तनिष्का की सफलता का श्रेय लेने के लिए होड़ मची है, मां मुस्करा रही है..

-शिक्षक- शिक्षण संस्थाएं किसी बच्चे को डॉक्टर्स, आईएएस, इंजीनियर तो बना सकते हैं लेकिन उसे एक बेहतर और अच्छा इंसान मां ही बना सकती है।


 रणघोष खास. प्रदीप नारायण

मेडिकल प्रवेश परीक्षा में देशभर में टॉपर रही हरियाणा, महेंद्रगढ़ जिला के गांव मिर्जापुर बाछौद की बेटी तनिष्का की सफलता पर कब्जा करने के लिए बाजार के रास्ते शिक्षण संस्थानों ने हमला कर दिया है। एक राष्ट्रीय अखबार ने लिखा है कि यदुवंशी स्कूल की तनिष्का ने देश में टॉप किया जबकि वह इस स्कूल से 10 वीं पास करने के बाद राजस्थान कोटा में नीट परीक्षा की तैयारी में जुट गई थी। वहां उसने कक्षा 11 वी की पढ़ाई के लिए डीडीपीएस स्कूल में दाखिला लिया। इसलिए वहां के अखबार एवं चैनल उसे इसी स्कूल की छात्रा बता रहे हैं। इसी दौरान कोटा में नीट परीक्षा की तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेंटर भी साम दंड भेद से तनिष्का को अपनी स्टूडेंट होने का दावा करने में जुट गए हैं। आने वाले दिनों में मीडिया में इस छात्रा की फोटो के साथ लाखों रुपए विज्ञापन के नाम पर पानी की तरह बहाए जाएंगे ताकि उससे प्रभावित होकर माता-पिता अपने बच्चों को तनिष्का जैसी कामयाब बनाने के लिए इन दावेदारों की शरण में भेज दें। विज्ञापन मीडिया की खुराक है जाहिर है वह वहीं लिखेगा और दिखाएगा जो सबसे ज्यादा पैसा बहाएगा। कुछ दिनों तक यह ड्रामा चलता रहेगा। इस तमाशे के बीच एक चेहरा ऐसा भी है जो चुपचाप मुस्कराते हुए अपनी बेटी के खानपान, थकान की चिंता करते हुए रसोई में कुछ ना कुछ बनाने में व्यस्त है। वह है मां जिसे देखकर बाजार की हरकतें भी डर के मारे इधर उधर छिप जाती है। इतिहास उठा लिजिए आप कभी मां को अपनी बच्चों की सफलता का श्रेय लेते नजर नहीं आएंगे। संतान को 9 माह तक गर्भ में पालने से लेकर अपनी मृत्यु तक मां छाया बनकर उसकी सारी तकलीफों को खुद में समा लेती है। मां के सृजन का, गढ़ने का तरीका भी गज़ब का होता है, कभी महसूस भी नहीं होने दिया कि सृजन चल रहा है। एक अनगढ़ मिट्टी को संस्कार ज्ञान से भरने का अमादा मां के पास ही होता है। कौन ऐसा होगा जो कोई काम करे और उसका श्रेय ना ले , लेकिन मां कभी श्रेय नहीं लेती। काश उससे कुछ सीख पाते कि कैसे अपने गुणों को बिना दिखाये, बिना महान बनेसृजन किया जाता है ? । आज श्रेय लेने की होड़ में कुसंस्कारों, अवगुणों की खरपतवार चारों तरफ उगती जा रही है। इसे मां ही रोक सकती है। शिक्षक- शिक्षण संस्थाएं किसी बच्चे को डॉक्टर्स, आईएएस, इंजीनियर तो बना सकते हैं लेकिन उसे एक बेहतर और अच्छा इंसान मां ही बना सकती है। आइए सफलता की इस होड़ में मां के सजृन को सबसे आगे सम्मान दें। यहीं सफलता का असली आनंद होगा।

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