कौन हैं हेमाराम जिसने बढ़ाया गहलोत सरकार का संकट, कांग्रेस में मचा हड़कंप

 रणघोष खास. जयपुर से


अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट की तकरार एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी की ओर से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी को भेजने के बाद प्रदेश का सियासी माहौल गर्माया हुआ है। जहां विपक्ष इसे लेकर तंज कस रहा है। वहीं सत्तारूढ कांग्रेस में भी उनके इस्तीफे को लेकर खलबली मची हुई है। राजस्थान विधानसभा में हेमाराम वरिष्ठ कांग्रेसी विधायकों में से एक है। वे राजस्थान के बाड़मेर जिले के गुड़ामलानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। 200 सीटों वाली राज्य विधानसभा में चौधरी समेत कांग्रेस के 104 विधायक हैं।वह पायलट गुट के विधायक माने जाते हैं।बता दें कि हेमाराम चौधरी पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं। जबकि 2008 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभा चुके हैं। साथ ही छह बार चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं। लगभग तीन दशक से अधिक का उनका सियासी करियर रहा है। हेमाराम ने कुल आठ बार चुनाव लड़ा है। हेमाराम की शैक्षणिक योग्य़ता की बात करें, तो उन्होंने बी कॉम एलएलबी किया है। वहीं अपने करियर की शुरुआत पहले वकील के रूप में की, इसके बाद राजनीति और समाजसेवा से उनका जुड़ाव बढ़ता गया। 15 वीं राजस्थान विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम भाजपा पउम्मीदवार को 13 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी ने कहा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र गुड़ामलानी में समुचित विकास कार्यो की अनदेखी को लेकर उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य होना पड़ा है। पूर्व मंत्री श्री चौधरी ने विधानसभा सदस्यता से इस्ततीफा देने के बाद आज यहां जारी एक बयान में कहा कि उन्हें न तो मंत्री पद का लालच है और न ही उन्होंने व्यक्तिगत कार्य को लेकर इस्तीफा दिया है। वह केवल इतना चाहते है कि उनके विधानसभा क्षेत्र गुड़ामलानी में समुचित विकास हो। इस क्षेत्र की जनता ने उन्हें छह बार चुनकर विधानसभा भेजा है। अगर वह उनकी कसौटी पर खरा नही उतरते है तो व्यर्थ है विधायक बने रहना।श्री चौधरी ने इस बात का खंडन किया है कि उनकी मुख्यमंत्री या राजस्व मंत्री से कोई नाराजगी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत हमारे नेता है। इस लिहाज से उनका सम्मान करना प्रत्येक कांग्रेसी विधायक का बुनियादी दायित्व है। उन्होंने कहा कि मेरे किसी से भी खराब सम्बन्ध नही है। उन्होंने कहा ..हरीश चौधरी मेरे छोटे भाई के समान है तथा वे मेरा पूरा सम्मान देते है। ऐसे में उनसेअदावत की बात करना बेमानी और कल्पित है।उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने के बाद खुद हरीशजी तथा पीसीसी अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा का फोन आया था। दोनों यही जानना चाहते थे कि आखिर मैंने अचानक इस्तीफा क्यो दिया। उन्होंने इस बात को भी बेहूदा बताया कि इस्तीफा सचिन पायलट के इशारे पर दिया गया। हकीकत यह है कि उन्हें इस्तीफा भेजने के बाद इस बात का पता लगा। मेरे घर वालो तक को इस्तीफे की भनक नही थी। श्री चौधरी ने कहा.. मैं भावुक और सवेदनशील व्यक्ति हूँ। जब मुझे लगा कि मैं क्षेत्र की जनता के प्रति न्याय नही कर पा रहा हूँ, मैंने बिना सोचे समझे विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा भिजवा दिया। निर्णय अब अध्यक्ष को करना है। मैं पहले भी क्षेत्रीय जनता के प्रति समर्पित और आस्थावान था और विधायक नही रहते हुए भी वही समर्पण भाव रहेगा।

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