—शनिवार सुबह करीब साढ़े दस बजे बच्चे के दादा के पास आई सूचना
—बच्चे किडनैप और गायब मामले में श्रेय लेने के लिए पुलिसियां पटकथा अलग
रणघोष अपडेट. नारनौल, (रामचंद्र सैनी)
गत 16 फरवरी की रात को नारनौल के मोहल्ला पुरानी सराय से गायब हुए करीब 12 वर्षीय मोहित का शनिवार को सुराग लग गया। जयपुर की एक आई इंडिया संस्था ने शनिवार को सुबह दस बजकर 22 मिनट पर गायब बच्चे मोहित के दादा पूर्णचंद के पास फोन करके बच्चा संस्था के कार्यालय में होने की जानकारी दी। संस्था के हरवीर सिंह नाम अधिकारी की कॉल के बाद बच्चे के दादा पूर्णसिंह ने जयपुर से आये फोन के बारे मे तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचना दी। इसके बाद बच्चे की फोटो आदि भेजकर बच्चे की शिनाख्त करके पुलिस टीम तुरंत प्रभाव से जयपुर के लिए रवाना हो गई। आई इंडिया संस्था के उक्त अधिकारी हरवीर सिंह के अनुसार नारनौल से पहुंची पुलिस टीम को दोपहर करीब तीन बजे आवश्यक कागाजी कार्रवाई के बाद बच्चा सुपुर्द कर दिया गया है।
मामले की विस्तार से जानकारी देते हुए हरवीर सिंह ने मोबाइल पर बताया कि बच्चा जयपुर में गलता गेट थाना के कर्मचारियों को लावारिस घूमता मिला था। बाद में पुलिस ने बच्चे को चाइल्ड हेल्प लाइन के हवाले कर दिया था और चाइल्ड हेल्प लाइन ने इसे चाइल्ड वेलफेयर के सुपुर्द कर दिया था। हरवीर सिंह के अनुसार ये लोग भी बच्चे के बारे में पता नहीं लगा पाये तो उनकी संस्था आई इंडिया को सौंपकर इसके परिजनों का पता लगाने में सहयोग मांगा गया। उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों तक बच्चे को उसके द्वारा बताये गए स्थानों पर जयपुर में घुमाया गया लेकिन इसके परिवार का पता नहीं चला।
हरवीर सिंह के अनुसार शनिवार उसने खुद बच्चे को अपने पास बैठाकर उसे कागज पैन देकर अपने बारे में कुछ भी लिखने के लिए कहा तो बच्चे ने कागज पर कुछ लिखा और नारनौल शब्द से शहर का नाम पकड़ में आया। इसके बाद बच्चे से स्कूल का नाम व कुछ मोबाइल नंबर भी लिखने के लिए कहा गया। हरवीर सिंह के अनुसार बच्चे ने एक स्कूल का नाम भी लिखा और चार- पांच मोबाइल नंबर भी लिखे, जिनमें एक नंबर उसके दादा का निकला। हरवीर सिंह ने बताया कि बच्चे के दादा को सूचना देने के कुछ देर बाद ही उनके पास नारनौल पुलिस का फोन आ गया था। बच्चे का सुराग लगने पर उनके परिजनों में खुशी का माहौल है।
आखिर कब तक झूठा श्रेय लेगी नारनौल पुलिस
नारनौल:-पिछले एक पखवाड़े में नारनौल से दो बच्चों के गायब और एक किडनैप मामले में अब तक पुलिस की कार्रवाई खास नहीं रही है। इन तीनों मामले में से दो की पटकथा पुलिस कुछ हो बता रही है जबकि सच्चाई अलग ही है। सबसे पहले चांदुवाडा से गायब हुआ बच्चा उसी रात को मिला लेकिन पुलिस ने इस बच्चे को एक पेड के नीचे सोता हुआ बरामद दिखाकर श्रेय ले लिया। जबकि सच्चाई यह है कि बस स्टैंड के सामने वाले एक सब्जी वाले को यह बच्चा रेवाडी रोड से रोते हुए आता मिला तो उसने एक टैक्सी वाले के मोबाइल से पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दी थी। इसके बाद पुलिस की जिप्सी इस बच्चे को लेकर चली गई और पटकथा कुछ और ही लिखी गई। इस बच्चे के लिए पुलिस को सूचना देने वाले को उत्साहित करना तक पुलिस ने मुनासिब नहीं समझा।
इसके बाद 16 फरवरी को किडनैप हुए 12वीं कक्षा के छात्र के बारे में पहले तो पुलिस इसे किडनैप ही मानने को तैयार नहीं थी। कभी आपसी रंजिश तो कभी पुराना बिजनेस मैटर बताकर प्रेस नोट तक जारी किए जा रहे थे। इस मामले की सच्चाई भी किडनैप होने वाला बच्चा अपने परिजनों को अलावा अन्य लोगों से सांझा कर चुका है कि वह किस तरह किडनैपरों से बचकर खुद ही पुलिस के पास पहुंचा था, लेकिन इस मामले में नारनौल पुलिस श्रेय लेने के लिए कुछ और ही पटकथा लिख चुकी है।
पुरानी सराय के मोहित मामले में सामने आये सीसीटीवी फुटेज से यह तो पहले ही क्लीयर हो चुका था कि यह अपहरण नहीं था। डीएसपी अमरजीत सिंह कल प्रेस कांफ्रेंस में यह कह चुके हैं कि सैनी धर्म कांटा के बाद से बच्चे का नांगल चौधरी रोड पर लगे टोल पर भी सुराग नहीं लग पाया है। आज बच्चा जयपुर की एक संस्था के माध्यम से नारनौल आ चुका है अब देखना यह है कि पुलिस इसकी क्या पटकथा लिखती है।