछले 4 वर्षों से चल रही है l वर्तमान में यह फाइल वित्त विभाग, हरियाणा सरकार द्वारा कुछ सुझावों के साथ उच्च शिक्षा विभाग में लंबित पडी़ है l यह फाइल मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और अन्य जरूरी विभागों से अनुमोदित हो चुकी है l यह बताना भी अति महत्वपूर्ण है कि टेकओवर पालिसी बनाने से पहले सरकार ने प्रबंधक समितियों, प्रबन्धक समितियों की यूनियन, शिक्षक और गैर-शिक्षक शिक्षक यूनियन्स तथा प्रधानाचार्यों से पहले मीटिंग करके सलाह मशविरा कर लिया थाl

उपर्लिखित सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कालेज टीचर्स एशोसिएशन (सीटीए)- हरियाणा प्रदेश सरकार से पुरजोर आग्रह करती है कि पहरियाणा में उच्च शिक्षा के पुनरुत्थान और कोरोना महामारी  के कारण पैदा हुए वर्तमान आर्थिक संकट से निबटने के लिए एडिड कालेजों के स्टाफ को शीघ्रातिशीघ्र टेक ओवर करे।

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