मुआवजा को लेकर को डीसी कार्यालय का घेराव करेंगे किसान

जमीन अपने नाम करा 20 गांवों के स्ट्रक्चर का मुआवजा चार साल से नहीं दे रही एचएसआईआईडीसी


जिला राजस्व अधिकारी ने बुधवार को 11 ओर गांवों के स्ट्रक्चर मुआवजा के लिए एचएसआईआईडीसी को पत्र लिखा

सबसे बड़ा सवाल फिर भूमाफिया एवं एचएसआईआईडीसी की कार्यप्रणाली में क्या अंतर रह गया

किसान अब 15 सितंबर को किसान भवन में  मीटिंग कर डीसी कार्यालय का करेगी घेराव


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


राज्य सरकार किसानों की जमीन अधिग्रहण कर उसे मुआवजा देने के प्रति कितनी गंभीर है। इसका एक ओर नया खुलासा सामने आया है। जिला राजस्व अधिकारी ने एमआरटीएस परियोजना (मास रैपिड ट्रांजिस्ट सिस्टम अंतर्गत डीएमआईसी) के तहत  एचएसआईआईडीसी द्वारा अधिग्रहित की गई 11 ओर गांवों की जमीन पर बने स्ट्रक्चर का मुआवजा देने के लिए पत्र भेजा है। इससे पहले 9 गांवों का मुआवजा देने के लिए विभाग पिछले एक साल में  15 बार रिमाइंडर भेज चुका है। यानि कुल 20 गांवों को पिछले तीन- चार सालों में स्ट्रक्चर तक का सीमित मुआवजा तक नहीं दिया गया है। गौर करने लायक बात यह है कि अधिग्रहित की गई जमीन को एचएसआईआईडीसी रिकार्ड में अपने नाम करा चुकी है। यानि किसानों को किसी लायक नहीं छोड़ा। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर इसी तरह मुआवजा को लेकर किसानों को परेशान किया जा रहा है तो  भू माफिया एवं एचएसआईआईडीसी की कार्यप्रणाली में क्या अंतर रह गया। किसान मुआवजा को लेकर दक्षिण हरियाणा के सभी दिग्गज नेताओं केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, भाजपा केंद्रीय संसदी बोर्ड की सदस्या डॉ. सुधा यादव, राज्य कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल समेत सभी स्थानीय जनप्रतिधिनिधयों एवं प्रशासन के सामने ज्ञापन व प्रदर्शन के माध्यम से गुहार लगा चुके हैं। यहां तक की महामंडेलश्वर स्वामी धर्मदेव पटौदी आश्रम ने भी किसानों की इस जायज मांग को लेकर सीएम मुख्यमंत्री मनोहरलाल से बातचीत की। इतना सबकुछ होने के बावजूद चंडीगढ़ से मुआवजा को लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की गईं। किसानों की सिर्फ इतनी मांग है कि उनका कसूर क्या है। मुआवजा को लेकर कोई विवाद नहीं है फिर उन्हें दिया क्यों नहीं जा रहा। मुआवजा देने की बजाय भिखारी की तरह घूमाया जा रहा है। मुआवजा कब तक मिलेगा इस बारे में स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं की जा रही। क्या सरकार का खजाना उन्हें मुआवजा देने के लिए खाली हो चुका है। अगर यह सत्य है तो किसान अपना बचा घर व खेत बेचकर बिना ब्याज सरकार की आर्थिक मदद कर सकते हैं। उधर किसान संगठनों ने सात दिन का अल्टीमेटम देने के बाद आर पार की लड़ाई  लड़ने का ऐलान कर दिया है। 15 सितंबर को काफी संख्या में किसान उपायुक्त कार्यालय का घेराव करेंगे। किसान अब करो या मरो की स्थिति में आ चुके हैं।

यह है रेवाड़ी में मुआवजा को लेकर किसानों का पूरा मामला


        रेवाड़ी- धारूहेड़ा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इन गांवों के किसानों की एमआरटीएस परियोजना (Mass.rapid transit system and allies use and early project DMIC) के विस्तारीकरण हेतु  एचएसआईआईडीसी द्वारा जमीन अधिग्रहण की गई थी। जिसके तहत 2018 में इस परियोजना के तहत कुल मुआवजा 201 करोड़ 53 लाख 62 हजार 130 रुपए अवार्ड हुआ। जिसमें 120 करोड़ रुपए जमीन के नाम पर किसानों को जारी कर दिए। लेकिन उस पर बने स्ट्रक्चर का आज तक नहीं मिल पाया जबकि जमीन एचएसआईआईडीसी सरकार रिकार्ड में अपने नाम करवा चुकी है। यानि किसान ना इधर के ना उधर के। ना वे अपने भवनों के साथ छेड़छाड़ कर सकते है और ना छोड़ सकते है।  उलटा मुआवजा मिलने की उम्मीद में उन्होंने ब्याज पर व जमीन से मिले मुआवजा से अपना अन्य व्यवसाय शुरू करने  के लिए जमीन खरीद ली थी। ऐसे में राशि नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति दिनप्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। दुखी किसानों ने प्रशासन को लिखित में ज्ञापन देकर और विडियो जारी कर चेताया था कि अगर सात दिन में मुआवजा नहीं मिला तो वे आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। यहां गौर करने लायक बात यह है कि एक तरफ मानेसर में किसान जमीन का कम मुआवजा को लेकर संघर्षरत है वहीं रेवाड़ी में स्थिति एकदम उलट है। यहां किसानों को सरकार की तरफ से अवार्ड किया गया मुआवजा ही नहीं मिल पा रहा है।

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