जिला परिषद के निवर्तमान उप जिला प्रमुख जगफूल यादव का अजीबों गरीब गणित

खुद का-पिता- दादा का जन्म झौलरी में, पृतक गांव बव्वा बताया, नाम के पीछे लगाते कोसली


-25 सालों से इनेलो के प्रति समर्पित रहे लेकिन उप जिला प्रमुख केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के आशीर्वाद से बने


-अब 30 सितंबर को गांव बव्वा में राव की जनसभा कर इनेलो छोड़ भाजपा में शामिल होंगे


  • विरोधियों ने खोला मोर्चा कहां कि राजनीति में इतना स्तर नहीं गिराना चाहिए


रणघोष खास. कोसली


जिला परिषद में उप जिला प्रमुख रहे जगफूल यादव माहौल के हिसाब से अपने राजनीति गुणा गणित की वजह से एक बार फिर सुर्खियों में हैं। जगफूल ने वार्ड नंबर एक से दुबारा लड़ने की अपनी तैयारी कर दी है। पिछली बार शानदार मतों से जीते थे। इस बार भी नए अंदाज से उतर गए हैं। इसके लिए उन्होंने गांव बव्वा को अपना पृतक निवास बताया है जबकि उनका व उनके पिता व दादा का जन्म गांव झौलरी ढाणी में हुआ। जगफूल अपने नाम के पीछे कोसली लिखते हैं। इसी के चलते वे 30 सितंबर को बव्वा में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की जनसभा कर कर रहे है जिसमें वे 25 साल पुराने इनेलो से अपने संबंधों को त्यागकर राव का आशीर्वाद लेंगे।

जगफूल यादव की इस कार्यप्रणाली को लेकर इसी वार्ड में उतरे शिक्षाविद सुरेंद्र यादव बव्वा ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि राजनीति में वोट के लिए इतना स्तर गिराना भी ठीक नहीं है। जब उनका व उनके पिता- दादा का जन्म गांव झौलरी में हुआ है। वे सभी पारिवारिक कार्यक्रम व पितृ पक्ष की परपंरा इसी गांव में करते आ रहे हैं। अचानक बव्वा उनका पृतक गांव इसलिए हो गया कि उनका विरोधी उम्मीदवार इस  गांव से संबंध रखता हैं। कम से कम राजनीति के लिए अपने बड़े बुजुर्गों की विरासत के साथ तो मजाक नहीं करें। इस पर जगफूल का कहना है कि 200 साल पहले उनके पड़दादा इसी गांव से संबंध रखते थे उनके तीनों भाई का परिवार इसी गांव से संबंध रखते हैं। इसलिए यह उनका पृतक गांव है। ऐसे में सवाल उठता है तो फिर झौलरी क्या हुआ। इस पर जगफूल का कहना है कि यह उनका जन्मस्थान है। जबकि पृतक निवास मूलत: एक ही होता है। इसी तरह 2019 के कोसली विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ने वाले जगफूल यादव ने अपने नाम के पीछे कोसली लगाना शुरू कर दिया जो आज तक लगाते आ रहे हैं।

आमतौर पर अपने नाम के पीछे गांव का नाम वहीं लगाता है जो मूलत: उस पृष्ठभूमि से संबंध रखता है। इसी तरह राजनीति में चौटाला परिवार को अपना सबकुछ मानने वाले जगफूल यादव राव इंद्रजीत सिंह की बदौलत जिला परिषद में 5 साल तक उप जिला प्रमुख रहे जबकि राव भाजपा के वरिष्ठ नेता है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जगफूल यादव अपनी राजनीति को चमकाने के लिए हर उस शख्स या स्थान को अपना बना लेते जो मूलत: एक दूसरे से मेल नहीं खाती। जब राव को आदर्श मानते हैं तो 25 सालों से इनेलो की विचारधारा से क्यों जुड़े रहे। अब जिला परिषद चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह आदर्श नजर आने लगे। इस पर जगफूल का कहना है कि इस चुनाव से राव का कोई लेना देना नहीं है। वे एक साल से राव से कार्यक्रम करवाने के लिए समय मांग रहे थे अब जाकर मिला है वो भी पिछले दिनों बावल के किसी कार्यक्रम में उनकी नजर मुझ पर पड़ी। उनके विरोधी सुरेंद्र यादव का आरोप है कि जगफूल यादव जगह जगह सामाजिक व विकास कार्यों में घोषणा कर आते है देते कुछ नहीं है।

सुधराना गौशाला में 51 हजार की घोषणा की अभी तक 11 हजार ही पहुंचे हैं। गांव बव्वा में श्याम जागरण समिति के शिविर में धर्मशाला में शौचालय व स्नानघर बनाने की घोषणा की थी। कुछ नहीं किया। गांव बव्वा में ही खेल स्टेडियम में राव इंद्रजीत सिंह के नाम पर हॉल बनवाया था उस पर आज तक दरवाजे तक नहीं लगे हैं। इस पर जगफूल यादव का दावा है कि एक भी आदमी यह साबित कर दें कि जहां उन्होंने घोषणा ओर पूरा नहीं किया हो। ऐसा करने वालों को  कोर्ट में लेकर जाऊंगा। यहां बता दें कि जगफूल यादव को पिछले विधानसभा चुनाव में 3219 के आस पास वोट मिले थे जबकि जगफूल यादव का कहना है कि उन्हें 4600 वोट मिले हैं।

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