राव इंद्रजीत को भाजपा से ज्यादा अपने समर्थकों में भी भीतरघात का खतरा ज्यादा
रणघोष अपडेट. महेंद्रगढ़. रेवाड़ी
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इस बार विधानसभा चुनाव दक्षिण हरियाणा की अधिकांश सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाकर अपना रूतबा तो कायम कर लिया लेकिन कई चुनौतियों का भी अंदरखाने जन्म हो चुका है। जिसे समय रहते नही संभाला गया तो वे चुनाव में विस्फोटक सामग्री का काम करेंगे। राव समर्थकों की फौज में इस बार जो जोश ओर उत्साह दिखना चाहिए वहां सन्नाटा ज्यादा पसरा नजर आ रहा है। राव अटेली में बेटी आरती राव का चुनाव संभालते हैं तो अन्य सीटें राम भरोसे नजर आने लगती हैं। भाजपा संगठन के पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं का राव समर्थकों में कोई तालमेल नही बन पा रहा है। यह बात खुद राव इंद्रजीत सिंह भी मान चुके हैं की उनके समर्थकों अभी भी बाहरी तौर पर देखा जा रहा है। कहने को राव के साथ मंच पर फोटो खिंचवाने वालों की तादाद में कमी नही है लेकिन जनता के बीच जाकर प्रत्याशी के लिए जो प्रचार करना चाहिए वहा अधिकतर अपने ठिकानों पर बैठकर समय गुजार रहे हैं। राव के काफी समर्थक टिकट बंटवारे को लेकर अंदरखाने बेहद नाराज चल रहे हैं। उनका कहना है की राव ने उन लोगों को टिकटें दिलवाई जो उनके साथ कभी नजर ही नही आए। इस वजह से राव के पैनल में अन्य दावेदार भी पूरी तरह से सक्रिय नही है। बावल में तो टिकट का प्रमुख दावेदार भरत सिंह राव के मनाने के बावजूद अगले दिन कांग्रेस में शामिल हो गया। बावल से डॉ. बनवारीलाल की टिकट कटवाने में राव सबसे आगे रहे। इसलिए यहा बनवारीलाल राव समर्थित प्रत्याशी डॉ. कृष्ण कुमार के साथ पूरी तरह दूरिया बनाकर चल रहे हैं। रेवाड़ी और कोसली में भी यही स्थिति बनी हुई है। राव समर्थकों का एक खेमा अंदरखाने भाजपा की हार में अपनी जीत देख रहा है। वे खुलकर विरोध में तो नही आ रहे लेकिन उनकी खामोशी ज्यादा घातक साबित हो सकती है। इसलिए रेवाड़ी जिले की तीनों सीटों पर मुकाबला पूरी तरह से फंसा हुआ है। नारनौल में भी यही स्थिति है। पटौदी में स्थिति बेहतर इसलिए है बिमला चौधरी पहले भी यहा से विधायक रह चुकी है ओर पूरे समय सक्रिय रही है। अटेली को खुद राव इंद्रजीत देख रहे हैं इसलिए स्थिति कंट्रोल में है लेकिन उनके इधर उधर होते ही चुनाव प्रबंधन बिखरता नजर आ रहा है। ऐसे में राव के लिए चुनौती विरोधी दलों के साथ साथ भाजपा में भीतरघात के साथ अपने अपने समर्थकों में अंदरखाने बिखराव मुश्किलें खड़ी कर सकता है। राव के पास जो प्रबंधन नजर आ रहा है वे व्यवहारिक कम राव के नाम पर स्टाइलिश ज्यादा दिख रहा हैं।