सुबह- शाम घर की छत पर सब़्जियों की खेती, दोपहर में मरीजों का इलाज, डॉ. के साथ किसान बनी सीमा मित्तल

कोरोना से बने हालातों ने खुद पर भरोसा करना सिखाया, बदलने लगी सोच

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कोरोना को बेशक वायरस कहिए। इससे डरिए भी। साथ ही ईमानदारी के साथ यह स्वीकार भी करिए कि इसने रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल दिया है। यह बदलाव बेहतर दिशा की तरफ है। इसलिए तो मरीजों का इलाज करते करते शहर की नामी डॉक्टर सीमा मित्तल अपने घर की छत पर देसी सब़्जियों की खेती में जुट गईं। डॉ. सीमा की इस अनूठी पहल के कई मायने है। वह पेशे से डॉक्टर है। कोई कमी नहीं। परिवार आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर बेहद मजबूत है। दो बच्चे भी डॉक्टर है।ऐसे में डॉ. मित्तल को छोटी सी खेती करने करने की क्या सूझी। इस पर उनका कहना है कि मौजूदा हालात में एक दूसरे की ताकत बनकर ही आगे बढ़ा  जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस पहल में  गमले ओर अस्पताल में उपयोग थरमाकोल के बॉक्स को भी उपयोग में लिया गया। इसके साथ रसोई घर में आने वाली हर वेस्ट चीज़ को भी कम्पोस्ट बनाने के लिए इस्तेमाल में लिया गया। ओर यह उपाय बहुत ही कारगर साबित हुआ। तोरी, बेंगन, भिंडी व मिर्च इनके टेरिस पर लहरा रहे है ओर सब्ज़ियों की मात्रा न केवल इनके परिवार के लिए पर्याप्त है अपितु अन्य को भी देने के काम आती है। इनके साथ मीठा निम, अजवायन, लहसुन आदि के पौधे भी इनके टेरिस गार्डन में शामिल है। उनका पहले से ही बाग़वानी की तरफ़ रुझान रहा है। व्यस्तता की वजह से वह ऐसा नहीं कर पा रही थी। अब लगा  की समय आ गया है। इसलिए शुरूआत कर दी। डाक्टर सीमा का कहना है सभी लोग घर पर टेरिस गार्डन बनाने का प्रयास कर सकते है ओर अपने गुज़ारे लायक़ थोड़ी सी जगह में आराम से सब्ज़ियां उगा कर मौजूदा चुनौतियों से लड़ सकते हैं। बस सोच को बदलने की जरूरत है।

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